Lakshya Sen Olympics Story Explained; Bronze Medal | Paris Olympics | बैन के बाद डिप्रेशन में थीं विनेश, डॉक्टर बोले-रेसलिंग छोड़ो: उबरीं तो चोटिल हुईं पर कुश्ती नहीं छोड़ी, तीसरे ओलिंपिक में पहुंचीं…आज मुकाबला

35 मिनट पहलेलेखक: राजकिशोर

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भारत की महिला रेसलर विनेश फोगाट एक बार फिर ओलिंपिक में मेडल की लड़ाई शुरू करने जा रही हैं। लेकिन ओलिंपिक तक पहुंचने की उनकी ये लड़ाई काफी पहले शुरू हो गई थी। 2020 टोक्यो ओलिंपिक के बाद विनेश को बैन कर दिया गया।

तब इंडियन रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा था- हमने खोटा सिक्का भेजा था। बाद में पहलवानों और बृजभूषण के बीच लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई। लेकिन बैन से दुखी विनेश तानों से परेशान होकर डिप्रेशन में चली गईं। साइकोलॉजिस्ट के पास गईं तो उसने कहा कि अगर कुश्ती नहीं छोड़ी तो परेशानी बहुत बड़ी हो सकती है।

विनेश नहीं रुकीं, कुश्ती लड़ती रहीं और तीसरे ओलिंपिक में जगह बनाई। आज विनेश 50 किग्रा कैटेगरी में देश की ओर से चुनौती पेश करेंगी। भास्कर रिपोर्टर विनेश के घर पहुंचे। जाना कि टोक्यो के बाद इस पहलवान ने क्या-क्या चुनौतियां झेलीं और कैसे उनसे लड़ीं। विनेश के घर से ग्राउंड रिपोर्ट…

टोक्यो में फीजियो को नहीं भेजा, किट सही नहीं थी
भास्कर रिपोर्टर ने विनेश के बड़े भाई हरविंदर फोगाट से बातचीत की। हरविंदर ने कहा, “2016 ओलिंपिक में घुटने में गंभीर चोट के कारण विनेश को प्री क्वार्टर फाइनल से बाहर होना पड़ा। टोक्यो ओलिंपिक 2020 में विनेश ने चोट से उबरकर कमबैक किया, लेकिन इसके बाद परेशानियों का दौर शुरू हो गया।”

विनेश 2016 के रियो ओलिंपिक में चोटिल हो जाने के कारण क्वार्टर फाइनल से बाहर हो गई थीं।

विनेश 2016 के रियो ओलिंपिक में चोटिल हो जाने के कारण क्वार्टर फाइनल से बाहर हो गई थीं।

हरविंदर इन परेशानियों का जिम्मेदार उस समय के रेसलिंग फेडरेशन अध्यक्ष को मानते हैं। कहने लगे, “विनेश के फिजियो को टोक्यो जाने का वीजा नहीं दिया गया। रेसलिंग फेडरेशन ने जो किट दी थी, विनेश उसमें कम्फर्टेबल नहीं थी। उसने अपने स्पॉन्सर की किट पहनी, लेकिन उसे ऐसा करने से रोका गया।

मुश्किल रेसलिंग मैचों के बीच विनेश को अपना सारा सामान खुद ही उठाकर ले जाना पड़ रहा था। विनेश एक्स्ट्रा मेहनत और किट के कारण क्वार्टर फाइनल से ठीक पहले बीमार हो गई। प्रैक्टिस के दौरान उसकी पुरानी चोट भी उभर आई, लेकिन उसे डॉक्टर तक नहीं दिया गया। जिस कारण वो हार गई।”

विनेश फोगाट रियो और टोक्यो ओलिंपिक में सेमीफाइनल राउंड तक भी नहीं पहुंच सकीं। फोटो @vineshphogat इंस्टाग्राम

विनेश फोगाट रियो और टोक्यो ओलिंपिक में सेमीफाइनल राउंड तक भी नहीं पहुंच सकीं। फोटो @vineshphogat इंस्टाग्राम

विनेश को खोटा सिक्का कहा, बैन लगा दिया
हरविंदर ने कहा, “टोक्यो से लौटी तो फेडरेशन अध्यक्ष ने विनेश को खोटा सिक्का कहा, बोले- लंगड़े घोड़े पर दांव नहीं लगाना था। फेडरेशन अध्यक्ष के शब्दों ने विनेश को तोड़ दिया। आप नेशनल रेसलर को खोटा सिक्का या लंगड़ा घोड़ा कैसे बोल सकते हैं।

विनेश ने नेशनल चैंपियनशिप जीतने के बाद इंटरनेशनल चैंपियनशिप जीती और फिर ओलिंपिक में जगह बनाई थी। एशियन गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने वाली रेसलर को खोटा सिक्का कहना सही नहीं था। बचपन से विनेश ने कई दिक्कतें देखी थीं, लेकिन देश के लिए खेलने पर भी मिले दिल तोड़ने वाले शब्दों ने उसे डिप्रेशन में डाल दिया।”

2018 में लगी थी सिर पर गहरी चोट
हरविंदर ने बताया, “डिप्रेशन से उबरने के लिए विनेश जब डॉक्टर के पास गईं, तब हमें पता चला कि 2018 में प्रैक्टिस के दौरान उसे सिर पर गहरी चोट लगी थी। तब ज्यादा परेशानी नहीं हुई, इसलिए हमने उसे गंभीरता से नहीं लिया। डॉक्टर ने कहा कि ज्यादा टेंशन लेने के कारण विनेश की चोट उभर आई। इस सदमे और चोट से उभरने में विनेश को 9 महीने लग गए।”

विनेश फोगाट को चोट और डिप्रेशन से उबरने में 9 महीने लग गए। फोटो @vineshphogat इंस्टाग्राम

विनेश फोगाट को चोट और डिप्रेशन से उबरने में 9 महीने लग गए। फोटो @vineshphogat इंस्टाग्राम

फैमिली के सपोर्ट से रिकवर हुई विनेश
हरविंदर बताते हैं, “विनेश की चोट को देखते हुए डॉक्टर ने उसे कुश्ती से दूर रहने और परिवार के साथ ज्यादा समय बिताने की सलाह दी। परिवार ने उसे मोटिवेट किया और हमेशा साथ दिया। फैमिली सपोर्ट से विनेश रिकवर हुईं, उसने रेसलिंग में वापसी की और कॉमनवेल्थ गोल्ड भी जीत लिया।”

6 साल की उम्र में विनेश ने शुरू की थी रेसलिंग
हरविंदर ने बताया, “2000 के सिडनी ओलिंपिक में जब कर्णम मल्लेश्वरी ने वेटलिफ्टिंग में भारत को ओलिंपिक ब्रॉन्ज मेडल दिलाया। तब हमारे ताऊ महावीर फोगाट को समझ आया कि बेटियां भी देश को मेडल दिला सकती हैं। ताऊ ने गीता-बबीता के साथ मुझे, मेरी बहन प्रियंका और विनेश की भी रेसलिंग ट्रेनिंग शुरू करवा दी।”

मैं 14-15 साल का था, दोनों बहनें 8 और 10 साल की थीं। हमने जब रेसलिंग प्रैक्टिस शुरू की, तब विनेश सबसे छोटी थी, उसकी उम्र 6 ही साल थी। मेरे दादाजी चंदीराम अखाड़ा जाकर पहलवानी करते थे, वहीं जाकर विनेश ने भी रेसलिंग की।”

विनेश 6 साल की उम्र से रेसलिंग कर रही हैं। फोटो @vineshphogat इंस्टाग्राम

विनेश 6 साल की उम्र से रेसलिंग कर रही हैं। फोटो @vineshphogat इंस्टाग्राम

पिता की हत्या के बाद भाई ने रेसलिंग छोड़ी
हरविंदर ने बताया, “18 अक्टूबर 2003 को पिता की हत्या हो गई। मैं 10वीं में पढ़ता था। दादाजी के 4 भाई थे, उन्हीं में से किसी के बेटे ने उनकी हत्या की थी। पिता हरियाणा रोडवेज में थे, काम से लौटने के बाद हत्यारे पिता को खाना खिलाने ले गए। इसी दौरान कहा-सुनी के बीच उन्हें गोली मार दी गई।

छोटी बहनों पर पिता के चले जाने का असर न पड़े, इसलिए मैंने रेसलिंग छोड़ दी। मैंने कमाना शुरू किया, लेकिन ज्यादा सफल नहीं हो सका। मां को पेंशन मिलती थी, उसी से घर खर्च चलता था।”

2007 में विनेश ने जीता पहला मेडल
हरविंदर बोले, “2007 में विनेश, प्रियंका और रितु ने नेशनल चैंपियनशिप में मेडल जीत लिए। गांववालों ने तीनों का स्वागत किया, तब सभी ने जाना कि गीता-बबीता के साथ विनेश भी कुश्ती में आगे जा सकती है।

प्रियंका को पापा के जाने का सदमा लगा, वह बीमार रहने लगी। उसने किसी से बात नहीं की, लेकिन गम अंदर दबाने के कारण वह बीमार होते चले गई। प्रियंका सीनियर लेवल पर मेडल जीत चुकी थी, लेकिन उसे रेसलिंग छोड़नी ही पड़ी। तब हमने फैसला किया कि विनेश को परेशानी नहीं होने देंगे और उस पर ही पूरा फोकस करेंगे।”

विनेश ने 2007 में अपना पहला रेसलिंग नेशनल चैंपियनशिप मेडल जीता था। फोटो @vineshphogat इंस्टाग्राम

विनेश ने 2007 में अपना पहला रेसलिंग नेशनल चैंपियनशिप मेडल जीता था। फोटो @vineshphogat इंस्टाग्राम

बीमारी में भी प्रैक्टिस करती थीं विनेश
हरविंदर ने बताया, “विनेश ने कभी प्रैक्टिस मिस नहीं की, मेहनत से कभी पीछे नहीं हटी। बीमार होने पर भी प्रैक्टिस करती। ज्यादा बीमार होने पर भी सेंटर जरूर पहुंचती थी, भले ही वह प्रैक्टिस न करे, लेकिन उसने ग्राउंड जाना नहीं छोड़ा।

फोकस और डिसिप्लिन से ही विनेश इस लेवल तक पहुंची। ताऊजी ने हमेशा सभी को ग्राउंड आने के लिए कहा, हमने भले उन्हें गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन विनेश ने हमेशा उनकी बात मानी।”

विनेश ने 2014 में एशियन चैंपियनशिप ब्रॉन्ज के रूप में सीनियर लेवल पर पहला रेसलिंग मेडल जीता। फोटो @vineshphogat इंस्टाग्राम

विनेश ने 2014 में एशियन चैंपियनशिप ब्रॉन्ज के रूप में सीनियर लेवल पर पहला रेसलिंग मेडल जीता। फोटो @vineshphogat इंस्टाग्राम

हमेशा ट्रायल देकर क्वालिफाई किया
हरविंदर ने बताया, “विनेश ने पिछले दिनों जब साक्षी और अन्य पहलवानों के साथ फेडरेशन के जुर्म का विरोध किया। तब झूठ फैलाया गया कि विनेश ट्रायल नहीं देना चाहती। जबकि विनेश ने पेरिस ओलिंपिक के क्वालिफिकेशन इवेंट में ट्रायल्स दिए और 50 किग्रा कैटेगरी में कोटा भी हासिल किया।” विनेश ने इसी साल 20 अप्रैल को ओलिंपिक कोटा हासिल किया था।

विनेश 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार तीसरा गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने फिर पेरिस ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई भी किया।

विनेश 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार तीसरा गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने फिर पेरिस ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई भी किया।

चोट के कारण 2 ही कॉम्पिटिशन छोड़े
हरविंदर ने कहा, “विनेश चोट के कारण अब तक 2 ही कॉम्पिटिशन से हटी हैं। 2016 के रियो ओलिंपिक में चोटिल होने के बाद उसने अगले नेशनल्स में हिस्सा नहीं लिया। फिर 2022 में कोरोना महामारी के कारण नेशनल्स नहीं हुए। इसके बाद एशियन गेम्स होने थे। विनेश ने यहां भी डायरेक्ट एंट्री की मांग नहीं की, उसने बस कहा कि धरने के बाद फिटनेस वापस पाने के लिए उसे ट्रायल्स से पहले थोड़ा समय चाहिए।

फेडरेशन का विरोध करने के कारण विनेश को जनता का साथ मिल चुका था। इसी को खत्म करने के लिए एडहॉक कमेटी ने फैसला किया कि बगैर ट्रायल्स के रेसलर्स को एशियन गेम्स खेलने भेजा जाएगा। भगवान की कृपा रही कि विनेश इंजरी का शिकार हुई और वह एशियन गेम्स में हिस्सा नहीं ले सकी। अगर विनेश इंजर्ड नहीं होती तो उस पर बगैर ट्रायल्स के एशियन गेम्स खेलने का दाग लग जाता। इनके अलावा उसने सभी क्वालिफिकेशन में हिस्सा लिया है।”

25 साल से मेडल का सपना देख रहा परिवार
हरविंदर ने बताया, “फोगाट परिवार 25 साल से ओलिंपिक मेडल जीतने का सपना देख रहा है। रियो और टोक्यो में यह सपना पूरा नहीं हुआ, विनेश से उम्मीद है कि वह पेरिस में सपना पूरा करेगी।

घर के बाहर भी ओलिंपिक का ही लोगो लगा है। लोगो इसलिए लगाया ताकि विनेश जब भी घर आए तो उसे याद रहे कि उसका टारगेट क्या है। परिवार की चौथी पीढ़ी भी रेसलिंग ही कर रही है, मेरी बेटी पलक ने विनेश से ही इंस्पायर होकर कुश्ती शुरू की। पलक ने विनेश के पेरिस जाने से पहले देश को ओलिंपिक मेडल दिलाने का गिफ्ट मांगा है।”

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