Amid controversy at Tata Trusts, Srinivasan appointed lifetime trustee | टाटा ट्रस्ट में विवाद के बीच श्रीनिवासन लाइफटाइम ट्रस्टी नियुक्त: 23 अक्टूबर को समाप्त हो रहा था कार्यकाल, जानें कौन हैं श्रीनिवासन

मुंबई15 मिनट पहले

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टाटा ट्रस्ट ने वेणु श्रीनिवासन को आजीवन ट्रस्टी के रूप में दोबारा नियुक्त किया है। सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT) और सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) के ट्रस्टियो ने सर्वसम्मति से यह फैसला लिया। श्रीनिवासन का कार्यकाल 23 अक्टूबर को खत्म हो रहा था।

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब टाटा से जुड़े संगठनों के भीतर काफी खींचतान चल रही है और ग्रुप दो हिस्सों में बंटा हुआ दिख रहा है। इसमें एक पक्ष नोएल टाटा के साथ और दूसरा पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को फॉलो करने वाले लोगों के साथ है।

श्रीनिवासन की लाइफटाइम नियुक्ति का मतलब यह है कि उनका टेन्योर कभी समाप्त नहीं होगा। ये फैसला जनवरी 2025 में ट्रस्टी और चेयरमैन नोएल टाटा की लाइफटाइम के लिए नियुक्ति के बाद आया है। SDTT और SRTT की टाटा संस में कुल 52% हिस्सेदारी है।

वेणु की दोबारा नियुक्ति ट्रस्ट्स की ओर से 17 अक्टूबर 2024 को सर्वसम्मति पास एक प्रस्ताव के बाद किया गया है, जिसमें कहा गया था कि ‘किसी ट्रस्टी का कार्यकाल खत्म होने पर उस ट्रस्टी को संबंधित ट्रस्ट की ओर से लाइफटाइम के लिए दोबारा नियुक्त किया जाएगा।’ इसी नियम से दूसरे ट्रस्टी मेहली मिस्त्री की दोबारा नियुक्ति भी अगले कुछ दिनों में होने वाली है।

17 अक्टूबर 2024 की बैठक में लिए गए फैसले

  • सभी ट्रस्टी ‘बराबर जिम्मेदार’ हैं और रतन एन टाटा की ओर से दी गई जिम्मेदारी के साथ काम करते हैं।
  • अगर कोई ट्रस्टी किसी अन्य ट्रस्टी की दोबारा नियुक्ति के खिलाफ वोट करता है, तो उसे शर्तों का उल्लंघन माना जाएगा।
  • ट्रस्ट्स की ओर से टाटा संस के बोर्ड में नामित डायरेक्टर्स की समीक्षा 75 साल की उम्र होने पर की जाएगी।
  • इसी प्रस्ताव के तहत नोएल टाटा को टाटा संस के बोर्ड में नामित करने का फैसला लिया गया।
  • टाटा संस के बोर्ड में ट्रस्ट्स द्वारा नामित डायरेक्टर्स की समीक्षा 75 साल की उम्र होने पर की जाएगी।
  • चैरिटीज ने नोएल टाटा को टाटा संस के बोर्ड में नामित करने का फैसला किया।
  • बैठक में नोएल ने अपने बड़े सौतेले भाई रतन टाटा के 9 अक्टूबर 2024 को निधन के बाद ट्रस्ट्स के चेयरमैन का पद संभाला।

टाटा ग्रुप में विवाद, सरकार को दखल देना पड़ा

रतन टाटा के निधन के बाद अक्टूबर 2024 में उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया। वहीं नवंबर 2024 में नोएल को टाटा संस के बोर्ड में भी शामिल किया गया। लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया यह फैसला ट्रस्ट के भीतर एकमत नहीं था।

इससे टाटा संस को कंट्रोल करने वाले टाटा ट्रस्ट्स में बोर्ड सीट को लेकर सीधा-सीधा बंटवारा हो गया। एक गुट बोर्ड मेंबर नोएल टाटा के साथ है, तो दूसरा गुट मेहली मिस्त्री के साथ। मिस्त्री का कनेक्शन शापूरजी पल्लोनजी फैमिली से है जिसकी टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी है।

टाटा संस की बोर्ड सीट को लेकर हुए विवाद के बीच 7 अक्टूबर को सीनियर लीडरशिप ने गृहमंत्री अमित शाह के घर पर 45 मिनट की मीटिंग की। एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने कहा कि घरेलू झगड़े को जल्द निपटा लिया जाए, ताकि कंपनी पर असर न हो।

मीटिंग में गृहमंत्री शाह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के साथ टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा, वाइस-चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन, टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन और ट्रस्टी डेरियस खंबाटा शामिल हुए।

5 पॉइंट में समझें टाटा ग्रुप का पूरा विवाद

  • ये पूरा झगड़ा टाटा ट्रस्ट्स की 11 सितंबर को हुई मीटिंग से शुरू हुआ। इसमें टाटा संस के बोर्ड पर पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह को नॉमिनी डायरेक्टर के तौर पर दोबारा अपॉइंट करने पर बात होनी थी। लेकिन मीटिंग में सिंह नहीं आए। टाटा ट्रस्ट्स के सिंह समेत कुल सात ट्रस्टी हैं।
  • टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के 9 अक्टूबर 2024 को निधन के बाद ट्रस्ट्स ने फैसला लिया था कि टाटा संस बोर्ड पर नॉमिनी डायरेक्टर्स को 75 साल की उम्र के बाद हर साल दोबारा अपॉइंट करना पड़ेगा। 77 साल के सिंह 2012 से ये रोल निभा रहे थे।
  • री-अपॉइंटमेंट का ये रेजोल्यूशन नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने रखा था। लेकिन बाकी चार लोग- मेहली मिस्त्री, प्रामित झावेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खंबाटा ने साफ मना कर दिया। चूंकि ये चारों मेजॉरिटी में थे तो रेजोल्यूशन रद्द हो गया।
  • इसके बाद इन ट्रस्टीज ने मेहली मिस्त्री को ही टाटा संस बोर्ड पर नॉमिनी के तौर पर प्रपोज करने की कोशिश की। लेकिन नोएल टाटा और श्रीनिवासन ने रोक दिया। मीटिंग खत्म होते ही सिंह ने टाटा संस बोर्ड से खुद ही इस्तीफा दे दिया।
  • मेहली मिस्त्री के नेतृत्व वाले चार ट्रस्टी शापूरजी पलोनजी फैमिली से जुड़े हैं। इस फैमिली की टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी है। पीटीआई के मुताबिक, मेहली ने महत्वपूर्ण फैसलों से बाहर रखे जाने पर नाराजगी जताई है। झगड़े का केंद्र टाटा संस में डायरेक्टरशिप के पद हैं।

नाराज ट्रस्टी बोले- बोर्ड बिना डिबेट के फैसले ले रहा

मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टीज के बीच बढ़ते झगड़े का एक बड़ा कारण टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड का 1,000 करोड़ रुपए का फंडिंग प्लान भी है। नोएल टाटा 2010 से इस कंपनी को चला रहे हैं। टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड 27 देशों में ऑपरेट करती है।

ट्रस्टीज प्रमित झावेरी, मेहली मिस्त्री, जहांगीर एच.सी. जहांगीर और डेरियस खंबाटा ने 11 सितंबर की टाटा ट्रस्ट बोर्ड मीटिंग में फंडिंग को पुश करने के तरीके पर सवाल उठाए। इश्यू ये नहीं कि TIL को फंड्स की जरूरत थी या नहीं, बल्कि फैसला कैसे लिया गया इस पर विवाद था।

ट्रस्टीज को लगता है कि इतने बड़े कैपिटल कमिटमेंट पर अच्छे से डिबेट होनी चाहिए थी। ट्रस्टीज ने टाटा मोटर्स के जुलाई में इवेको ग्रुप के नॉन-डिफेंस कॉमर्शियल व्हीकल बिजनेस को खरीदने का भी जिक्र किया। कहा कि उस ट्रांजेक्शन में भी उन्हें लेट स्टेज पर ही इन्फॉर्म किया गया था।

टाटा ग्रुप में टाटा संस की 66% हिस्सेदारी

टाटा ग्रुप की स्थापना जमशेदजी टाटा ने 1868 में की थी। यह भारत की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी है, 10 अलग-अलग बिजनेस में इसकी 30 कंपनियां दुनिया के 100 से ज्यादा देशों में कारोबार करती हैं।

टाटा संस टाटा कंपनियों की प्रिंसिपल इन्वेस्टमेंट होल्डिंग और प्रमोटर है। टाटा संस की 66% इक्विटी शेयर कैपिटल टाटा के चैरिटेबल ट्रस्ट के पास हैं, जो एजुकेशन, हेल्थ, आर्ट एंड कल्चर और लाइवलीहुड जनरेशन के लिए काम करता है।

2023-24 में टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों का टोटल रेवेन्यू 13.86 लाख करोड़ रुपए था। यह 10 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देती है। इसके प्रोडक्ट्स सुबह से शाम तक हमारी जिंदगी में शामिल है। कंपनी चाय पत्ती से लेकर घड़ी, कार और एंटरटेनमेंट सर्विसेज देती है।

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