A person left his law practice and started making vermi-compost | वकालत छोड़ व्यक्ति ने शुरू किया वर्मी-कंपोस्ट बनाने का काम: आज 10 से 15 लाख रुपये हो रही कमाई, प्रगतिशील किसान सुनील वर्मा ने वर्मी कंपोस्ट से बनाई पहचान – Barabanki News

आज के समय में किसान खेती-किसानी में जैविक खाद का उपयोग कर रहे हैं, क्योंकि खेत से लेकर किचन गार्डन तक, हर किसी की कोशिश पौष्टिक फल-सब्जी उगाने की है। लोगों में बढ़ती जागरूकता के कारण अब ऑर्गेनिक सब्जियों और अन्न की भी मांग तेजी से बढ़ रही है।

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प्रगतिशील किसान सुनील वर्मा ने बताया- वर्मी कंपोस्ट खाद का काम उनके पिता ने 2008 में कृषि विभाग से ट्रेनिंग लेकर शुरू किया था। उन्हें इसमें कुछ अनुदान भी मिला था। उनके पिता की इच्छा थी कि रासायनिक व कीटनाशक जहर का कम से कम उपयोग हो और एक प्राकृतिक खेती की जाए।

सुनील ने 2020 में लॉ की पढ़ाई की और हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की, लेकिन उन्होंने सोचा कि वकालत से अच्छा है कि अपना खुद का बिजनेस किया जाए। यह हितार्थ वाला काम है, इसलिए उन्होंने प्राकृतिक खेती के तहत जीवा अमृत, घन जीवा अमृत, वर्मी कंपोस्ट आदि बनाने के साथ प्राकृतिक खेती करने का निर्णय लिया।

सुनील वर्मा का कहना है कि इसमें उन्हें डबल मुनाफा हो रहा है। वे जो खाद बनाते हैं, उसकी काफी ज्यादा डिमांड है, जिससे उन्हें साल में 10 से 15 लाख रुपए का मुनाफा हो जाता है। साथ ही वे करीब 2 एकड़ में फल व सब्जियों की खेती भी करते हैं।

वर्मी कंपोस्ट का बिजनेस आप 50 हजार रुपये की लागत से भी शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा सरकार इस पर अनुदान भी देती है। इसमें सबसे ज्यादा खर्च केंचुओं पर आता है, क्योंकि केंचुए लगभग एक हजार रुपये किलो मिलते हैं। लेकिन खास बात यह है कि केंचुए बहुत तेजी से बढ़ते हैं और लगभग तीन महीने में दोगुने हो जाते हैं। केंचुओं के अलावा आपको गोबर, प्लास्टिक शीट और धान की पराली भी खरीदनी होगी। इन चीजों के ज्यादा महंगा नहीं होने के कारण इन पर आपको ज्यादा खर्च नहीं आएगा।

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