हरिद्वार3 मिनट पहले
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मनुष्य के भाग्य में ईश्वर होना लिखा है, क्योंकि उसके भीतर देवत्व के जागरण की अनेक संभावनाएं हैं। जब हम स्वाध्याय करते हैं, तब हम अपने सत्य से परिचित होते हैं। हमारे जीवन में अंतहीन संभावनाएं हैं। हमारे भाग्य में श्रेष्ठताएं, पवित्रताएं, दिव्यताएं और महानताएं लिखी हैं। शास्त्र यही कहते हैं कि हम परमात्मा से भिन्न नहीं हैं, परमात्मा और हम सब एक ही हैं।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए स्वाध्याय करने से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
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