हरिद्वार4 मिनट पहले
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आध्यात्मिक यात्रा में लाभ-हानि, जय-पराजय, यश-अपयश का कोई महत्व नहीं है। आध्यात्मिक व्यक्ति के लिए ये बहुत छोटी बातें हैं। सामान्य व्यक्ति ऐसा सोचता है कि मैं सबसे आगे हो गया, लोग मेरे से पीछे रह गए, लोकिन जो आध्यात्मिक व्यक्ति है, वह अपनी उन्नति के लिए सदैव गंभीर रहता है, वो कभी भी किसी से द्वेष नहीं रखता है। हम स्पर्धा ही करना चाहते हैं तो स्वस्थ स्पर्धा होनी चाहिए।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए हमारा स्वभाव कैसा होना चाहिए?
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