केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कल से 2 दिन के बस्तर दौरे पर रहेंगे। 15 दिसंबर को वे जगदलपुर में बस्तर ओलिंपिक कार्यक्रम में शामिल होंगे। सरेंडर नक्सलियों से मिलेंगे। नक्सलियों का खात्मा करने वाले जवानों से भी मुलाकात करेंगे। 15 दिसंबर की रात वे बस्तर मे
.
दावा है कि वे अति नक्सल प्रभावित इलाके में सुरक्षाबलों के कैंप में रात गुजार सकते हैं। ये कैंप सुकमा, बीजापुर या नारायणपुर जिले के हो सकते हैं। यहां के कुछ ग्रामीणों से भी शाह मिल सकते हैं। हालांकि आधिकारिक प्लान सार्वजनिक नहीं किया गया है।
यदि अमित शाह इन जिलों के किसी गांव में जाकर रात गुजारते हैं, या फिर वहां पहुंचकर ही ग्रामीणों से मुलाकात करते हैं तो ऐसा करने वाले वे देश के पहले गृहमंत्री होंगे।
इन 2 जगहों पर जाने की चर्चा, जानिए क्यों
- पूवर्ती गांव..हिड़मा यहीं का रहने वाला
बस्तर में जब भी नक्सल का जिक्र होता है तो नक्सली लीडर माड़वी हिड़मा का नाम भी आता है। पुलिस की वांटेड लिस्ट में भी सबसे पहले हिड़मा का ही नाम है। हिड़मा सुकमा जिले के अति संवेदनशील पूवर्ती गांव का रहने वाला है। वर्तमान में यह नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी का मेंबर है। इस पर 1 करोड़ रुपए से ज्यादा का इनाम घोषित है।
कुछ महीने पहले ही हिड़मा के गांव पूवर्ती में उसके घर के नजदीक ही सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित किया गया है। पूवर्ती, टेकलगुडेम समेत आस-पास के इलाके को जवानों ने कैप्चर कर लिया है। हर दिन यहां सैकड़ों जवान सर्च ऑपरेशन पर निकलते हैं। ऐसे में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हिड़मा के गांव जाकर उसके इलाके के लोगों से मुलाकात कर सकते हैं।
- अबूझमाड़…यहां आर्मी कैंप भी स्थापित होना है
अमित शाह नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ भी जा सकते हैं। अबूझमाड़ के गांव में इसलिए क्योंकि इस इलाके को नक्सलियों की राजधानी के नाम से जाना जाता है। यहां कई बड़े कैडर्स के नक्सली हैं। बड़ी बात है कि अबूझमाड़ के इलाके में ही आर्मी का बेस कैंप भी स्थापित किया जाना है।
इस लिहाज से इलाके को करीब से देखने और इंडियन आर्मी के बेस कैंप खोलने को लेकर वे इस इलाके में भी जा सकते हैं। माड़ की जमीनी स्थिति, इलाके के लोगों से सीधे मुलाकात कर उनसे चर्चा कर सकते हैं।
CG के गृहमंत्री विजय शर्मा ने कुछ दिन पहले जगदलपुर पहुंचकर जायजा लिया।
विजय शर्मा ने दिया था संकेत
कुछ दिन पहले CG के गृहमंत्री विजय शर्मा से जब मीडिया ने पूछा था कि क्या अमित शाह हिड़मा के इलाके में जाएंगे तो उनका जवाब था कि वे उससे भी आगे जाएंगे। उन्होंने संकेत दे दिया था। जिसके बाद से शाह के इस इलाके में आने की अटकलें लगनी तेज हो गई है।
बस्तर में इस साल 25 से ज्यादा सुरक्षाबलों के कैंप स्थापित किए गए हैं।
2 दिन में 9 नक्सली, 1 साल में 219 ढेर
कुछ महीने पहले अमित शाह छत्तीसगढ़ के रायपुर आए थे। उन्होंने नक्सलवाद के खात्मे को लेकर अफसरों की बैठक ली थी। बैठक के बाद शाह ने एक डेडलाइन जारी कर कहा था कि मार्च 2026 तक बस्तर को नक्सलियों से मुक्त कर दिया जाएगा। जिसके बाद से बस्तर में फोर्स काफी आक्रामक हुई।
बस्तर के अलग-अलग जिले में लगातार ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। अब शाह के बस्तर दौरे से पहले ही अबूझमाड़ और बीजापुर जिले में फोर्स ने 2 दिन में 9 नक्सलियों को मार गिराया है, जबकि सालभर में 219 नक्सली मारे गए हैं। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद यह देश में एक साल में मारे गए नक्सलियों का सबसे बड़ा आकंड़ा है।
नक्सली कमांडर हिड़मा की फाइल फोटो।
सालभर में खोले गए 25 से ज्यादा कैंप
बस्तर को नक्सलियों से मुक्त करने और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश के बाद सालभर में बस्तर में 25 से ज्यादा सुरक्षाबलों के कैंप स्थापित किए गए हैं। इनमें दंतेवाड़ा के नेरली घाटी, कांकेर के पानीडोबरी, बीजापुर के गुंडम, पुतकेल, छुटवही, नारायणपुर के कस्तूरमेटा, इरकभट्टी, मसपुर, मोहंदी, सुकमा के मुलेर, परिया, सलातोंग, टेकलगुडेम, पूवर्ती, लखापाल पुलनपाड़ के कैंप खुले हैं।
इस साल यहां पहली बार आजादी का जश्न भी मनाया गया। अफसरों का दावा है कि ये गांव अब नक्सलियों से आजाद हो चुके हैं। कुछ समय पहले तक इन गांवों में नक्सलियों की हुकूमत चलती थी। कुछ इलाकों में स्कूल और सड़क भी नहीं थी, लेकिन जब यहां सुरक्षबलों का कैंप खुला तो सड़कें बननी शुरू हुई। स्कूलों का निर्माण शुरू हुआ है। राशन, आधार और वोटर ID बनाना शुरू हुआ।
लगातार मुठभेड़ में मारे जा रहे नक्सली, दंतेवाड़ा में एक साथ 38 नक्सली मारे गए थे।
800 नक्सलियों ने किया सरेंडर
बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ फोर्स आक्रामक हो चुकी है। जिसके बाद अब नक्सल संगठन में भी एनकाउंटर का डर है। इसका परिणाम है कि सालभर के अंदर बस्तर के अलग-अलग जिले में कुल 800 से ज्यादा नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है। जबकि 800 से ज्यादा नक्सलियों को गिरफ्तार भी किया गया है। सरेंडर और गिरफ्तारी के आंकड़े लगभग बराबर हैं।
नक्सलियों को मारने के बाद जवानों ने जश्न किया था।