After Malwa, preparations for Dashmesh Canal in Punjab | पंजाब में दशमेश नहर की तैयारी: जल संसाधन विभाग ने जिलों से मांगे जमीन के रिकॉर्ड, पानी की समस्या का होगा समाधान – Punjab News


पंजाब में अब दशमेश नहर को बनाने के लिए तैयारी शुरू हो गई है। जल स्त्रोत विभाग से जमीनों का रिकॉर्ड मांगा।

पंजाब के तीन जिलों रूपनगर, पटियाला और मोहाली में पानी की किल्लत आने वाले समय में दूर हो सकती है। पंजाब सरकार ने मालवा नहर के साथ दशमेश नहर बनाने की रणनीति शुरू कर दी है। जल संसाधन विभाग ने रूपनगर, पटियाला और मोहाली के 58 गांवों का जमीन का रिकॉर्ड मां

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रिकॉर्ड हासिल करने के लिए नहर पटवारियों की ड्यूटी लगाई गई है। पहले यह नहर मोहाली शहर में आने वाले गांवों से होकर गुजरनी थी। लेकिन अब विभाग ने बनूड़ के नजदीक के गांवों का रिकॉर्ड तलब किया है।

विधानसभा में उठाया गया था पानी की कमी का मुद्दा

इस संबंध में होशियारपुर के उपमंडल अधिकारी की ओर से पत्र जारी किया गया है। इसके बाद यह प्रक्रिया शुरू हो गई है। हालांकि, दशमेश नहर का मामला पंजाब विधानसभा में उठाया जा चुका है। क्योंकि डेराबस्सी से सटे करीब 50 गांव हर साल सूखे की मार झेलते हैं।

इससे वहां के लोगों को पीने के पानी की दिक्कत होती है, वहीं फसलें भी प्रभावित होती हैं। हालांकि, उस समय सरकार ने कहा था कि अभी नहर बनाने की कोई योजना नहीं है।

1989-90 में बनी थी नहर योजना

पटियाला, मोहाली, फतेहगढ़ साहिब जिलों की 3.21 लाख एकड़ जमीन को सिंचाई के लिए 900 क्यूसेक पानी उपलब्ध कराने की योजना के तहत 1989-90 में 24 हजार से 40 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन का अधिग्रहण किया गया था। एवाईएल नहर के विवाद में आने के बाद उस समय स्वर्गीय कैप्टन कंवलजीत सिंह ने दशमेश नहर की योजना बनाई थी।

वहीं एसवाईएल की दो योजनाएं अपर ब्रांच और लोअर ब्रांच नहर को नया नाम दशमेश नहर देने के लिए केंद्रीय जल आयोग को भेजा गया था। लेकिन नाम खारिज कर दिया गया। लेकिन अब इस योजना को फिर से शुरू करने पर विचार किया जा रहा है। इसके पीछे कारण यह भी है कि पंजाब में पानी का स्तर 600 फीट से नीचे चला गया है।

हालांकि इस परियोजना को लेकर सालों से मांग उठ रही है। 2019 में पिछली कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में कहा था कि नहर को लेकर समस्या पंजाब से नहीं बल्कि हरियाणा से आएगी। क्योंकि यह मामला फिर से जल आयोग के पास जाएगा। क्योंकि एसवाईएल लिंक से ही पानी उठाना है। ऐसे में हमें नए सिरे से अपना पक्ष रखना होगा। हालांकि उस समय इस मामले को लेकर एक कमेटी भी बनाई गई थी।

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