हरिद्वार1 घंटे पहले
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शब्द ब्रह्म हैं, हमारे शब्दों में बड़ी शक्ति और ऊर्जा छिपी हुई है। इसलिए हमारे शब्द नपे-तुले और सार्थक होने चाहिए। हम जब बोलें, तब उसमें प्रियता और माधुर्य, ये दो गुण होने चाहिए। हम जो बोल रहे हैं, उससे हमारा परिचय होता है। हमारी बोली से हमारे संस्कार, विचार, परंपरा और पूर्वजों की जानकारी मिलती है। इसलिए गंभीर, शांत, विनम्र और सत्यवादी रहें।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए बोलते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
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