जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के एक्यूट केयर वार्ड में भी आग लगने से एक एचआईवी पीड़ित महिला झुलस गई। महिला का पूरा चेहरा जल गया। जिसे 15 से 20 फीसदी जलना माना गया। घटना के बीच रेजिडेंट डॉक्टर अन्यत्र वार्ड में था, उसके आने के तुरंत 15 मिनट बाद मरीज
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अस्पताल प्रशासन ने आग का कारण पीड़िता के पति का बीड़ी पीना माना है, जबकि पति ने इस आरोप को गलत बताया है। उसका कहना है कि ऑक्सीजन मास्क में खुद ही आग प्रवाहित हो गई और उसकी पत्नी जल गई। घटना की जानकारी सीएमओ व अधीक्षक कार्यालय में समय पर नहीं भेजने के आरोप पर अस्पताल प्रशासन ने चार कार्मिकों पर एक्शन लिया है। जिसमें स्थाई नर्स को एपीओ किया गया है। अस्थाई, गार्ड, बाईजी व नर्स को अस्पताल से हटा दिया है। अस्पताल अधीक्षक डॉ. किशोरिया ने जांच कमेटी गठित की है। जो दो दिन के भीतर रिपोर्ट सौंप देगी।
अस्पताल प्रशासन ने जानकारी सीएमएओ डेंटल डॉक्टर जयनारायण को भी वार्ड से कोई सूचना नहीं दी गई। इस मामले में अस्थाई कार्यरत गार्ड अरविंद, बाईजी परवीन व मेल नर्स रवि को हटाया गया। स्थाई नर्सिंग अधिकारी नर्बदा को डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के लिए एपीओ कर दिया गया।
“अगर वायरिंग जलती तो कुछ आसपास काला होता है। ऐसा कुछ वार्ड में नहीं दिखा है। बीडी-माचिस तिल्ली भी वार्ड में मिली है। यदि कुछ हुआ है तो बायोमेडिकल इंजीनियर जांच में बता देंगे। हमने जांच कमेटी गठित की है।” – डॉ. नवीन किशोरिया, अधीक्षक एमडीएम अस्पताल
पति का आरोप- पाैन घंटे तक कोई सुध लेने नहीं आया
पाली जिले के एक गांव की निवासी महिला एचआईवी के साथ क्रोनिक लीवर डिजीज भी है। पति-पुत्र ने आरोप लगाया कि उनकी आंखों के सामने ही ऑक्सीजन से आग लग गई थी। आधे घंटे से भी अधिक समय के बाद वार्ड में तैनात नर्स व कर्मचारी उनकी सुध लेने आए।
वार्ड में मिली बीड़ी-माचिस की जली तिल्लियां
वार्ड में बीड़ी भी मिली । इसकी फोटोज भी सामने आए हैं। लेकिन पति वार्ड में बीड़ी नहीं पीने का हवाला दे रहा है। उसने कहा कि वह बीड़ी पीता है, लेकिन वार्ड में बीड़ी नहीं पी। पीड़िता के पुत्र ने कहा कि दो दिन पहले मां को लगाए गए चिकित्सा उपकरण से उसको करंट आया था। लेकिन अस्पताल के डॉक्टर्स व नर्स के डर के कारण उसने यह बात छिपाई।