Agahan Amavasya on 30 November: rituals about amawasya in hindi, margshirsh amawasya on 1st December | आज अगहन अमावस्या: सूर्य और चंद्र रहेंगे वृश्चिक राशि में: अमावस्या पर सूर्य-चंद्र रहते हैं एक राशि में, जानिए इस तिथि पर कौन-कौन से शुभ काम कर सकते हैं

50 मिनट पहले

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आज (30 नवंबर) अगहन यानी मार्गशीर्ष मास की अमावस्या है। इस बार तिथियों की घट-बढ़ की वजह से कल यानी 1 दिसंबर को भी अमावस्या रहेगी। हिन्दी पंचांग में एक महीने में दो पक्ष होते हैं। एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष। एक पक्ष 15 दिनों का होता है। कृष्ण पक्ष में चंद्र घटता है और अमावस्या पर पूरी तरह से अदृश्य हो जाता है। शुक्ल पक्ष में चंद्र की कलाएं बढ़ती हैं यानी चंद्र बढ़ता है और पूर्णिमा पर चंद्र पूरा दिखाई देता है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शास्त्रों में चंद्र की कुल सोलह कलाएं बताई गई हैं। इन कलाओं में सोलहवीं कला का नाम अमा है। अमावस्या तिथि पर नाम चंद्र की इसी कला के नाम पर पड़ा है। इस तिथि पर सूर्य-चंद्र एक साथ एक ही राशि में रहते हैं। 30 नवंबर और 1 दिसंबर को ये दोनों ग्रह वृश्चिक राशि में रहेंगे।

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अमा षोडशभागेन देवि प्रोक्ता महाकला। संस्थिता परमा माया देहिनां देहधारिणी।।

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ये स्कंदपुराण का श्लोक है, इसमें बताया गया है कि अमा चंद्र की महाकला है, इसमें चंद्र की सभी सोलह कलाओं की शक्तियां रहती हैं। इस कला का न तो क्षय होता है और न ही उदय होता है।

अमावस्या तिथि के स्वामी है पितर देवता

शास्त्रों में पितर देवताओं को अमावस्या का स्वामी बताया गया है, इसलिए इस तिथि पर पितरों के लिए धूप-ध्यान, पिंडदान, श्राद्ध-तर्पण आदि धर्म-कर्म करने की परंपरा है। घर-परिवार के मृत सदस्यों को पितर माना जाता है। अमावस्या पर परिवार के मृत सदस्यों को याद करते हुए उनके पर पर धूप-ध्यान और दान करते हैं।

मान्यता है कि ऐसा करने से मृत सदस्य की आत्मा को यमलोक में भोजन और सुख मिलता है। आत्मा तृप्त होकर अपने कुटुम्ब के लोगों को आशीर्वाद देती है। पितरों के आशीर्वाद से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पितृ दोष दूर करने के लिए अमावस्या पर करना दान-पुण्य चाहिए। इस दिन किए गए दान-पुण्य से कुंडली के पितृ दोष का असर कम होता है।

अमावस्या पर कर सकते हैं ये शुभ काम

  • अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है। इस दिन किसी नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो अपने घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान के समान पुण्य मिलता है।
  • स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। अमावस्या पर सूर्य के नाम पर गुड़ का दान करना चाहिए।
  • इस दिन किसी शिव मंदिर जाएं और तांबे के लोटे में जल भरकर शिवलिंग का अभिषेक करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। जल चढ़ाने के बाद शिवलिंग पर चंदन का लेप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, गुलाब आदि चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
  • हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • इस दिन महालक्ष्मी का विष्णु जी के साथ अभिषेक करना चाहिए। अमावस्या तिथि पर देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं, इसी वजह से हर अमावस्या पर लक्ष्मी पूजा करने की परंपरा है।
  • अमावस्या पर चंद्र देव की भी पूजा करनी चाहिए। शिव जी के मस्तक पर विराजित चंद्र और चंद्र देव की प्रतिमा की पूजा इस दिन की जा सकती है। शिव जी के साथ ही चंद्र देव का भी अभिषेक करना चाहिए।

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