मुंबई7 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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एक्ट्रेस और सांसद कंगना रनोट ने दैनिक भास्कर को इंटरव्यू दिया है। 6 सितंबर को उनकी फिल्म इमरजेंसी रिलीज हो रही है।
एक्ट्रेस और सांसद कंगना रनोट ने कहा कि अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं रहता तो किसान आंदोलन के दौरान पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता। कंगना ने कहा कि पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे। वहां रेप और हत्याएं हो रही थीं। किसान बिल को वापस ले लिया गया वर्ना इन उपद्रवियों की बहुत लंबी प्लानिंग थी। वे देश में कुछ भी कर सकते थे।
कंगना रनोट जल्द ही फिल्म इमरजेंसी में दिखाई देंगी। उन्होंने फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का रोल किया है। कंगना ने कहा कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी को भी यह फिल्म देखनी चाहिए। कंगना ने दावा किया है कि राहुल को यह फिल्म जरूर पसंद आएगी, अब भले ही वे इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार करें या नहीं।
कंगना रनोट ने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में महिला सुरक्षा को लेकर भी बात की। कंगना ने कहा कि वे हमेशा से इंडस्ट्री में आइटम नंबर्स का विरोध करती आई हैं। आइटम डांस में एक्ट्रेसेस को ऑब्जेक्टिफाय किया जाता है, जो कि काफी गलत है। दूसरी तरफ इससे समाज में गलत मैसेज भी जाता है।
कंगना रनोट का पूरा इंटरव्यू पढ़िए..
सवाल- आपको क्या लगता है कि कांग्रेस शासित राज्यों में फिल्म को किस लेवल का रिसेप्शन मिलेगा?
जवाब- यह फिल्म बहुत ईमानदारी से बनाई गई है। यहां किसी की खिलाफत वाली बात है ही नहीं। यहां तक कि राहुल गांधी को भी फिल्म बहुत पसंद आएगी। फिल्म देखने के बाद वे अंदर ही अंदर इसकी तारीफ करेंगे, लेकिन बाहर क्या बोलेंगे पता नहीं।
सवाल- आप खुद में इंदिरा जी की कुछ समानताएं देख पाती हैं? उनकी कोई एक बात जो आपको सही नहीं लगती?
जवाब- इमरजेंसी वाले चैप्टर को अगर भूल जाएं तो उनके व्यक्तित्व की एक खासियत थी कि वे अपने देश से बहुत प्यार करती थीं। वे सच में कुछ बदलाव तो चाहती ही थीं। आज कल के नेताओं में सत्ता की भूख तो है, लेकिन उन्हें अपने देश से प्रेम नहीं है।
वहीं उनकी खराब लगने वाली बात यह है कि वे खुद की फैमिली को ही आगे बढ़ाना चाहती थीं, जो मेरे हिसाब से सही नहीं है।
सवाल- अभी बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ जो हुआ, आम लोगों को लगता है कि इंडस्ट्री की तरफ से उस पर चुप्पी साध ली गई, क्या कहेंगी?
जवाब- दरअसल इन लोगों को कुछ जानकारी ही नहीं है। ये बस अपने धुन में सवार रहते हैं। सुबह से मेकअप करके बैठ जाते हैं, देश दुनिया में क्या हो रहा है, इससे कोई मतलब नहीं है। इनको लगता है कि अपना काम चलता रहे, देश जाए भाड़ में। हालांकि यह भूल जाते हैं कि अगर देश को कुछ हुआ तो नुकसान इन्हें भी उतना ही होगा।
आज हमारा शीर्ष नेतृत्व कमजोर होता तो बांग्लादेश जैसी स्थिति भारत में भी हो सकती थी। यहां किसान आंदोलन के दौरान क्या हुआ, वो सबने देखा। कैसे प्रोटेस्ट के नाम पर वॉयलेंस फैलाया गया। वहां रेप हो रहे थे, मारकर लाशों को लटकाया जा रहा था। जब उस बिल को वापस लिया गया तो ये उपद्रवी चौंक गए, क्योंकि उनकी प्लानिंग तो बहुत लंबी थी। उन पर समय रहते कंट्रोल पा लिया गया वर्ना कुछ भी कर सकते थे।
बांग्लादेश में बीते दिनों सरकार के खिलाफ आम जनता ने प्रदर्शन किया। नतीजतन प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा। सरकार गिरते ही वहां के अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले शुरू हो गए। हिंदुओं के मंदिरों और घरों को जलाया गया।
सवाल- कोलकाता में एक लेडी डॉक्टर के साथ जो हुआ, पूरे देश ने देखा। क्या आप संसद में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कुछ आवाज उठाएंगी?
जवाब- महिलाओं की सुरक्षा मेरे लिए हमेशा से एक चिंताजनक विषय रहा है। मैं इसे लेकर काफी गंभीर हूं। मेरी जितनी हैसियत है, मैंने हमेशा महिलाओं के सपोर्ट में आवाज बुलंद की है। आज से 10 साल पहले आमिर खान जी के शो सत्यमेव जयते में मैंने फिल्मों में हो रहे आइटम नंबर्स का खुला विरोध किया था। क्या एक महिला का शरीर सिर्फ मनोरंजन के लिए है?
सवाल- आपको लेकर एक माहौल बनाया जाता है कि कंगना के साथ काम करना बहुत मुश्किल है, इसका जवाब कैसे देंगी?
जवाब- यह मेरे खिलाफ यूज किया गया एक प्रोपेगैंडा है। जो लोग मुझसे और मेरे काम से इनसिक्योर हैं, वही ऐसी बातें करते हैं। लोगों को लगता है कि कंगना कुछ ज्यादा ही सच बोल देती है। खैर, मैंने इन लोगों के खिलाफ आवाज भी उठाई है।
मैंने इंडस्ट्री में फैले सेक्सिज्म, नेपोटिज्म और आइटम नंबर्स के खिलाफ हमेशा से ही बोला है। मीटू मूवमेंट के वक्त भी मैंने काफी लोगों के पोल खोले थे। सुशांत सिंह राजपूत के सुसाइड के वक्त भी मैंने काफी खुलासे किए, जिसकी वजह से काफी लोगों को मिर्ची लगी थी।
सवाल- क्या आपके लिए ऐसा कहा जा सकता है कि जब तक इंडस्ट्री के हिसाब से चल रही थीं, सब ठीक था। खुद का ओपिनियन देना शुरू किया तो बुरी बन गईं?
जवाब- मैं 2004 में मुंबई आई थी। 2006 में पहली फिल्म मिली। 2014 तक मुझे एक साधारण एक्ट्रेस के तौर पर देखा जाता था। इंडस्ट्री वालों का मुझे लेकर सकारात्मक रवैया था। 2014 के बाद जब मेरी फिल्में हिट होना शुरू हो गईं तो इनका दिमाग हिलने लगा। उन्हें लगा कि ये कौन बाहरी लड़की आकर अपनी जगह बना रही है। यह न तो बड़े बाप की बेटी है और न ही इंडस्ट्री में इसका कोई गॉडफादर है, फिर ये इतनी सफल क्यों हो रही है।
तनु वेड्स मनु रिटर्न्स के सुपरहिट होते ही ये और भी ज्यादा मेरे पीछे पड़ गए। मुझे गालियां देने लगे, चरित्र हनन करने लगे, मुझे साइको बुलाने लगे। मतलब जो लड़की उनके लिए 10 साल से नॉर्मल थी, वो अचानक साइको हो गई? करण जौहर, केतन मेहता और अपूर्व असरानी जैसे फिल्म मेकर्स हर रोज मेरे खिलाफ बयान देते थे।
यहां तक कि जिनसे मेरा सालों पहले ब्रेकअप हो गया था, वो भी मुझे नोटिस भेजने लगे। मुझे कहने लगे कि मैं उन्हें स्टॉक करती हूं, उन्हें अपनी माहवारी का खून पिलाती हूं। मुझ पर ऐसे-ऐसे इल्जाम लगाए गए थे, जो आप सपने में भी नहीं सोच सकते।
सवाल- आप हर वक्त बेखौफ होकर बोलती हैं, क्या आपके अपने लोग समझाते नहीं कि क्यों खुद का नुकसान कर रही हो?
जवाब- देखिए, मेरे परिजन बहुत साधारण जीवन जीते हैं। उन्हें किसी तरह का मोह नहीं है। वो तो बल्कि खुश हैं कि अब मैं गृहक्षेत्र मंडी में ज्यादा से ज्यादा वक्त बिता रही हूं। इसके अलावा कुछ शुभचिंतक जरूर ऐसा कहते हैं कि आपको हर चीज में फाइट नहीं करना चाहिए। उनकी बात कुछ हद तक सही भी है, मैं अब हर चीज में अकेले तो लड़ नहीं पाऊंगी।
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