मुंबई26 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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अजय देवगन, तब्बू और जिमी शेरगिल स्टारर फिल्म ‘औरों में कहां दम था’, 5 जुलाई को रिलीज होगी। इस फिल्म का पहला गाना ‘तू’ रिलीज हो गया है। इसे ऑस्कर अवॉर्ड विनिंग म्यूजिक कंपोजर एम.एम. कीरवानी ने कंपोज किया है।
जबकि इसका लिरिक्स मनोज मुंतशिर ने लिखा है। स्पेशल-26, ए वेडनेसडे और बेबी जैसी फिल्में बना चुके फिल्म मेकर नीरज पांडे ने इसका डायरेक्शन किया है। एम.एम. कीरवानी, मनोज मुंतशिर और नीरज पांडे ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की है।
पढ़िए बातचीत के प्रमुख अंश..
सवाल- कीरवानी साहब, फिल्म के फ्लोर पर जाने से पहले ही आपने गाने पर काम करना शुरू कर दिया था, इसके बारे में कुछ बताइए?
जवाब- मैंने कुछ समय पहले नीरज पांडे के साथ एक फिल्म में काम करना शुरू कर दिया था। हालांकि यह फिल्म कभी कम्पलीट नहीं हो पाई। इस फिल्म के लिए हमने गाने पहले ही रिकॉर्ड कर लिए थे। फिल्म भले ही नहीं बन पाई, लेकिन उस वक्त से ही हमने प्लान किया था कि कभी न कभी साथ में काम जरूर करेंगे। शायद इसी वजह से मैंने नीरज जी की फिल्म के लिए पहले ही गानों पर काम करना शुरू कर दिया था।
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सवाल- मनोज, आपने इस फिल्म के गाने में पोएट्री का बहुत अच्छा समावेश किया है, ऐसे गाने बहुत कम सुनने को मिलते हैं, क्या कहेंगे?
जवाब- मेरे लिए लिरिक्स लिखना आसान भी है और मुश्किल है। आसान इसलिए है क्योंकि मुझे कविताएं आती हैं। इस वजह से मैं लिरिक्स में पोएट्री को शामिल कर पाता हूं, जो कि गानों को बहुत अच्छा बना देते हैं। मुश्किल इसलिए है, क्योंकि आप हर दिन अपना बेस्ट नहीं दे सकते। हो सकता है कि कभी सही लाइनें याद न आएं। हमें पता है कि अगर हमने थोड़ा भी दोयम दर्जे का काम किया तो उसे पसंद नहीं किया जाएगा। इसलिए एक हिसाब से लिरिक्स लिखना काफी मुश्किल काम भी है।
सवाल- नीरज, इस फिल्म के लिए गाने बनाते वक्त आपका प्रोसेस क्या रहा?
जवाब- मैं और कीरवानी साहब पहले ट्यून्स लॉक करते थे। मैं कीरवानी साहब को सिचुएशन समझाता था, वे उस हिसाब से गाने बनाते थे। कीरवानी साहब की एक खासियत है कि वे कभी भी बहुत ज्यादा सवाल-जवाब नहीं करते। अगर मैं कहता हूं कि सर, मुझे यह चीज पसंद नहीं आई तो वे तुरंत बदलाव करने लगते हैं। कभी यह नहीं कहते कि इसमें क्या कमी है या क्यों नहीं पसंद कर रहे। वे तुरंत दूसरे क्रिएशन पर काम करना शुरू कर देते हैं। एक बार जब हमने धुन पर काम कर लिया तब हम मनोज को फ्रेम में लाते हैं। वे फिर धुन के हिसाब से लिरिक्स लिखते हैं।
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सवाल- मनोज, आप उन चुनिंदा लिरिक्स राइटर्स में से एक हो, जिसे हिंदी और उर्दू दोनों की बहुत अच्छी जानकारी है। आपने फिल्म के गाने में इसका मिश्रण भी किया है, क्या कहेंगे?
जवाब- हिंदी और उर्दू, ये दोनों भाषाएं एक दूसरे में सांस लेती हैं। दोनों में बहुत ज्यादा समानता है। पिछले कुछ समय से ये बात फैलाई जा रही है कि दोनों भाषाएं अलग-अलग हैं, ऐसा कुछ नहीं है। आप इस फिल्म के गाने में हिंदी और उर्दू का कम्पलीट मिक्चर देखेंगे।
सवाल- नीरज, अजय और तब्बू की जोड़ी बहुत सारी फिल्मों में दिख चुकी है, इन्हें कास्ट करने का क्या उद्देश्य था?
जवाब- आपको हमेशा अपनी फिल्म के लिए एक राइट एक्टर की जरूरत होती है। अजय और तब्बू से बेहतर ऑप्शन मेरे पास हो ही नहीं सकता था। एक डायरेक्टर के तौर पर अगर आपके पास अच्छे एक्टर हों, तो जर्नी काफी हद तक आसान हो जाती है।
सवाल- कीरवानी साहब, आप बहुत कम हिंदी गाने कंपोज करते हैं, ऐसा क्यों?
जवाब- सबसे पहली बात तो मैं हैदराबाद में रहता हूं, जबकि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री मुंबई से रन करती है। दूसरी बात यह है कि मेरी कुछ शर्तें होती हैं। अगर फिल्म मेकर्स वो बात समझते हैं, तभी मैं उनके साथ काम करता हूं। एक उदाहरण देता हूं। मैं शादी के कॉन्सेप्ट को नहीं मानता। नीरज जी की ही फिल्म स्पेशल-26 में एक शादी वाला गाना है। मैंने उन्हें साफ कह दिया था कि मैं यह गाना कंपोज नहीं कर सकता। जब मैं एक पर्टिकुलर चीज को मानता ही नहीं, फिर उसे सेलिब्रेट कैसे कर सकता हूं। नीरज जी ने मेरी समझी और उन्होंने वो गाना किसी और से कंपोज करा लिया।
इस सवाल का मनोज मुंतशिर ने भी जवाब दिया। उन्होंने कहा- मैं चाहता हूं कि कीरवानी साहब हिंदी फिल्मों के लिए कम ही काम करें। घी एक चम्मच ही अच्छा लगता है, एक बाल्टी भरकर दे दिया जाए तो शायद पचा नहीं पाएंगे। मैं चाहता हूं कि कीरवानी साहब भले दो साल में एक म्यूजिक दें, लेकिन वो म्यूजिक अद्भुत हो।
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सवाल- नीरज, आप पिछले काफी समय से बड़े पर्दे से दूर रहे, इसकी क्या वजहें रहीं?
जवाब- कोविड का दौर आ गया था। यह एक बड़ी वजह थी। दूसरी तरफ मैं सीरीज स्पेशल ऑप्स और खाकी- द बिहार चैप्टर को बनाने में बिजी था, इस वजह से फिल्मों पर काम नहीं कर रहा था।
सवाल- मनोज, आप नीरज पांडे की फिल्म मेकिंग या राइटिंग को कैसे देखते हैं?
जवाब- मैं हमेशा से नीरज सर की फिल्म मेकिंग का फैन रहा हूं। उनकी राइटिंग का तो कोई जवाब ही नहीं है। वो जैसा लिखते हैं, शायद मैं भी वहां तक न पहुंच पाऊं।
सवाल- आज कल के गाने उतने मेलोडियस नहीं रह गए हैं, इसके पीछे क्या कारण हो सकता है? कीरवानी साहब आप बताइए।
जवाब- देखिए, ऐसा कुछ नहीं है कि आज कल के गाने मेलोडियस नहीं हैं। जब यही गाने आप आज से चार-पांच साल बाद सुनेंगे तो अच्छे लगेंगे। बात बस समय की है।