मुंबई9 मिनट पहले
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भारतपे के को-फाउंडर अश्नीर ग्रोवर ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) से अपनी याचिका वापस ले ली है। इसमें उन्होंने फिनटेक फर्म के बोर्ड पर दमनकारी आचरण और कुप्रबंधन का आरोप लगाया था।
अश्नीर ग्रोवर ने कंपनी के साथ 30 सितंबर 2024 को समझौता करने के बाद NCLT की दिल्ली बेंच से याचिका वापस ली है। ग्रोवर की ओर से पेश वकील ने NCLT के समक्ष सेटलमेंट एग्रीमेंट की एक कॉपी भी रखी थी।
इसके अलावा, 17 अक्टूबर को ग्रोवर ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLT) से भी अपनी याचिका वापस ले ली है, जहां उन्होंने NCLT में मामले की जल्द सुनवाई की मांग की थी।
अश्नीर ग्रोवर NCLT से 3 बड़ी मांग की थी
- ग्रोवर ने कंपनी के MD के रूप में अपनी बहाली और कंपनी के बोर्ड में बदलाव की मांग की थी।
- कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय से कंपनी के निरीक्षण और ऑडिट का आदेश देने की मांग भी की थी।
- भारतपे के बोर्ड से उनकी पत्नी माधुरी जैन की बर्खास्तगी को रद्द करने का भी अनुरोध किया था।
अश्नीर ग्रोवर कंपनी की शेयरहोल्डिंग का हिस्सा नहीं होंगे
सेटलमेंट के अनुसार, अश्नीर ग्रोवर न तो किसी भी क्षमता में कंपनी से जुड़े रहेंगे और न ही इसकी शेयरहोल्डिंग का हिस्सा होंगे।
मार्च 2022 में कंपनी के बोर्ड ने ग्रोवर को भारतपे के मैनेजिंग डायरेक्टर के पद से हटा दिया था। तब से, दोनों पक्ष कानूनी विवादों में उलझे हुए हैं।
समझौते के बाद, ग्रोवर के कुछ शेयर कंपनी के लाभ के लिए रेजिलिएंट ग्रोथ ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिए जाएंगे और उनके बचे हुए शेयरों का प्रबंधन उनका फैमिली ट्रस्ट करेगा।