Aghan Amavasya and shaniwar yoga on 30 November, significance of margshirsh month amawasya, shani puja vidhi | अगहन अमावस्या और शनिवार का योग 30 नवंबर को: पितरों के लिए धूप-ध्यान के साथ ही शनिदेव के लिए भी करें तेल और काले तिल का दान

7 मिनट पहले

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इस साल अगहन अमावस्या दो दिन शनिवार (30 नवंबर) और रविवार (1 दिसंबर) को रहेगी। शनिवार और अमावस्या के योग में पितरों के लिए धूप-ध्यान करने के साथ ही शनि देव के लिए विशेष पूजा और दान-पुण्य करना चाहिए। इस बार अगहन मास की अमावस्या की तारीख को लेकर पंचांग भेद हैं, क्योंकि ये तिथि 30 नवंबर और 1 दिसंबर यानी दो दिन रहेगी। अमावस्या की शुरुआत 30 नवंबर की सुबह करीब 9.30 बजे होगी, ये तिथि 1 दिसंबर की सुबह करीब 11 बजे तक रहेगी।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शनिवार के आने वाली अमावस्या का महत्व काफी अधिक रहता है, इस दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान करने के साथ ही शनि देव के लिए भी विशेष धर्म-कर्म किए जाते हैं तो कुंडली के शनि दोषों का असर कम हो सकता है। जानिए इस दिन कौन-कौन से धर्म-कर्म किए जा सकते हैं…

  • शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक करने की परंपरा है। इसलिए शनिवार को सरसों के तेल से शनि प्रतिमा का अभिषेक करें। तेल में काले तिल भी डाल लेंगे तो बहुत शुभ रहेगा। तेल चढ़ाने के बाद शनि भगवान को काले-नीले वस्त्र और नीले फूल चढ़ाना चाहिए। ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करना चाहिए।
  • शनिवार और अमावस्या के योग में जरूरतमंद लोगों को सरसों का तेल, काले तिल, कपड़े, कंबल, जूते-चप्पल का दान करें। अभी ठंड का समय है तो ऊनी वस्त्रों का दान करना ज्यादा अच्छा रहता है।
  • मान्यता है कि हनुमान जी की पूजा से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। इसलिए शनिवार को हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।

रविवार और अमावस्या के योग में कर सकते हैं ये शुभ काम

रविवार को भी अमावस्या तिथि है, इसलिए इस दिन सुबह-सुबह सूर्य को जल चढ़ाएं। सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए। लोटे में जल भरें और जल में चावल, कुमकुम, फूल डालें। इसके बाद सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जप करते हुए सूर्य को जल अर्पित करें। सूर्य को जल चढ़ाने के बाद गुड़ और तांबे के लोटे का दान करना चाहिए।

महालक्ष्मी का विष्णु जी के साथ करें अभिषेक

अमावस्या पर महालक्ष्मी और भगवान विष्णु का भी अभिषेक करना चाहिए। अमावस्या पर ही देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, इस वजह से इस तिथि पर देवी लक्ष्मी का विष्णु जी के साथ अभिषेक करना चाहिए। अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें। इसके लिए शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और लक्ष्मी-विष्णु की प्रतिमाओं को स्नान कराएं। दूध के बाद स्वच्छ जल अर्पित करें। हार-फूल और नए वस्त्रों से भगवान का श्रृंगार करें। तुलसी के साथ मिठाई, माखन-मिश्री का भोग लगाएं। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें।

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