angarak chaturthi on 19th November, Lord Ganesha, panchamrit, offer red flowers to Mangal Dev, mantra Om Bhu Bhomay Namah | अंगारक गणेश चतुर्थी आज: जल-पंचामृत से करें भगवान गणेश का अभिषेक, मंगल देव को लाल फूल चढ़ाकर करें ऊँ भौं भोमाय नम: मंत्र का जप

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1 घंटे पहले

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आज (मंगलवार, 19 नवंबर) अगहन कृष्ण चतुर्थी है। मंगलवार को ये तिथि होने से इसका नाम अंगारक चतुर्थी पड़ा है। इस तिथि पर गणेश जी के लिए व्रत-उपवास किया जाता है। मान्यता है कि जो भक्त चतुर्थी व्रत करते हैं, उनके घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेश है, क्योंकि इसी तिथि पर गणेश जी प्रकट हुए थे। ज्योतिष में मंगल ग्रह को मंगलवार का कारक ग्रह माना गया है। त्रेता युग में मंगलवार को ही हनुमान जी अवतरित हुए थे। इसलिए हर मंगलवार हनुमान जी और मंगल ग्रह की विशेष पूजा की जाती है। जानिए अंगारक चतुर्थी पर पूजा-पाठ और व्रत करने की सरल विधि…

ऐसे कर सकते हैं गणेश जी का अभिषेक

भगवान गणेश का सुगंधित जल और पंचामृत से अभिषेक करें। जल को सुगंधित बनाने के लिए जल में गुलाब, मोगरा जैसे सुगंधित फूल डालें और फिर इस जल से भगवान का अभिषेक करें। पंचामृत बनाने के लिए दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाएं।

भगवान का अभिषेक करने के बाद गणेश जी का वस्त्र, हार-फूल से श्रृंगार करें। गणेश जी को जनेऊ चढ़ाएं। कुमकुम, गुलाल आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं।

दूर्वा अर्पित करें। लड्डूओं और दूर्वा का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करें।

पूजा के अंत में भगवान से जानी-अनजानी गलतियों के लिए क्षमा मांगे। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी लें।

पूजा में भगवान के सामने चतुर्थी व्रत करने का संकल्प लें। जो लोग चतुर्थी व्रत करते हैं, वे दिनभर निराहार रहते हैं यानी व्रत करने वाले लोग पूरे दिन अन्न का सेवन नहीं करते हैं। शाम को चंद्र देव के दर्शन और गणेश जी की पूजा के बाद व्रत खोला जाता है।

ऐसे कर सकते हैं मंगल ग्रह की पूजा

ज्योतिष में मंगल ग्रह को सेनापति कहा जाता है। मंगल का जन्म स्थान उज्जैन है। मंगल देव की माता भूमि देवी हैं। मंगल ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। इसलिए अंगारक चतुर्थी पर शिव जी की विशेष पूजा करने की परंपरा है।

शिवलिंग पर बिल्व पत्र, आंकड़े के फूल, जनेऊ के साथ ही लाल गुलाल, लाल फूल भी चढ़ाएं।

शिव जी को मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। मंगल के मंत्र ऊँ अं अंगारकाय नम: और ऊँ भौं भौमाय नम: का जप करें। मंगल ग्रह के लिए मसूर की दाल का दान भी कर सकते हैं।

ऐसे कर सकते हैं हनुमान जी की पूजा

मंगलवार और चतुर्थी के योग में हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। किसी हनुमान मंदिर में हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं। अगर आपके पास पर्याप्त समय हो तो इस दिन सुंदरकांड का पाठ भी कर सकते हैं।

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