सूरत में पांडेसरा के श्रमिक इलाके में चल रहा था फर्जी मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल।
गुजरात में सूरत शहर के पांडेसरा इलाके में चल रहे फर्जी मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल मामले में चौंकाने वाले कई खुलासे हुए हैं। दरअसल, बिना किसी परमिशन के एक खंडहर थिएटर में चल रहे इस अस्पताल के तीनों डॉक्टर भी फर्जी निकले हैं। तीनों के ही पास कोई मेडिकल डि
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दो डॉ. फर्जी सर्टिफिकेट से प्रैक्टिस करते हो चुके हैं अरेस्ट
मामला तब और गंभीर हो गया, जब पता चला कि इस अस्पताल में पिछले काफी समय से बिना मेडिकल डिग्री के दो डॉक्टर बाकायदा मरीजों का इलाज कर रहे थे। ये दोनों वही शख्स हैं, जिन्हें पांडेसरा इलाके की पुलिस करीब 5 साल पहले फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए मेडिकल प्रैक्टिस करने के मामले में गिरफ्तार कर चुकी है।
प्रेग्नेंट महिलाओं से लेकर बच्चों तक का इलाज किया जा रहा था।
हॉस्पिटल संचालक पर भी रिश्वत लेने का मामला दर्ज
भास्कर की जांच-पड़ताल में पता चला कि प्रमोद तिवारी के खिलाफ 26 अप्रैल 2015 को सूरत एंटी करप्शन ब्यूरो ने मामला दर्ज किया था। आरोप है कि उसने मोबाइल शॉप में काम करने वाले एक कर्मचारी को धमकाकर पहले मोबाइल फोन की मांग की और फिर अपने साथी अखिलेश मिश्रा के साथ मिलकर उससे 40,000 रुपए की रिश्वत मांगी थी। इस मामले में प्रमोद रंगे हाथों पकड़ा गया था। गिरफ्तारी भी हुई थी और मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है। उस समय तिवारी रेलवे के वडोदरा डिवीजन में हेड कांस्टेबल के पद पर कार्यरत था।
भास्कर ने पूरे मामले पर प्रमोद तिवारी से रिश्वत लेने के मामले में पकड़े जाने पर सवाल पूछा गया, तो उसने कहा- इसका जवाब सरकार और कोर्ट ही दे सकती है। मैं बुजुर्ग हो गया हूं, मुझे ज्यादा याद नहीं। इतना कहकर उसने फोन काट दिया।
खंडहर थिएटर की दो मंजिलों पर बनाया गया था अस्पताल।
भास्कर से कहा- मैं संचालक नहीं
वहीं, दैनिक भास्कर से फोन पर हुई बातचीत में प्रमोद तिवारी ने अब दावा किया है कि वह अस्पताल का संचालक नहीं है। अस्पताल के संचालक डॉ. सज्जन कुमार मीना और डॉ. प्रत्यूष गोयल हैं। प्रमोद ने यह भी कहा कि उसके बेटे की मेडिकल शॉप अस्पताल के नीचे है। इसी के चलते वह हॉस्पिटल के डॉक्टरों से संपर्क में रहता था।
जबकि, प्रमोद तिवारी ने पहले मीडिया के सामने खुद को जनसेवा मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल का संचालक और निवेशक बताया था। हालांकि जब उसे लगा कि मामला गंभीर हो गया है और पुलिस ने सख्ती से जांच शुरू कर दी है, तो भास्कर से कहा कि वह अस्पताल का संचालक नहीं है।
अस्पताल में करीब दो दर्जन बेड थे। फर्जीवाड़े का खुलासा होने के दौरान भी दर्जनों मरीज भर्ती थे।
श्रमिक इलाके में चल रहा था हॉस्पिटल
प्रमोद तिवारी ने सूरत के पांडेसरा क्षेत्र में श्रमिक बहुल इलाके में दो मंजिला अस्पताल शुरू कर दिया था, जिसके लिए उसने न स्वास्थ्य विभाग से कोई अनुमति ली और न ही पंजीकरण कराया था। बीते रविवार को जनसेवा मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल का सार्वजनिक उद्घाटन किया गया, तब जाकर हॉस्पिटल की बात प्रशासन को मालूम हुई। उद्घाटन के 18 घंटे के भीतर फायर विभाग ने हॉस्पिटल को सील कर दिया, क्योंकि यह स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग और फायर विभाग की अनुमति के बिना ही शुरू किया गया था।
अस्पताल के उद्घाटन के दौरान प्रमोद तिवारी बतौर संचालक मीडिया से मुखातिब हुआ था।
स्वास्थ्य विभाग व पुलिस की लापरवाही उजागर
रविवार को जनसेवा अस्पताल का उद्घाटन हुआ था, लेकिन सोमवार को मामला सामने आने के बावजूद, तीन दिन बीतने पर भी स्वास्थ्य विभाग ने अब तक अस्पताल का दौरा नहीं किया है। इतना ही नहीं, स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभी तक नोटिस भेजने की कार्रवाई भी शुरू नहीं की गई है। वहीं, पुलिस भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा शिकायत दर्ज कराने का इंतजार कर रही है।
प्रमोद तिवारी के दावे के मुताबिक, हॉस्पिटल के नीचे का मेडिकल उसके बेटे का ही है।
अधिकारी बोले- अस्पताल जाने का समय नहीं मिला
पिछले तीन दिनों से व्यस्तता के कारण अस्पताल जाने का समय नहीं मिल सका। जल्द ही अस्पताल जाकर वहां की सुविधाओं और काम करने वाले डॉक्टरों की जांच की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और एक-दो दिनों में अस्पताल के संचालकों को नोटिस भेजा जाएगा। इसके बाद दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। -अनिल पटेल, जिला स्वास्थ्य अधिकारी
हमने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कहा है कि वे इस मामले की जांच कर रिपोर्ट दें। हम उनकी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। -एचएम गढ़वी, पुलिस इंस्पेक्टर