हरिद्वार5 घंटे पहले
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समय ठीक वैसे ही है जैसे उबलता जल — जो एक बार वाष्प बनकर उड़ जाता है, तो फिर कभी उसी पात्र में लौटकर नहीं आता। हर क्षण, हर पल समय हमारे हाथों से निकलता जा रहा है। यह अचानक नहीं जाता, बल्कि धीरे-धीरे, श्नै:श्नै:, चुपचाप दूर होता रहता है। हम व्यस्त रहते हैं, अनजान रहते हैं, और जब तक हमें इसका मूल्य समझ आता है, यह बहुत दूर जा चुका होता है। समय अमूल्य है, और इसका सदुपयोग ही हमारे जीवन को अर्थ देता है। इसे व्यर्थ गंवाना जीवन को व्यर्थ करना है।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए समय का सही इस्तेमाल कैसे करें?
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