हरिद्वार15 मिनट पहले
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जो भाषा, विचार, प्रतिक्रिया, व्यवहार हमें खुद के लिए अच्छा नहीं लगता है, वह दूसरों के साथ न करें। जो बातें हमें अच्छी नहीं लगती हैं, जिनके कारण हम आहत होते हैं, जो हमें अपमानित करती हैं, जिन टिप्पणियों से हम असहज और अशांत अनुभव करते हैं, वैसी भाषा दूसरों के साथ नहीं बोलना चाहिए। दूसरों के लिए हमारी भाषा में माधुर्य होना चाहिए, हमारे व्यवहार में शुभता, दिव्यता और सौम्यता होनी चाहिए।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए दूसरों के साथ कैसा व्यवहार न करें?
आज का जीवन सूत्र जानने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें।
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