Cancer Insurance | New India Assurance Medical Health Insurance Claim Case | हाईकोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी पर 50 हजार जुर्माना लगाया: फर्म का कैंसर पेशेंट को 11 लाख क्लेम देने से इनकार, HC बोला-4 हफ्ते में दें

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नई दिल्ली44 मिनट पहले

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दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी पर 50 हजार का जुर्माना लगाया है। असल में कंपनी ने ब्रेस्ट कैंसर की पेशेंट के 11 लाख के क्लेम को देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने इसे प्रताड़ना करार दिया।

हाईकोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी को आदेश दिया कि पेशेंट का क्लेम 4 हफ्ते में क्लीयर करें। जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद ने कहा कि मेडीक्लेम पॉलिसी में कोई अस्पष्टता नहीं होनी चाहिए। आपने 2 लाख की जो सब-लिमिट रखी है, वह कैंसर के इलाज कीमो-इम्यूनोथैरेपी के लिए पर्याप्त नहीं है।

हाईकोर्ट की 3 टिप्पणियां

  • बीमा लोकपाल की तरफ से पास फैसले का पूरी तरह पालन किया जाना चाहिए। इसी ने कंपनी को शिकायतकर्ता के दावों का निपटान करने का निर्देश दिया था।
  • अदालत ने बीमा कंपनी के वकील की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ता महिला के दावे का भुगतान पहले ही किया जा चुका है।
  • बीमा कंपनी पहले ही याचिकाकर्ता को 37 लाख रुपए का भुगतान कर चुकी है, इसे मौजूदा क्लेम के हिसाब से नहीं माना जा सकता। बीमा कंपनी को याचिकाकर्ता के दावे के अनुसार ही राशि का भुगतान करना होगा।

याचिका में कहा- ज्यादा लिमिट का हवाला देते हुए क्लेम देने से इनकार किया
महिला ने कंपनी से 44.5 लाख का इंश्योरेंस कवर लिया था। उनका ब्रेस्ट कैंसर की चौथी स्टेज का इलाज चल रहा था। कैंसर उनके दोनों फेफड़ों में फैल चुका था। महिला की कीमो और इम्यूनोथैरेपी चल रही थी।

महिला ने याचिका में कहा कि मैंने इंश्योरेंस पॉलिसी ली, लेकिन ज्यादा लिमिट का हवाला देते हुए क्लेम देने से इनकार कर दिया। महिला ने बीमा लोकपाल से भी शिकायत की थी। इलाज में खर्च हुए 11 लाख रुपए का क्लेम किया था, जिसकी अनुमति थी।

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दिल्ली HC बोला- स्कूल में AC का खर्च पेरेंट्स उठाएं:मैनेजमेंट पर आर्थिक बोझ नहीं डाल सकते, यह सुविधा लैब-स्मार्ट क्लास की तरह

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि स्कूल में एयर कंडीशनिंग (AC) का खर्च वहां पढ़ने वाले बच्चों के पेरेंट्स को उठाना होगा। AC बच्चों की सुविधा के लिए लगाया जाता है। इसलिए, इसका आर्थिक बोझ अकेले स्कूल मैनेजमेंट पर नहीं डाला जा सकता है।

कोर्ट ने 2 मई को एक पेरेंट्स की याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह टिप्पणी की। एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की बेंच ने कहा कि AC का चार्ज लैबोरेटरी और स्मार्ट क्लास के लिए दी जाने वाली फीस की तरह है। पूरी खबर पढ़ें…

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