1 मिनट पहले
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हमारी वजह से पर्यावरण में कई विकृतियां आ गई हैं। कई लोगों के खानपान और जीवन शैली में कोई अंकुश नहीं है, कोई मर्यादा नहीं है। जिन लोगों का खुद पर नियंत्रण नहीं है, जो नियमों का पालन नहीं करते हैं, जो मर्यादित नहीं हैं, जो सिद्धांतों को नहीं मानते हैं, उनकी वजह से प्रकृति में असंतुलन आ गया है। तात्कालिक लाभ लेने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए। अपने साथ ही दूसरों की भलाई के लिए और प्रकृति के लिए नियमों का पालन करें। खुद पर नियंत्रण करना चाहते हैं तो संयम बनाए रखें।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए प्रकृति की बेहतरी के लिए कौन-कौन से काम कर सकते हैं?
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