Akshaya Navami on 10th November, Kartika Shukla navami on Sunday, ritual about amla navami | अक्षय नवमी 10 नवंबर को: कार्तिक शुक्ल नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा करने की है परंपरा, इस दिन आंवले का करें दान

50 मिनट पहले

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रविवार, 10 नवंबर को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी है। इसे अक्षय नवमी और आंवला नवमी कहते हैं। इस पर्व पर आंवले के पेड़ की पूजा करने की परंपरा है। मान्यता है कि जो लोग इस तिथि पर आंवले की पूजा करते हैं, उन पर विष्णु जी और महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, कार्तिक शुक्ल नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है और आंवला नवमी की कथा सुनी जाती है। पूजा में आंवले के पेड़ की परिक्रमा भी करते हैं। पूजा-पाठ के साथ ही इस पर्व पर आंवले का दान भी करना चाहिए। ये पर्व प्रकृति का सम्मान करने का संदेश देता है। पेड़-पौधों से ही हमारा जीवन है और हमें इनकी पूजा करनी चाहिए यानी इनकी रक्षा करनी चाहिए।

ये हैं आंवला नवमी से जुडी़ मान्यताएं

  • आंवला नवमी पर आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा, मंत्र जप, ध्यान और भोजन करने की परंपरा है।
  • अक्षय नवमी से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक शुक्ल नवमी पर देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ ही शिव जी पूजा करना चाहती थीं।
  • देवी लक्ष्मी ने सोचा कि विष्णु जी को तुलसी प्रिय है और शिव जी को बिल्व पत्र प्रिय है। तुलसी और बिल्व पत्र के गुण एक साथ आंवले में होते हैं। ऐसा सोचने के बाद देवी लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ को ही भगवान विष्णु और शिव जी का स्वरूप मानकर इसकी पूजा की।
  • देवी लक्ष्मी की इस पूजा से विष्णु जी और शिव जी प्रसन्न हो गए। विष्णु जी और शिव जी देवी लक्ष्मी के सामने प्रकट हुए तो महालक्ष्मी ने आंवले के पेड़ के नीचे ही विष्णु जी और शिव जी को भोजन कराया।
  • इस कथा की वजह से ही कार्तिक शुक्ल नवमी पर आंवले की पूजा करने की और इस पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने परंपरा है।
  • एक मान्यता ये भी है कि अक्षय नवमी पर महर्षि च्यवन ने आंवले का सेवन किया था। आंवले के शुभ असर से च्यवन ऋषि फिर से जवान हो गए थे।
  • आयुर्वेद में कई रोगों को ठीक करने के लिए आंवले का इस्तेमाल किया जाता है। आंवले का रस, चूर्ण और मुरब्बा ये सभी हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हैं। आंवले के नियमित सेवन से अपच, कब्ज, गैस जैसी दिक्कतें दूर हो जाती हैं।
  • अक्षय नवमी पर घर के मंदिर में लक्ष्मी-नारायण की भी पूजा की जाती है। भगवान विष्णु मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करते हुए लक्ष्मी-विष्णु का अभिषेक करें।

ऐसे कर सकते हैं आंवले की पूजा

आंवला नवमी पर किसी आंवला वृक्ष के आसपास साफ-सफाई करें। आंवले की जड़ में शुद्ध जल चढ़ाएं। थोड़ा सा कच्चा दूध अर्पित करें। कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, चावल, हार-फूल, भोग के लिए मिठाई आंवले को चढ़ाएं। आंवले के तने पर कच्चा सूत लपेटें। धूप-दीप जलाकर आरती करें। आंवले की परिक्रमा करें।

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