बिजली विभाग के वर्कशॉप में बुधवार सुबह लगी थी भीषण आग
अलीगढ़ के सारसौल स्थित बिजली विभाग के वर्कशॉप में लगी भीषण आग की जांच अब आगरा की टेक्निकल टीम करेगी। इसमें आगरा के चीफ इंजीनियर और एक्सईएन के साथ कई अधिकारी शामिल किए गए हैं। जांच के लिए यह टीम अलीगढ़ आ चुकी है।
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बिजली अधिकारियों के अनुसार शनिवार को ही यह जांच टीम अलीगढ़ आ गई थी। लेकिन वर्कशॉप में आग के कारण सारी चीजें अस्त व्यस्त हो चुकी हैं। वर्कशॉप का टीन शेड भी गिर गया है, जिसके कारण टीम अंदर नहीं जा सकी और शनिवर को जांच शुरू नहीं हो पाई। अब यह टीम रविवार से अपनी विस्तृत जांच शुरू कर देगी।
वर्कशॉप में शुक्रवार को लगी थी आग
सारसौल स्थित बिजली विभाग की वर्कशॉप में 20 दिसंबर की सुबह लगभग 4:30 बजे आग लग गई थी। वर्कशॉप के अंदर तेल से भरे ट्रांसफार्मर और भारी मात्रा में ट्रांसफार्मर का तेल रखा हुआ था। जब यह तेल आग की जद में आया तो आग और बढ़ गई।
देखते ही देखते आग ने विकराल रूप ले लिया था और तेज धमाकों के साथ आग की लपटें निकलने लगी थी। वर्कशॉप मे मौजूद गार्ड और स्टोर कीपर अपनी जान बचाकर वहां से दूर भाग गए थे और अधिकारियों को सूचना दी थी। मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ियों ने 8-9 घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया था।
एक सप्ताह में सौंपी जाएगी रिपोर्ट
वर्कशॉप में शनिवार को जांच शुरू नहीं हो सकी। गिरे हुए टीन शेड के कारण आगरा से आई विशेषज्ञों की टीम बस मौका मुआयना करके ही वापस चली गई। पूरे दिन वर्कशॉप में जेसीबी से टीन शेड को हटाने और कैंपस को साफ करने का काम चलता रहा। अब टीम रविवार को जांच करेगी और एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। वहीं फायर ब्रिगेड की टीम भी मामले की जांच कर रही है। फायर अधिकारियों ने प्रथम दृष्टया शॉर्ट सर्किट को कारण बताया है।
15 करोड़ का नुकसान, 50 करोड़ का बीमा
वर्कशॉप में लगी आग के कारण विभाग लगभग 15 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान लगा रह है। अभी नुकसान का पूरा आंकलन भी नहीं हो पाया है। रिपोर्ट आने के बाद ही नुकसान का सही पता चल पाएगा। लेकिन विभाग के इस नुकसान की भरपाई हो जाएगी।
बिजली विभाग के एसडीओ संजय शर्मा ने बताया कि वर्कशॉप 50 करोड़ के बीमे से कवर है। यहां पर ट्रांसफार्मर और अन्य उत्पादों का करीब 40 करोड़ का बीमा है। वहीं मरम्मत उपकरण, केबल और अन्य चीजों का 10 करोड़ का बीमा है। बीमा कंपनी के अधिकारी भी अलीगढ़ आ चुके हैं और नुकसान का आंकलन कर रहे हैं। जिसके बाद विभाग को बीमा राशि दी जाएगी।