17 मिनट पहले
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19 और 20 नवंबर को अगहन अमावस्या (मार्गशीर्ष अमावस्या) है। तिथियों की घट-बढ़ की वजह से ये तिथि दो दिन रहेगी। मार्गशीर्ष मास को स्वयं भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है, जैसा कि भगवान ने श्रीमद्भगवद्गीता में कहा है- मासों में मैं मार्गशीर्ष हूं। इस कारण इस महीने की अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, अमावस्या तिथि 19 नवंबर की सुबह 09:43 बजे शुरू होगी और 20 नवंबर की दोपहर 12:16 बजे खत्म होगी। जो लोग उदयातिथि के अनुसार ये पर्व मनाते हैं, वे 20 नवंबर स्नान-दान कर सकते हैं। पितृ कर्म जैसे श्राद्ध और तर्पण करना चाहते हैं तो 19 नवंबर की दोपहर में ये कर्म किए जा सकते हैं।
अगहन अमावस्या से जुड़ी मान्यताएं
- अगहन अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या दीपावली जैसा ही है। इस तिथि पर किए गए धर्म-कर्म से भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और पितरों की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
- ये तिथि विशेष रूप से पितरों को समर्पित है। मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर पितर देवता पितृलोक से धरती पर आते हैं और अपने कुटुंब के लोगों के घर जाते हैं। इसलिए इस दिन श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान कर्म करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें अमावस्या पर पितरों से जुड़े धर्म-कर्म जरूर करना चाहिए।
- इस तिथि पर गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। जो लोग नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं, वे घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान के समान पुण्य मिल सकता है।
- इस दिन अपने इष्टदेव की पूजा करें। मंत्र जप करें। अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करें।
- मार्गशीर्ष मास भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय मास है, इसलिए इस दिन उनकी विशेष पूजा जरूर करें। पूजा में कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। बाल गोपाल का अभिषेक करें। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं।
- अमावस्या पर चंद्र देव की पूजा का भी विधान है। इस दिन शिवलिंग पर विराजित चंद्र देव की विशेष पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से कुंडली के चंद्र दोषों का असर कम होता है।
- इस दिन महालक्ष्मी और भगवान विष्णु का पूजन करना भी शुभ होता है, ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। पितरों की कृपा पाने के लिए गाय, कुत्ता, कौवा, देव आदि के लिए भोजन निकालना चाहिए। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, कंबल, गुड़, घी, तिल, तिल के लड्डू, या धन का दान करें।
- पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु और पितरों का वास माना जाता है। अगहन अमावस्या पर पीपल के पेड़ पर कच्चा दूध और जल चढ़ाएं। शाम के समय पीपल के नीचे सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं और परिक्रमा करें।
