Arghya will be offered to the setting sun on the evening of 7 November, chhat puja, mythological facts about chhat mata, facts about chhat puja | 7 नवंबर की शाम डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य: सूर्य देव की बहन हैं छठ माता, छठ पूजा पर सूर्य को जल चढ़ाकर करें दिन की शुरुआत

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4 मिनट पहले

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कल 7 नवंबर को छठ पूजा है। आज (6 नवंबर) छठ पूजा पर्व का दूसरा दिन खरना है। ये सूर्य पूजा का महापर्व है। 7 नवंबर को कार्तिक शुक्ल षष्ठी की शाम डूबते सूर्य को और 8 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, आमतौर पर उगते सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा है, लेकिन छठ पूजा पर्व पर डूबते सूर्य को अर्घ्य चढ़ाया जाता है। भगवान सूर्य पंचदेवों में से हैं और इस कारण सभी शुभ कामों की शुरुआत पंचदेवों की पूजा के साथ जाती है। सूर्य देव को रोज सुबह अर्घ्य चढ़ाना चाहिए। सूर्य पूजा से नकारात्मक विचार खत्म होते हैं और स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। सूर्य को अर्घ्य चढ़ाकर सूर्य के मंत्र और नामों का जप करना चाहिए। छठ पूजा पर्व पर सूर्य देव की बहन यानी छठ माता की पूजा की जाती है।

छठ माता से जुड़ी मान्यताएं

  • माना जाता है कि प्रकृति ने खुद को छह भागों में बांटा था। इनमें छठे भाग को मातृ देवी कहा जाता है। छठ माता को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री मानी जाती हैं।
  • देवी दुर्गा के छठे स्वरूप यानी कात्यायनी को भी छठ माता कहते हैं।
  • छठ माता सूर्य देव की बहन मानी गई हैं। इस वजह से भगवान सूर्य के साथ छठ माता की पूजा की जाती है।
  • छठ माता संतान की रक्षा करने वाली देवी मानी जाती हैं। इस कारण संतान के सौभाग्य, लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से छठ पूजा का व्रत किया जाता है।
  • एक अन्य मान्यता है कि बिहार में देवी सीता, कुंती और द्रौपदी ने भी छठ पूजा का व्रत किया था और व्रत के प्रभाव से ही इनके जीवन के सभी कष्ट दूर हो गए थे।

आज छठ पूजा व्रत का दूसरा दिन है खरना

छठ पूजा व्रत का दूसरा दिन खरने का होता है। खरने में शाम को सूर्यास्त के बाद पीतल के बर्तन में गाय के दूध से खीर बनाते हैं। व्रत करने वाला व्यक्ति ये खीर खाता है, लेकिन खीर खाते समय अगर उसे कोई आवाज सुनाई दे जाए तो वह खीर वहीं छोड़ देता है। इसके बाद पूरे 36 घंटों का निर्जल व्रत शुरू हो जाता है।

सूर्यास्त और सूर्योदय के समय देते हैं अर्घ्य

तीसरे दिन यानी छठ पूजा (7 नवंबर) के दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सुबह से व्रत करने वाला व्यक्ति निराहार और निर्जल रहता है। प्रसाद में ठेकुआ बनाते हैं। शाम को सूर्य पूजा करने के बाद भी रात में व्रत करने वाला निर्जल रहता है। चौथे दिन यानी यानी सप्तमी तिथि (8 नवंबर) की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूरा होता है।

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