Apara Ekadashi significance, Tulsi puja vidhi, Vishnu puja tips in hindi, importance of tulsi pujan | आज अपरा एकादशी और शुक्रवार का योग: सुबह करें भगवान विष्णु और शुक्र ग्रह की पूजा, शाम को तुलसी के पास जलाएं दीपक और करें परिक्रमा

3 घंटे पहले

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आज (शुक्रवार, 23 मई) ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है, इसका अपरा और अचला एकादशी है। एकादशी और शुक्रवार के योग में भगवान विष्णु के साथ ही शुक्र ग्रह की भी विशेष पूजा करने का शुभ योग बना है। इनके साथ ही आज शाम सूर्यास्त के बाद तुलसी की भी पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से एकादशी व्रत करने का पूरा पुण्य लाभ मिल सकता है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में सालभर की सभी एकादशियों का महत्व बताया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी व्रत और इससे मिलने वाले लाभों की जानकारी दी थी। एक साल में कुल 24 एकादशियां आती हैं और जिस साल में अधिक मास रहता है, तब उस साल में 26 एकादशियां रहती हैं।

ऐसे करें एकादशी व्रत

  • ये व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए किया जाता है। एकादशी पर स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य चढ़ाएं। इसके बाद घर के मंदिर में गणेश जी की पूजा करें।
  • गणेश जी को जल और पंचामृत चढ़ाएं। हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें। दूर्वा चढ़ाएं। लड्डू का भोग लगाएं। ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
  • गणेश पूजन के बाद भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा करें। इनकी प्रतिमाओं पर जल, दूध और पंचामृत चढ़ाएं। वस्त्र और फूल चढ़ाएं। चंदन से तिलक लगाएं।
  • देवी लक्ष्मी को सुहाग का सामान जैसे लाल चूड़ी, चुनरी, कुमकुम आदि चढ़ाएं। मिठाई का भोग तुलसी के पत्तों के साथ लगाएं।
  • ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते हुए धूप-दीप जलाएं और आरती करें। पूजा में विष्णु जी का ध्यान करते हुए एकादशी व्रत करने का संकल्प लें।
  • अपरा एकादशी में दिनभर निराहार रहना चाहिए यानी अन्न का त्याग करें। जो लोग भूख सहन नहीं कर पाते हैं, वे फल, फलों के रस का और दूध का सेवन कर सकते हैं।
  • शाम को भी महालक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा करें। अगले दिन यानी द्वादशी पर सुबह जल्दी उठें। भगवान की पूजा करें और किसी जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं, दान-पुण्य करें। इसके बाद भक्त भोजन कर सकता है। इस तरह एकादशी व्रत पूरा होता है।

सूर्यास्त के बाद ऐसे करें तुलसी की पूजा

तुलसी को विष्णु प्रिया कहा जाता है। इसी वजह से ये पौधा पूजनीय और पवित्र है। मान्यता है इसकी पूजा से घर में सुख-शांति बनी रहती है। तुलसी का गुण है शुद्धता बनाए रखना। तुलसी अपने आस-पास के वातावरण शुद्ध बनाती है। भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण को तुलसी के बिना भोग नहीं लगाया जाता है।

तुलसी पूजा करने से देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता भी मिलती है। एकादशी की सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं। सूर्यास्त के बाद तुलसी के बाद दीपक जलाना चाहिए।

सूर्यास्त के बाद तुलसी को हल्दी, दूध, कुंकुम, चावल, भोग, चुनरी आदि पूजन सामर्गी अर्पित करें। कर्पूर जलाकर आरती करें। तुलसी नामाष्टक का पाठ करें-

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

यः पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

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