Avdheshanand Giri Maharaj Life lesson. Service and being of use to others is our basic sanskar | स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र: सेवा और दूसरों के काम में आना, हमारा मूल संस्कार है; सेवा से अहंकार खत्म होता है

हरिद्वार3 मिनट पहले

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परोपकार, सेवा और दूसरों के काम में आना, भारतीय सनातन संस्कृति का मूल संस्कार है। हमारी संस्कृति सेवा से ही प्रकट होती है। सेवा व्यक्ति को बहुत आगे लेकर जाती है, सेवा से व्यक्ति निराभिमानी बनता है, अहंकार खत्म होता है। इसलिए शास्त्र कहते हैं, सेवा परम धर्म है। जिससे व्यक्ति के भीतर के सभी गुण, श्रेष्ठताएं, दिव्यताएं आती हैं।

आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए हमारे दिव्यताएं कैसे जागती हैं?

आज का जीवन सूत्र जानने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें।

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