राजस्थान में इस बार दिवाली पर 500 से ज्यादा लोग पटाखों से जल गए। जयपुर में आंकड़ा 200 के पार रहा। सवाई मान सिंह (SMS) हॉस्पिटल में करीब 150 लोग इलाज के लिए पहुंचे। इनमें से 15 से ज्यादा केस ऐसे थे, जिनका ऑपरेशन करना पड़ा। एक बच्चे की आंख की रोशनी चली
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पीड़ितों के परिवार ने बताया- घर में दिवाली के लिए की गई सारी तैयारी रखी रह गई। पूरी रात बच्चों को एक हॉस्पिटल से दूसरे हॉस्पिटल लेकर भागते रहे। दिवाली के दिन ही जिंदगी में अंधेरा हो गया।
दिवाली के दिन आखिर किस-किस तरह के केस आए, पढ़िए इस रिपोर्ट में…
नागौर के रहने वाले राजकुमार का SMS हॉस्पिटल में ऑपरेशन किया गया। साथ में मां बीना।
केस 1- नागौर के राजकुमार की एक आंख की रोशनी गई नागौर के नया मारुति के रहने वाले राजकुमार (10) एसएमएस अस्पताल में भर्ती हैं। यहां उनकी एक आंख का ऑपरेशन किया गया है। राजकुमार की मां बीना ने बताया- बेटा दिवाली की रात 8 बजे लक्ष्मी पूजन के बाद घर के बाहर अन्य बच्चों के साथ पटाखे जला रहा था। उसके हाथ में पटाखा था। पड़ोस के बच्चे ने उसमें आंख लगा दी। पटाखा फटने से निकली चिंगारी आंखों में चली गई। इसके बाद राजकुमार रोने लगा। गांव के लोग इस घटना के बाद मौके पर जुटे।
पड़ोसी राजकुमार को तुरंत गांव के डॉक्टर के पास लेकर पहुंचे। उन्होंने तुरंत एसएमएस जाने की सलाह दी। इसके बाद राजकुमार को लेकर यहां पहुंचे। यहां डॉक्टर ने बताया- बारूद और कुछ नुकीली चीज जाने के कारण बच्चे की आंख का ऑपरेशन होगा। ऑपरेशन के बाद भी डॉक्टर ने बोला है कि अब सिर्फ एक आंख से ही देख पाएगा।
उन्होंने कहा- हमें पता नहीं था कि राजकुमार की आंख पर इतनी गंभीर चोट आई है। दिवाली की रात हमारे घर पर मिठाई और माता लक्ष्मी को चढ़ाने वाले गन्ने लेकर आए थे। आज भी घर पर वहीं रखे हुए हैं। पूरी दिवाली एसएमएस हॉस्पिटल में गुजारी है।
डॉक्टर बोले- एक आंख से ही देख पाएगा SMS हॉस्पिटल में ऑप्थेल्मोलॉजी डिपार्टमेंट (नेत्र रोग विभाग) के एचओडी और सीनियर प्रोफेसर डॉ. पंकज शर्मा ने बताया- राजकुमार की एक आंख का ऑपरेशन किया गया है। राजकुमार की बाईं आंख लगभग पूरी खराब हो चुकी है। अब वह सिर्फ एक आंख से ही देख पाएगा।
एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती आरुषि।
केस 2- दूसरे बच्चे हाथ से फेंककर फोड़ रहे थे पटाखे, बच्ची की आंख में गए चरक भवन में अजमेर के किशनगढ़ तहसील के गांव देवता की रहने वाली आरुषि (9) भर्ती है। आरुषि की मां बबीता ने बताया- आरुषि पूरे परिवार के साथ पटाखे चलाने घर के आंगन में गई थी। अन्य बच्चे छोटे लाल बम हाथ से फेंककर छुड़ा रहे थे। आरुषि दूर बैठकर पटाखे देख रही थी। लाल बम का जलता हुआ हिस्सा आरुषि की आंख में गया। आरुषि जोर-जोर से रोने लगी। आंख से खून निकलने लगा। परिवार आरुषि को किशनगढ़ हॉस्पिटल लेकर पहुंचा। इलाज के लिए अलवर रेफर किया गया। हम अलवर हॉस्पिटल पहुंचे। वहां से इलाज के लिए जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल रेफर किया गया।
बबीता ने बताया- बेटी को उन्हीं कपड़ों में अस्पताल लेकर पहुंची, जो दिवाली पूजन के समय पहन रखे थे। बच्चों ने लक्ष्मी पूजन पर चढ़ाए जाने वाली मिठाई खाने को मांगी थी, तब कहा था कि अभी थोड़ा सब्र रखो। सबको थोड़े समय के बाद में यह मिठाई खिलाई जाएगी। वह मिठाई पूजन स्थान पर रखी रह गई।
एक आंख खराब हुई बबीता ने बताया- 31 अक्टूबर को आरुषि को अजमेर के राजकीय अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। 1 नवंबर को जयपुर के एसएमएस में रेफर कर दिया गया। यहां उसकी दाईं आंख का ऑपरेशन हुआ है। डॉक्टर ने बताया- बच्ची की एक आंख खराब हो गई है। इलाज अभी जारी है।
मां ने बताया- गांव में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की कक्षा पांचवीं में पढ़ती है। घर का आंगन हमेशा बच्चों भरा रहता था, लेकिन दिवाली की रात से आंगन सूना है। आरुषि अपने छोटे भाई राजीव के साथ खेलती थी। अब आरुषि का छोटा भाई अपनी बहन के बिना घर के किसी कोने में चुपचाप बैठा है।
डॉक्टर बोले- एक आंख का ऑपरेशन किया गया है डॉ. पंकज शर्मा ने बताया- आरुषि की एक आंख का ऑपरेशन किया गया है। उनकी रोशनी आने की उम्मीद है। इलाज में महीनों लग जाते हैं। इलाज के बाद ही तय हो पाएगा कि आरुषि दोनों आंखों से देख पाएगी या इस केस में भी उनकी एक आंख खराब हो गई।
निवाई (टोंक) की रहने वाली लाली एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती है। लाली की बहन और देवरानी अर्चना उनकी देखरेख के लिए हैं।
केस 3- युवक के फेंके पटाखे से घायल हुई महिला टोंक के निवाई की रहने वाली लाली (45) गैस भैरू की सवारी देखने निकली थी। पटाखे से उनकी एक आंख जख्मी है। लाली की बहन और देवरानी अर्चना ने बताया- गोवर्धन पूजा वाले दिन 2 नवंबर को लाली गैस भैरू की सवारी देखने के लिए घर से निकली थी। इस दौरान स्थानीय युवक ने एक पटाखा फेंका। इसकी चिंगारी आंख में चली गई। परिवार उन्हें इलाज के लिए निवाई स्थित अस्पताल में भर्ती करवाया। इलाज के दौरान उनकी आंखों से खून निकलना बंद नहीं हुआ। इसके बाद टोंक के हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। 3 नवंबर को टोंक से जयपुर के एसएमएस में भर्ती करवाया गया। 5 नवंबर को ऑपरेशन हुआ।
अर्चना ने बताया- उनकी जेठानी खेती-बाड़ी करती हैं। इस बार उनकी दिवाली में गांव के युवक ने अंधेरा कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस युवक ने पटाखा फेंका था, उसके परिवार ने इलाज के खर्चे की जिम्मेदारी लेने का आश्वासन दिया था। अब वह परिवार अपनी बातों से मुकर गया है।
डॉक्टर बोले- आंख निकालनी पड़ी डॉ. पंकज शर्मा ने बताया- लाली की एक आंख पूरी तरह से खराब हो चुकी है। ऐसे में उसे ऑपरेशन करके हटाया गया है। अब लाली सिर्फ एक आंख से देख पाएगी। उनके केस में यदि कोई आई डोनेट करे तो वह दोनों आंखों से देख सकेंगी।
एसएमएस हॉस्पिटल में भर्ती किशनगढ़ (अजमेर) का रहने वाला करण सिंह।
केस 4- चेहरा खून से लथपथ हुआ किशनगढ़ के मोटू गांव के रहने वाले करण सिंह (9) के परिवार ने 1 नवंबर को दिवाली मनाई थी। करण सिंह दिवाली पूजन के बाद घर के आंगन में पटाखे जला रहा था। मां जंगीरा कंवर ने पटाखे जलाने के लिए मना किया। करण आंगन से बाहर जाकर पटाखे जलाने लगा। बम के ऊपर कटोरी रखकर छुड़ा रहा था। एक बम में आग लगाने के बाद वो जला नहीं। करण देखने पास पहुंचा। बम एकदम से फट गया। करण रोने लगा। आवाज सुनकर उमौसी शीला बाहर पहुंची। करण का चेहरा खून से लथपथ था। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी की करण की आंख पर भी चोट आई है।
मौके पर गांव के लोग एकत्रित हो गए। किशनगढ़ हॉस्पिटल लेकर गए। अजमेर हॉस्पिटल ले जाने के लिए कहा गया। अजमेर हॉस्पिटल में भर्ती नहीं किया गया। गंभीर चोट बताते हुए उसे जयपुर ले जाने की सलाह दी। एसएमएस के नेत्र रोग केंद्र में 3 नवंबर को ऑपरेशन हुआ। डॉक्टर ने बताया- एक आंख बच गई। आंख के पास मामूली चोट आई है। इसका इलाज संभव है। एक आंख का ऑपरेशन किया गया है, जो की गंभीर रूप से घायल हुई है। उम्मीद है कि दोनों आंखें ठीक हो जाएंगी। इलाज में अब लंबा समय लगेगा। बम के धमाके के कारण सिर पर भी चोट लगने से टांकें आए हैं। करण क्लास 3 का छात्र है। पिता नहीं हैं। करण की मां पीहर में अपने पिता के घर रहती हैं।
डॉक्टर बोले- आंख ठीक हो जाएगी, लेकिन लंबा समय लगेगा डॉ. पंकज शर्मा ने बताया- करण सिंह की दोनों आंखें बारूद से जख्मी हुई थीं। एक आंख बच गई। इस पर हल्की सूजन थी। इसकी सामान्य सर्जरी की गई है। दूसरी आंख का ऑपरेशन किया गया है। करण के टांके लगाए गए हैं। उनकी रोशनी को लेकर इलाज में समय लगेगा। आंख ठीक हो जाएगी।
धौलपुर की रहने वाली भावना 31 अक्टूबर की शाम को पटाखा जलाते समय घायल हो गई थी।
केस 5- भावना की कुछ समय पहले हुई थी सगाई धौलपुर की रहने वाली भावना (19) पटाखे की चपेट में आने से झुलस गई। चेहरा और गर्दन पूरी तरह से जल गए। आंख की रोशनी चली गई। भावना के पिता समुंदर सिंह ने बताया- दिवाली के दिन 31 अक्टूबर की शाम 6:30 बजे भावना भी परिवार के बच्चों के साथ पटाखे जला रही थी। कुछ बम फूटे नहीं थे, जिन्हें खोलकर बच्चों ने बारूद एकत्रित किया था। उसके ऊपर माचिस से चिंगारी लगाई गई थी। इस दौरान बारूद से आग और चिंगारी निकली। भावना का चेहरा और गर्दन चपेट में आ गया। इससे झुलस गई। बच्चे चिल्लाने लगे तो परिवार के लोग मौके पर पहुंचे।
परिवार के लोग उसे लेकर स्थानीय हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। वहां से जयपुर एसएमएस हॉस्पिटल ले जाने की राय दी गई। परिवार भावना को लेकर जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल पहुंचा। यहां भावना की दोनों आंखों का ऑपरेशन किया गया। बर्न वार्ड में भावना के जले हिस्से पर पट्टी की गई।
भावना के पिता समुंदर सिंह ने बताया- हादसे के कारण परिवार इतने सदमे में था कि इधर-उधर भटकते रहे। इस बीच पूरे परिवार ने दिवाली पर लक्ष्मी पूजन भी नहीं किया। बच्चे भी इस हादसे से सदमे में हैं। उन्होंने बताया कि भावना 12वीं कक्षा की छात्रा है। भावना की कुछ समय पहले ही सगाई हुई थी। अब इस हादसे ने हमें डरा दिया है। भावना के पिता समुंदर सिंह किसान हैं।
भावना की एक आंख पूरी तरह खराब हुई डॉक्टर पंकज शर्मा ने बताया- सबसे टिपिकल केस भावना का था। भावना बारूद से इतनी झुलसी की चेहरा, गर्दन और दोनों आंखें जल गईं। भावना की दोनों आंखों का ऑपरेशन किया गया है। इसमें भावना की एक आंख पूरी तरह से खराब हो चुकी है। दूसरी आंख का इलाज अभी जारी है। भावना की एक आंख ठीक होने की पूरी उम्मीद है, लेकिन उसमें समय लगेगा।
डॉक्टर बोले- चोट लगने में सेकेंड नहीं लगते, घाव भरने में महीनों एसएमएसस में ऑप्थेल्मोलॉजी डिपार्टमेंट (नेत्र रोग विभाग) के एचओडी और सीनियर प्रोफेसर डॉ. पंकज शर्मा ने बताया- ऐसे केसों में चोट लगने में सेकेंड नहीं लगते, लेकिन घाव भरने में महीनों लग जाते हैं। पटाखों से जलने वाले ज्यादातर केस बच्चों के होते हैं। कई बार पटाखों से घायल में 20 से 60 साल तक के मरीज भी आते हैं। जो स्वयं की गलती से नहीं बल्कि किसी और की गलती का शिकार होते हैं।
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