America asked defense companies to increase security | अमेरिका ने डिफेंस कंपनियों को सुरक्षा बढ़ाने के लिए कहा: रूस से खतरे की आशंका; अमेरिकी बेस को रूस ने टारगेट लिस्ट में डाला


वाशिंगटन11 मिनट पहले

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अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने डिफेंस कंपनियों से सुरक्षा बढ़ाने के लिए कहा है। खुफिया एजेंसियों ने डिफेंस कंपनियों पर रूस की तरफ से नुकसान पहुंचाने या दूसरे खतरे की आशंका जताई है। यह चेतावनी हाल ही में यूरोप में हुई तोड़फोड़ की घटनाओं की बाद जारी की गई है। इन घटनाओं का जिम्मेदार रूस को ठहराया गया था।

नेशनल काउंटर इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी सेंटर द्वारा जारी इस चेतावनी में उन कंपनियों को सतर्क रहने के लिए कहा है जो यूक्रेन जंग में रूस के खिलाफ हथियार मुहैया करा रही हैं। इसके अलावा जो अमेरिकी कंपनिया दूसरे देशों में भी प्रोडक्शन का काम करती हैं, उन्हें भी सतर्क रहने के लिए कहा गया है।

रूस इन कंपनियों के व्यापार को भी नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही इनसे जुड़े लोगों की हत्या की कोशिश भी का जा सकती है।

‘यूरोप की डिफेंस कंपनियों को नुकसान पहुंचाने में रूस का हाथ’

अमेरिका और यूरोप के खुफिया अधिकारियों के मुताबिक रूस ने हाल ही में यूरोप की डिफेंस कंपनियों, लॉजिस्टिक्स और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर तोड़-फोड़ की घटनाओं को अंजाम दिया है। अधिकारियों के मुताबिक रूस इन घटनाओं को अंजाम देने के लिए अपराधियों को किराए पर लेता है।

अधिकारियों के मुताबिक ब्रिटेन और पोलैंड में आगजनी की घटनाओं में भी रूस शामिल था। इस महीने की शुरुआत में खुफिया अधिकारियों ने उत्तर अमेरिका की तरफ जाने वाले कार्गो प्लेन्स के जरिए आग लगाने वाले उपकरणों की तस्करी का आरोप लगाया था।

रूस पर जिन प्रमुख घटनाओं का आरोप लगा है उनमें जर्मनी के एक कुरियर हब और ब्रिटेन के एक गोदाम में आगजनी की घटनाएं शामिल हैं।

रूस पर जिन प्रमुख घटनाओं का आरोप लगा है उनमें जर्मनी के एक कुरियर हब और ब्रिटेन के एक गोदाम में आगजनी की घटनाएं शामिल हैं।

रूस ने पोलैंड में अमेरिकी बेस को टारगेट लिस्ट में डाला

रूस ने शुक्रवार को बताया कि उसने पोलैंड में अमेरिका के नए बेस को अपने संभावित टारगेट की लिस्ट में डाला है। इसकी जानकारी रूसी विदेश मंत्रालय ने एक्स पर पोस्ट कर दी। यह एयरबेस बाल्टिक तट के पास रेडजिकबो में हैं। यहां नाटो ने एयर डिफेंस सिस्टम तैनात किया हुआ है। इस बेस को आधिकारिक तौर पर 13 नवंबर को शुरु किया गया है।

हालांकि नाटो दावा करता रहा है कि उसका ये बेस सिर्फ डिफेंस के लिए है। लेकिन रूस इसे उसकी सुरक्षा के लिए खतरा बताता रहा है।

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