Hareli Tihar…Today the Chief Minister, Minister and VIP will also climb the Gaadi | हरेली तिहार…आज मुख्यमंत्री, मंत्री और VIP भी चढ़ेंगे गेड़ी: इस बार भी सजाया गया CM हाउस, झूले लगे; कांग्रेस ने बताया मजबूरी – Chhattisgarh News

छत्तीसगढ़ में आज (4 अगस्त) हरेली का त्योहार मनाया जा रहा है। इसके लिए मुख्यमंत्री निवास को पारंपरिक अंदाज में सजाया गया है। इससे पहले कांग्रेस सरकार में भी सीएम हाउस में हरेली तिहार मनाया जाता था। इस बार बीजेपी की सरकार में भी सीएम को सजाए जाने पर का

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मुख्यमंत्री निवास को ग्रामीण थीम पर सजाया जा रहा है। गांव के मेलों में लगने वाले झूलों को भी सीएम हाउस में लगाया जा रहा है। मुख्यमंत्री निवास में हरेली त्योहार मनाने के लिए पहुंचने वाले नेता और VIP भी गेड़ी चढ़ते दिखेंगे। नेता-मंत्री, विधायक पारंपरिक झूलों झूलते दिखेंगे। यहां लोक कलाकार स्थानीय गीतों की प्रस्तुतियां देंगे।

तस्वीरों में देखिए CM हाउस की साज-सज्जा…

इस जगह पर लोग होंगे एकजुट।

इस जगह पर लोग होंगे एकजुट।

झूले लगाए जा रहे हैं।

झूले लगाए जा रहे हैं।

आदिवासी थीम पर हो रही सजावट।

आदिवासी थीम पर हो रही सजावट।

रंग-बिरंगे गेट बन रहे।

रंग-बिरंगे गेट बन रहे।

कांग्रेस ने कसा तंज

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री निवास में हरेली मनाने की परंपरा कांग्रेस सरकार में CM भूपेश बघेल ने शुरू की थी। कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि, देर से और कांग्रेस की नकल करने के उद्देश्य से ही सही बीजेपी की सरकार छत्तीसगढ़ के तीज त्योहार को प्रमोट करने के लिए मजबूर हुई। बीजेपी की साय सरकार मजबूर हुई है कि वो छत्तीसगढ़ी परंपरा को आगे बढ़ा रही है।

जब भूपेश बघेल मुख्यमंत्री थे, तब हरेली तिहार की तस्वीरें।

जब भूपेश बघेल मुख्यमंत्री थे, तब हरेली तिहार की तस्वीरें।

छत्तीसगढ़ में गेड़ी नृत्य भी फेमस है।

छत्तीसगढ़ में गेड़ी नृत्य भी फेमस है।

क्या है गेड़ी?

इसे बांस से बनाई जाता है। दो बांस में बराबर दूरी पर कील लगाई जाती है। एक और बांस के टुकड़ों को बीच से फाड़कर उन्हें दो भागों में बांटा जाता है। उसे नारियल रस्सी से बांधकर दो पउआ बनाया जाता है। यह पउआ असल में पैर दान होता है। इसे लंबाई में पहले कांटे गए दो बांसों में लगाई गई कील के ऊपर बांध दिया जाता है।

दरवाजे पर नीम की डाली

गांव में पौनी-पसारी जैसे राऊत और बैगा हर घर के दरवाजे पर नीम की डाली लगाते हैं। गांव में लोहार अनिष्ट की आशंका को दूर करने के लिए चौखट में कील लगाते हैं। हरेली पर्व के दिन पशुधन के अच्छे स्वास्थ्य के लिए औषधियुक्त आटे की लोंदी खिलाई जाती है। गांव में यादव समाज के लोग वनों में जाकर कंदमूल लाकर किसानों को वनौषधि उपलब्ध कराते हैं। गांव के सहाड़ादेव और ठाकुरदेव के पास यादव समाज के लोग जंगल से लाई गई जड़ी-बूटी उबाल कर किसानों को देते हैं। इसके बदले किसानों की ओर से चावल, दाल जैसी चीजें उपहार के रूप में दी जाती हैं ।

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