हरिद्वार9 मिनट पहले
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ईश्वर सब में है, लेकिन पेड़-पौधों में सबसे ज्यादा चैतन्य है। वनस्पतियों में, झरने, झील-जलाशयों में, अन्न में और जो कुछ विद्यमान है, इस सब में ईश्वर वास करता है। प्रकृति, पर्यावरण की रक्षा करना भी एक प्रकार से देवताओं की पूजा करना है। हमारे शास्त्र कहते हैं कि दस पुत्रों के बराबर एक पुत्री है और दस पुत्रियों के बराबर एक वृक्ष होता है।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए वृक्ष लगाना क्यों जरूरी है?
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