There is no ASI excavation team in the state | प्रदेश में एएसआई की उत्खनन टीम नहीं: बीना के पास स्थित एरण में 3900 साल पुराना महल साढ़े तीन साल में भी नहीं निकाल सके – Bina News


ये है एरण। प्राचीन नाम- एरिकिण। गुप्तकाल के शासक समुद्रगुप्त की 3900 साल पुरानी नगरी। ये मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के समकालीन है। अंतर इतना है कि मोहनजोदड़ो-हड़प्पा की सालों पहले खुदाई की और 2500 ईसा पूर्व की सभ्यता को दुनिया के सामने ले आए लेकिन यहां के महल

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क्योंकि मप्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की उत्खनन शाखा ही नहीं है। इसके लिए पूरा मप्र नागपुर की उत्खनन टीम पर आश्रित है। उन्होंने साढ़े 3 साल से यहां कदम तक नहीं रखा। सागर जिले के बीना में स्थित एरण में उत्खनन की अनुमति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की नागपुर टीम को जनवरी 2021 में मिली।

पुरातत्वविद डॉ. मनोज कुर्मी के निर्देशन में गढ़ी के पास 10 मीटर लंबे और 10 मीटर चौड़े क्षेत्र में खुदाई की। इसके बाद बड़े स्तर पर उत्खनन की तैयारी की। इसकी अनुमति भी मिल गई लेकिन काम शुरू नहीं किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जबलपुर मंडल के अधीक्षक डॉ. शिवकांत वाजपेयी ने कहा- यहां मॉन्युमेंट के कंजर्वेशन प्रिजर्वेशन को लेकर काम कर रहे हैं। दुनिया के पहले सती स्तंभ का कंजर्वेशन हमने ही कराया था। सती स्तंभ तक पहुंचने के लिए रास्ता है। इसे लेकर जिला प्रशासन से बात की जा रही है।

  • 3900 साल पहले : इस काल में यहां दशार्ण प्रदेश जिसकी राजधानी विदिशा रही है और शासक हिरण्यवर्मा का उल्लेख है। इसे वेदिक काल में बसाया, जिसे लेकर अज्ञातवास में पांडवों की कथाएं यहां प्रचलित हैं। दशान नदी बीना से मिलकर बेतवा पहुंचती है। इसी नदी से दशार्ण नाम पड़ा था।
  • 3000 साल पहले : 1760 ईपू में यहां निर्मित एक विशाल सुरक्षा दीवार और खाई के अवशेष हैं जिसे नवपाषाण कायथ और ताम्रपाषाण संस्कृति के लोगों ने बनवाया। क्योंकि अर्धचंद्राकार में नदी का बहाव है यह दीवार चौथी ओर से सुरक्षा करती थी।

यहां उत्खनन होता है तो इन सवालों के जवाब मिल सकेंगे

डॉ. हरीसिंह गौर विवि के पुरातत्व विभाग के प्रोफेसर डॉ. नागेश दुबे ने बताया- एरण में विवि ने दो बार शोध किया। यहां उत्खनन के बाद इस जगह की प्राचीनता को और अधिक प्रमाणित किया जा सकेगा। हमें मानव विकास को लेकर जानकारी मिलेगी। साम्राज्यों और शासकों की जानकारियां भी प्रमाण के साथ मिलेंगी।

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