हरिद्वार12 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
प्राकृतिक, सहज और स्वाभाविक रहें। जो व्यक्ति जितना स्वाभाविक है, वो उतना ही समर्थ है। सामर्थ्य तब प्रकट होती है, जब व्यक्ति प्रकृति के निकट जाता है। आज जितनी भी दुविधाएं हैं, वो इसलिए हैं, क्योंकि हम अप्राकृतिक हैं। भौतिक सुख-सुविधाओं के आकर्षण हैं, अलग-अलग प्रलोभन हैं, जिनसे हमारी दुविधाएं बढ़ती हैं। व्यक्ति उन्नति चाहता है, लेकिन प्रलोभन हमें नीचे लेकर आते हैं।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए सच्ची सफलता किसे कहते हैं?
आज का जीवन सूत्र जानने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें।
खबरें और भी हैं…