हरिद्वार11 मिनट पहले
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मौन को तप कहा जाता है। मौन की वजह से हमारी संपूर्ण शक्तियों का जागरण होता है, हमारी ऊर्जा चैतन्य होकर हमारे आसपास दिव्यता प्रकट करती है। मौन तप है, लेकिन बोलना भी एक कला है। कुछ लोग मौन रहते हैं और कुछ लोग बोलकर बड़े कार्य कर लेते हैं। सही समय पर बोलना भी जरूरी है, हमें दूसरों के अच्छे कार्यों की प्रशंसा करनी चाहिए। हमारी बोली में गंभीरता रहे और हमारे विचार सकारात्मक रहे। अच्छा बोलना सीखें।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए बोलते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
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