जोधपुर के कालीबेरी में बने अक्षरधाम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा हुई।
जोधपुर के काली बेरी क्षेत्र में बने अक्षरधाम मंदिर का आज सुबह 6.45 बजे प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम हुआ। बोचासनवासी श्रीअक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) के प्रमुख महंत स्वामी महाराज ने दिव्य मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की। इस अवसर पर बड़ी
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मंदिर का लोकार्पण समारोह आज शाम साढ़े 5 बजे होगा, जिसमें सीएम भजनलाल शर्मा समेत कई मंत्री, विधायकों को निमंत्रण (न्योता) दिया गया है। वहीं विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के पदाधिकारियों को भी निमंत्रण गया है। अक्षरधाम मंदिर आज से श्रद्धालुओं के लिए खुला रहेगा। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को नशा छुड़वाने, बच्चों को अच्छे संस्कार देने जैसे अभियान चलाए जाएंगे।

महंत स्वामी महाराज ने दिव्य मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की।
यह मंदिर देश भर में बने अक्षरधाम मंदिरों में दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। इसको बनाने में लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है। इसे जोधपुर के छीतर पत्थरों से बनाया गया है। पत्थर पर छह इंच तक गहरी नक्काशी की गई है। 500 कारीगरों ने करीब सात साल तक दिन-रात मेहनत कर इसे तैयार किया है। इसमें सिरोही घाट शैली का प्रयोग किया गया है। ये मंदिर 45 डिग्री टेम्प्रेचर में भी ठंडा रहेगा।

मंदिर के आगे के हिस्से में चिकित्सा सुविधा केंद्र बनाया गया है।
बुधवार रात को हुई जमकर आतिशबाजी
प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव की पूर्व संध्या (बुधवार) पर मंदिर को आकर्षक रोशनी से सजाया गया। यहां रात को जमकर आतिशबाजी भी की गई, इस दौरान यहां लोगों की भारी भीड़ जुट गई।

बुधवार रात को मंदिर परिसर में हुई आतिशबाजी।
मंदिर में सिर्फ जोधपुरी पत्थर लगाया
देश भर में करीब 150 अक्षरधाम मंदिर हैं। इन सभी मंदिर में बंशी पहाड़पुर और मकराना के मार्बल का उपयोग हुआ है। लेकिन जोधपुर में बना यह मंदिर पहला ऐसा मंदिर है, जिसमें केवल जोधपुरी पत्थर ही उपयोग में लिया गया है। मुख्य मंडप के अलावा पिलर भी पत्थर के नहीं हैं।
इंटरलॉक सिस्टम से जुड़े हैं पत्थर
मंदिर में कहीं भी लोहे या स्टेनलेस स्टील का उपयोग नहीं किया गया है, सभी पत्थर इंटरलॉक सिस्टम से जुड़े हैं। जो सदियों पुरानी भारतीय स्थापत्य तकनीक को पुनर्जीवित करता है। पत्थरों की बजाय इन पिलरों को ग्लास फाइबर रीइन्फोर्स्ड जिप्सम (जीएफआरजी) टेक्नोलॉजी से तैयार किया गया है। यानी ये ग्लास, फाइबर और जिप्सम से तैयार हुए हैं।

मंदिर में जोधपुर के छीतर पत्थरों का उपयोग किया गया है।
2017 में शुरू हुआ था निर्माण
अक्षरधाम मंदिर का निर्माण कार्य 2017 से शुरू हुआ। कोविड काल के दौरान कुछ समय तक काम रुका रहा, लेकिन अब यह पूरा बन चुका है। तकरीबन 40 बीघा परिसर में 10 बीघा में मुख्य मंदिर का निर्माण हुआ है, जो जमीन से 13 फीट ऊंचे आधार पर खड़ा है। मंदिर की कुल लंबाई 181 फीट और ऊंचाई 91 फीट है।
देशभर के मंदिरों से अनूठा
इस मंदिर में कुल 281 स्तंभ हैं, जो सभी बीएपीएस मंदिरों में अभूतपूर्व हैं। ये सभी सिरोही घाट शैली के गोलाकार स्तंभ हैं, जो नीचे से चौड़े और ऊपर से संकरे होते हैं। मंदिर का आकार न तो चौकोर है और न ही आयताकार, बल्कि इसमें आठ से नौ कोण हैं, जो इसे विशिष्ट आकर्षक शैली प्रदान करते हैं।

संत आवास को आकर्षक रोशनी से सजाया गया।
3 हजार लोगों का सभा मंडप
मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को सत्संग सुनने और प्रार्थना के लिए सभा मंडप बनाया गया है। इसमें 3 हजार लोग एक साथ बैठकर सत्संग सुन सकते हैं। 140 गुणा 125 फीट के इस मंडप को पिलर रहित बनाया गया है। यानी सभा मंडप के बीच में कोई भी पिलर दिखाई नहीं देगा। इस मंडप को पोस्ट-टेंशन (पीटी) स्ट्रक्चर के तहत बनाया गया है। संतों के बैठने के लिए 100 गुणा 30 फीट का स्टेज भी बनाया गया है। यहां पर 14 एसी और 12 हेलिकॉप्टर फैन भी लगाए गए हैं।

एक साथ तैयार होगा 20 हजार लोगों का खाना
मंदिर में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ऑटोमैटिक सुविधाओं वाली अन्नपूर्णा रसाई बनाई गई है। इसमें ऑटोमैटिक मशीनों के द्वारा एक साथ 20 हजार लोगों का खाना बनाया जा सकेगा। 500 लोग एक टाइम में प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे। मंदिर में किचन ब्लॉक, सर्विस बिल्डिंग, अतिथि गृह बनकर तैयार हो गए हैं।

दर्शनों के लिए खोला मंदिर।