The parents kept the last name so that no daughter is born again Antim Panghal | Paris Olympics Haryana Wrestler Antim Success Story | मां-बाप ने अंतिम नाम रखा ताकि फिर बेटी ना जन्मे: उसकी कुश्ती के लिए जमीन-मशीनें बेचीं, अखाड़े में लड़कों से भिड़ती है; अब ओलिंपिक में लड़ेगी

अंतिम पंघल…नाम अनोखा है और ये नाम रखने की कहानी भी। ओलिंपिक में भारत को रिप्रेजेंट कर रही इस वुमन रेसलर का जन्म हरियाणा के हिसार में हुआ। जिस परिवार में जन्मीं, उसमें पहले ही 3 लड़कियां पैदा हो चुकी थीं। आस-पड़ोस वाले मां-बाप से कहने लगे अब बहुत हो ग

.

लड़कियां भी लड़कों की बराबरी कर सकती हैं…माता-पिता को इसका अहसास तब हुआ, जब अंतिम ने कुश्ती में मेडल जीता। इसके बाद पूरा परिवार अंतिम के साथ खड़ा हो गया। कुश्ती की तैयारी के लिए पिता ने खेती की जमीन और मशीनें बेच दीं। दूध-घी की दिक्कत होती थी तो आंगन में गाय पाल ली। गांव छोड़कर शहर में बस गए।

अंतिम अब पेरिस ओलिंपिक में 53KG वुमंस रेसलिंग में 7 अगस्त को अपना पहला मुकाबला खेलेंगी। पढ़िए उनके घर से ग्राउंड रिपोर्ट…

जिम में ट्रेनिंग करती अंतिम पंघल। फोटो- antimpanghal_wrestler

जिम में ट्रेनिंग करती अंतिम पंघल। फोटो- antimpanghal_wrestler

घर में मां तैयार करती हैं डाइट, पिता कुश्ती सेंटर पहुंचाते हैं
हिसार के आजाद नगर में भास्कर रिपोर्टर राम निवास पंघल के घर पहुंचा। उनकी पत्नी कृष्णा बेटी अंतिम की डाइट की तैयारी में जुटी थीं। बादाम पीसे जा रहे थे। बोलीं, “अभी मैं और अंतिम के पापा साईं के कुश्ती सेंटर में अंतिम को दोपहर का खाना देकर आए हैं। अब शाम को 4 बादाम शेक और जूस जाएगा, उसी की तैयारी में जुटी हूं। उसकी डाइट का ध्यान मैं ही रखती हूं। सेंटर में 4 बार खाना भेजा जाता है।”

पढ़ाई में कमजोर, शरीर से मजबूत थी तो कुश्ती में डाल दिया
कृष्णा कहती हैं, “हमारी पहले से ही 3 लड़कियां थीं फिर ये हुई। पहले हमने भतेरी नाम रखने का सोचा। भतेरी यानी बहुत हो गयाॉ फिर बाद में नाम अंतिम रख दिया। इसके बाद लड़का पैदा हुआ। अंतिम जब मेडल जीतकर लाई तो हमें लगा कि लड़कियां लड़कों से कम नहीं।

अंतिम शुरू से पढ़ाई में कमजोर थी, लेकिन शरीर से वो मजबूत थी। बड़ी बहन के साथ हमने उसे कबड्डी खेलने भेजा, लेकिन अंतिम को देखकर कोच बोले कि कुश्ती लड़वाओ, ये आगे जाएगी। इस तरह अंतिम की कुश्ती शुरू हुई।”

ट्रेनिंग के लिए गांव की जमीन बेची, हिसार आ गए
थोड़ी ही देर में पिता राम निवास भी आ गए। बताने लगे, “अंतिम का इंट्रेस्ट खेल में था। हमने बड़ी बेटी के साथ कबड्डी खेलने भेजा। तब अंतिम 10 साल की थी। कोच ने कुश्ती खिलाने को कहा। हमारे मन में भी एक बात थी। हम चाहते थे कि बेटी इंडिविजुअल गेम खेले। एक की मेहनत और एक का नाम होगा। टीम गेम में ऐसा नहीं है।”

राम निवास कहते हैं, “शुरुआत में हमने अंतिम को गांव की सीनियर कुश्ती प्लेयर्स के साथ प्रैक्टिस करवाई। 6 महीने बाद जब अंतिम अच्छा खेलने लगी तो और अच्छी प्रैक्टिस की जरूरत महसूस हुई। हिसार से 24 किलोमीटर दूर हमारा गांव है भगाणा। वहां 2 एकड़ जमीन थी, कुछ जमीन बेची। खेती की मशीनें बेच दीं और पूरा परिवार हिसार आ गया। आजाद नगर में हमने मकान बना लिया। अब भगत सिंह पर्सनल कोचिंग दे रहे हैं।

अंतिम ने 2022 में U-20 वर्ल्ड कप में गोल्ड जीता। ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। फोटो- antimpanghal_wrestler

अंतिम ने 2022 में U-20 वर्ल्ड कप में गोल्ड जीता। ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। फोटो- antimpanghal_wrestler

विदेश नहीं भेजा, घर का खाना नहीं मिलता
राम निवास ने कहा, “विदेश में ट्रेनिंग के लिए नहीं भेजा। वहां ज्यादा समय बर्बाद होता। शायद घर का खाना भी नहीं मिलता। प्रोटीन की जरूरत होती है और हम शाकाहारी हैं। अंतिम को दूध-घी की कमी ना हो इसलिए हमने घर में ही गाय पाल ली है। उसकी मां और बहनें डाइट का ख्याल रखती हैं। कुश्ती सेंटर में भी एक बहन जूस और खाना देने के लिए मौजूद रहती है।

जहां तक कोचिंग की बात है तो हमारे देश में अच्छे और बेहतर कोच हैं इसलिए हमने यहीं रहकर कोचिंग का फैसला लिया। अंतिम के साथ कोच भगत सिंह, बड़ी बहन निशा और फीजियो हीरा पेरिस जाएंगी। मुझे भरोसा है अंतिम मेडल लाएगी।”

हमने जब कुश्ती संघ में हुए विवाद पर सवाल किया तो राम निवास बोले, “सीनियर्स ने फेडरेशन पर जो आरोप लगाए, उसका खामियाजा जूनियर प्लेयर्स को हुआ है। उन्हें तो सबकुछ मिल गया था, जूनियर्स को नई ऊंचाइयों पर जाना था। अगर वे कुछ बोलते तो उन्हें नुकसान होता। सीनियर्स का दबाव भी होता है।”

कुश्ती सेंटर में दांव लगा रही थीं अंतिम, बोलीं- इनाम के पैसों से दिक्कतें दूर हुईं

घर के बाद भास्कर रिपोर्टर साई के कुश्ती सेंटर पहुंचे। अंतिम रिंग में दांव-पेंच लगा रही थीं। ट्रेनिंग के बाद आईं तो हमने पूछा कि ओलिंपिक का सफर कैसा रहा तो बोलीं शुरू में कंडीशन ठीक नहीं थी, लेकिन माता-पिता ने इसका अहसास नहीं होने दिया।

अंतिम ने कहा, “पापा चाहते थे कि मैं पहलवान बनूं। हमारी घर की कंडीशन ठीक नहीं थी। पापा गाड़ी चलाते थे। डाइट को लेकर काफी दिक्कत आती थी। मम्मी-पापा ने जो हो सका, वो किया। मेरे हिसार आने के बाद पूरा परिवार यहां आ गया। बाद में मेडल आए और इनाम के पैसों से सभी दिक्कतें दूर होती चली गईं।”

इसी साल अंतिम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अर्जुन अवार्ड दिया। फोटो-antimpanghal_wrestler

इसी साल अंतिम को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अर्जुन अवार्ड दिया। फोटो-antimpanghal_wrestler

अंतिम बोलीं- मेरी तैयारी में पूरा परिवार लगा
अंतिम ने बताया, “ मेरी मां तीनों टाइम घर से खाना भेजती हैं। एक बहन मेरे साथ रहती है। हम चार बहनें हैं और मेरा एक छोटा भाई है। पूरा परिवार मेरी ओलिंपिक की तैयारियों में जुटा हुआ है।

रेसलर्स काफी कंपटीशन के बाद ओलिंपिक पहुंचती हैं और सारी रेसलर्स अच्छी होती हैं। मुझे लगता है कि मेरा कंपटीशन जापान और चीन की पहलवानों के साथ होगा।”

“ओलिंपिक ट्रायल को लेकर थोड़ा कन्फयूजन था। मम्मी-पापा और कोच ने कहा कि अपना फोकस ओलिंपिक पर रखो। यह मान लो कि तुम ओलिंपिक की तैयारी कर रही हो और ये कंपटीशन उसी का हिस्सा है। बाकी जो होगा, वो देखा जाएगा।”

रोज 7-8 घंटे प्रैक्टिस करती हैं अंतिम

कुश्ती सेंटर में अंतिम के कोच भगत सिंह से मुलाकात हुई। वो कहने लगे, “ अंतिम सात पहले मेरे पास आई थी। उसमें लगन है, कुछ एक्स्ट्रा करने की कोशिश करती थी। मेरे पास उसके जितने बच्चे प्रैक्टिस के लिए आते थे, उसमें वो उसमें वह सबसे ज्यादा मेहनती थी।

अब रोजाना 7-8 घंटे की ट्रेनिंग कर रही है। पहले अंतिम अपनी वेट कैटेगरी की लड़की के साथ ट्रेनिंग करती है। इसके बाद वो 50 से 60 किलो के पुरुष पहलवान के साथ प्रैक्टिस करती है।”

फीजियो हीरा ने बताया, “3 महीने से अंतिम के साथ हूं। उसे बैक प्रॉब्लम था। उठने-बैठने में भी दिक्कत हो रही थी। उसकी कंडीशनिंग की, रिकवरी प्रोग्राम बनाया। अब वह पूरी तरह फिट है।”

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *