लुधियाना में सिविल अस्पताल के नए SMO हरप्रीत सिंह चार्ज लेने से एक रात पहले अस्पताल की ग्राउंड रिपोर्ट चैक करने गुपचुप तरीके से पहुंचे।
लुधियाना में आज नए SMO डा. हरप्रीत सिंह ने सिविल अस्पताल में चार्ज लेना है। चार्ज लेने से पहले मंगलवार रात डा. हरप्रीत सिंह ने अस्पताल की ग्राउंड रिपोर्ट चैक की। करीब 1 घंटा वह अस्पताल में आम आदमी की तरह गुपचुप तरीके से घुमते रहे।
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डॉ. हरप्रीत सिंह ने किसी को भी अपनी पहचान नहीं बताई। उन्होंने अपनी गाड़ी भी सिविल अस्पताल की पार्किंग में लगाने की बजाय अस्पताल के बाहर की खड़ी कर दी। इसके बाद वह एक-एक करके अस्पताल की इमरजेंसी, मदर एंड चाइल्ड अस्पताल, मेल-फीमेल वार्ड, ब्लड बैंक व अन्य विभागों में घूमने लग गए। डा. हरप्रीत को अस्पताल में कई कमीयां मिली है। उन्होंने स्टाफ और डाक्टरों को सख्त आदेश दिए है कि मरीजों के साथ बेहद नरमी से व्यवहार किया जाए।
लुधियाना के सिविल अस्पताल में चैकिंग करने पहुंचे नए SMO डॉ. हरप्रीत सिंह।
चार्ज संभालने से जरूरी थी ग्राउंड रिर्पोट समझनी-डॉ. हरप्रीत
डॉ. हरप्रीत ने दैनिक भास्कर से बातचीत दौरान कहा कि बुधवार सुबह चार्ज संभालने के बाद उन्होंने अस्पताल के डॉक्टर्स व स्टाफ से मीटिंग आज करनी है। इस कारण जरुरी था कि पहले खुद एक आम व्यक्ति की तरह अस्पताल में घुम कर वहां के हालात जानना। सबसे जरूरी यही जानना था कि मरीजों के साथ स्टाफ किस तरह का बर्ताव करता है। यह भी जानना चाहते थे कि अस्पताल में कहां-कहां पर कोई समस्याएं हैं ताकि उनका हल किया जा सके।
अस्पताल में मिलने वाली सुविधाओं को किया जाए सुनिश्चित
डॉ. हरप्रीत ने कहा कि अस्पताल में सुविधाएं तो बढ़ाई ही जाएंगी लेकिन उससे पहले यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जो सुविधाएं उपलब्ध हैं, उनका मरीजों को लाभ जरूर मिले। इसके अलावा मरीजों को बेवजह रेफर करने से भी गुरेज करने को कहा जाएगा।
डॉ. हरप्रीत ने कहा कि अस्पताल में सीवरेज समेत कई डेवलपमेंट वर्क चल रहे हैं जिन्हें समय पर पूरा करवाया जाएगा। यह देखने को मिला है कि मरीजों को पीने के पानी की काफी समस्या है। सीवरेज सिस्टम का बुराहाल है जिसे जल्द सही भी करवाया जा रहा है। बेड की संख्या भी चैक करवाई जा रही है
SMO ने कोशिश की लेकिन स्टाफ पहचान लिया
यहां बता दें कि SMO ने पूरी कोशिश की कि यहां पर कोई उन्हें पहचान ना सके ताकि वह असल ग्राउंड रिपोर्ट हासिल कर सकें लेकिन डॉ. हरप्रीत सिंह करीब 17 साल तक सिविल अस्पताल में बतौर शिशु रोग विशेषज्ञ तैनात रह चुके हैं, इसलिए काफी स्टाफ ने उन्हें पहचान ही लिया।