Akal Takht Jathedar Intellectual Sikhs Meeting ; Sukhbir Singh Badal Tanqahiya Status Decision Regarding Religious Punishment | Amritsar | सुखबीर बादल के धार्मिक-राजनीतिक भविष्य पर आज विचार होगा: श्री अकाल तख्त साहिब पर बुद्धिजीवियों की बैठक बुलाई; SAD प्रमुख तनखैया घोषित हो चुके – Amritsar News

बैठक में विचार के बाद तारीख निर्धारित होगी। जिस दिन 5 तख्तों के जत्थेदार की बैठक होगी, उसमें सुखबीर बादल को बुला कर सजा सुनाई जाएगी। – फाइल फोटो

शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के धार्मिक और राजनीतिक भविष्य के फैसले पर आज विचार होगा। श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने श्री अकाल तख्त कार्यालय में महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों के

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इस बैठक में उन्हें दिए जाने वाली संभावित धार्मिक सजा पर विचार किया जाएगा। इस चर्चा में कुल 18 सिख विद्वान और बुद्धिजीवी भाग लेंगे।

इन सदस्यों में अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार मंजीत सिंह, पंजाबी यूनिवर्सिटी के पूर्व VC जसपाल सिंह, इंद्रजीत सिंह गोगोआनी, अमरजीत सिंह, हरसिमरन सिंह, जसपाल सिंह सिद्धू और हमीर सिंह शामिल हैं। इनके अलावा कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को भी आमंत्रित किया गया है।

शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने तनखैया घोषित किया था।

शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने तनखैया घोषित किया था।

सुखबीर बादल पर लगे आरोप और “तनखैया” मामला अकाली दल से जुड़े असंतुष्ट नेताओं ने अकाली सरकार के दौरान (2007-2017) हुए कुछ धार्मिक फैसलों पर सवाल उठाए थे, जिन्हें उन्होंने सिख धर्म के हितों के विरुद्ध बताया। इसके बाद अकाल तख्त ने 30 अगस्त 2024 को सुखबीर बादल को तनखैया घोषित किया था, लेकिन अब तक कोई सजा नहीं दी गई।

तनखैया घोषित किए जाने के कारण सुखबीर सिंह बादल को विधानसभा उपचुनावों में प्रचार या भाग लेने की अनुमति नहीं मिली थी। इसके चलते अकाली दल ने उपचुनावों से दूरी बना ली थी। हालांकि, सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (SGPC) चुनाव में अकाली दल समर्थित उम्मीदवार अध्यक्ष बने हैं।

किस प्रकार की सजा मिल सकती है? अकाल तख्त के दिशा-निर्देशों के तहत, तनखैया घोषित व्यक्ति को अक्सर गुरुद्वारे में सेवा करने जैसे कार्य सौंपे जाते हैं। जैसे कि जूते या फर्श साफ करना। आज की बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा कि सुखबीर बादल को किस प्रकार की धार्मिक सजा दी जा सकती है।

इस फैसले से पहले जत्थेदारों की एक बैठक होगी, जिसमें सुखबीर बादल भी उपस्थित हो सकते हैं। इस निर्णय के आधार पर सुखबीर बादल के धार्मिक और राजनीतिक सफर पर बड़ा असर पड़ सकता है।

क्या होता है तनखैया सिख पंथ के अनुसार कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसे तनखैया करार दिया जाता है। इसका फैसला सिखों के सर्वोच्च तख्त श्री अकाल तख्त साहिब करते हैं।

तनखैया घोषित होने के बाद व्यक्ति सिख संगत के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांग सकता है।

तब सिख संगत की ओर से पवित्र श्री गुरू ग्रंथ साहिब की हाजिरी में उसके गुनाह की समीक्षा की जाती है। फिर उसी के हिसाब से उसके लिए दंड तय किया जाता है।

तनखैया की सजा मिलने पर ऐसे व्यक्ति से न तो कोई सिख संपर्क रखता है और न ही कोई संबंध। इनके यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में भी कोई सिख आता-जाता नहीं है।

1 जुलाई 2024 को अकाली दल बागी गुट ने जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह को माफीनामा सौंपा था।

1 जुलाई 2024 को अकाली दल बागी गुट ने जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह को माफीनामा सौंपा था।

अकाली दल के बागी गुट ने सौंपा था माफीनामा अकाली दल का बागी गुट 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा था। इस दौरान जत्थेदार को माफ़ीनामा सौंपा गया था, जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई।

1. डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत वापस ली गई थी 2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने 10वें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया।

2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया।

3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई 1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया।

अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं।

4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया।

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