बांका के नवादा का रहने वाला ट्रैफिक सिपाही धनंजय पिछले पांच साल से कर रहा नेक काम
इधर आइए, बिना हेलमेट लगाए कहां जा रहे हैं। गाड़ी में हेलमेट है या नहीं। कुछ इसी अंदाज में ट्रैफिक पुलिस का एक जवान बिना हेलमेट के चलने वाले दो पहिया वाहन चालकों को रोकत
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दरअसल, नेकी का यह काम धनंजय की जिदंगी का हिस्सा तब बन गया, जब साल 2018 में उनके दाेस्त रंजीत कुमार की सड़क हादसे में जान चली गई थी। दोस्त की मौत हेलमेट नहीं पहनने की वजह से हुई। धनंजय काे मलाल है कि अगर दाेस्त ने हेलमेट पहना हाेता है ताे आज वे उनके बीच रहते। इसलिए धनंजय ने प्रण लिया कि अब सड़क पर जाे भी बिना हेलमेट के दिखेंगे, उन्हें हेलमेट जरूर देंगे। पहले उसने बांका जिले में हेलमेट बांटा। इसी साल भागलपुर में ट्रांसफर होने के बाद से यहां भी मुफ्त में हेलमेट बांट रहा है।
धनंजय ने कहा कि मेरी यही कोशिश रहती है मेरे प्रयासों से लोगों की जिंदगी सुरक्षित रह सके। अब तक तीन हजार हेलमेट बांटा है। इस बात की खुशी है मेरी छोटी सी कोशिश से तीन हजार लोग सफर में सुरक्षित हुए हैं। जहां तक संभव होगा, मैं अपनी कोशिश जारी रखूंगा। बिना हेलमेट के चलने वाले लोगों से मेरा अनुरोध है कि वे एेसा न करें। धनंजय लोगों से अपील भी करते हैं कि वे अपनी जान की सलामती के लिए खुद जिम्मेदार हैं। इसलिए हेलमेट पहना करें।
अब तक दस हजार से अधिक पौधे भी बांटे
धनंजय मुफ्त हेलमेट के साथ-साथ पर्यावरण को लेकर भी सजग है। उन्होंने अब तक मुफ्त में दस हजार से अधिक पौधे लोगों के बीच बांटे हैं। धनंजय ने बताया कि मैं सड़कों पर ट्रैफिक की ड्यूटी करता रहा हूं। पेड़ की कमी के कारण तेज गर्मी में लोगों का जीना मुश्किल हो रहा है। इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए मेरा छोटा सा प्रयास है। मैं दस रुपए में नर्सरी से पौधे लेता हूं। कई लोग बड़ी उत्सुकता से पौधे मांगकर लेते हैं। इसी बहाने अगर कुछ लोग पौधा लगाते हैं तो इससे पर्यावरण को बचाने में मदद मिलेगी।