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- Hariyali Amawasya On 4th August 2024, Significance Of Hariyali Amawasya In Hindi, Shiv Puja Vidhi For Savan Month
44 मिनट पहले
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आज (रविवार, 4 अगस्त) सावन मास अमावस्या है, इसे हरियाली अमावस्या कहते हैं। सावन शिव जी का प्रिय माह है और इस माह की अमावस्या प्रकृति का आभार मानने का पर्व है। हरियाली अमावस्या पर ऐसे कर्म करें, जिनकी वजह से प्रकृति को लाभ होता है। शिव पूजा के साथ ही मंदिर या पार्क जैसी सार्वजनिक जगहों पर पौधे लगाएं, साफ-सफाई का ध्यान रखें।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान करते समय गंगा, यमुना, नर्मदा, सिंधु, कावेरी, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों का ध्यान करें। ऐसा करने से घर पर ही तीर्थ स्नान के समान पुण्य मिल सकता है।
अमावस्या पर ऐसे करें पितरों के लिए धूप-ध्यान
घर-परिवार के मृत सदस्यों को पितर देव माना जाता है और पितर देवता ही अमावस्या तिथि के स्वामी हैं। अमावस्या पर पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए। इस तिथि पर पितरों के लिए धूप-ध्यान, तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य करना चाहिए।
दोपहर में करीब 12 बजे गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी अर्पित करें। इस दौरान पितर देवता का ध्यान करते रहना चाहिए। धूप देने के बाद हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों के नाम से जल जमीन पर छोड़ दें।
हरियाली अमावस्या कर सकते हैं इन चीजों का दान
इस अमावस्या पर पितरों के नाम पर जल दान, तर्पण और पिंडदान करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को अनाज, धन, जूते-चप्पल, कपड़े, खाना, छाता, चावल, दालें, मिठाई, मौसमी फल भी दान कर सकते हैं।


आज कर सकते हैं ये शुभ काम
सुबह स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए।
सावन महीने की अमावस्या शिव भक्तों के लिए बहुत खास होती है। इस तिथि पर गणेश पूजा के बाद शिव जी का रुद्राभिषेक करना चाहिए। रुद्राभिषेक नहीं कर पा रहे हैं तो शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाएं।
किसी मंदिर में या किसी पार्क में शमी, पीपल, नीम, बरगद, आम जैसे छायादार वृक्ष के पौधे लगाएं और उनकी देखभाल करने का संकल्प लें।
भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें। दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और उससे भगवान का अभिषेक करें। नए लाल-पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
घर में विराजित बाल गोपाल का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें। शंख केसर मिश्रित दूध भरें और बाल गोपाल को चढ़ाएं। इसके तुलसी मिश्रित जल अर्पित करें। भगवान का हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। धूप-दीप जलाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें।