रोमांटिक गाना ‘चुरा लिया है तुमने…’, ठहराव लिए ‘तेरी है जमीन तेरा आसमान…’, बच्चों का फेवरेट ‘लकड़ी की काठी…’ या कॉमेडी लिए ‘बच के रहना रे बाबा…’ हर प्रकार के गानों से प्लाजा हॉल गूंज रहा था। अवसर था सबसे पॉपुलर म्यूजिक डायरेक्टरों में एक आरडी
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बाल कलाकारों श्रीजिता, एलेक्सा, ऐशानी, आराध्या, मनस्वी, अग्निक, आयुष ने शो की शुरुआत ‘द बर्निंग ट्रेन’ के मशहूर गाने ‘तेरी है ज़मीन तेरा आसमान’ के साथ ‘लकड़ी की काठी’ गाकर किया। मंच पर पारोमिता चौधरी ने पंचम की प्रसिद्ध बंगाली रचनाएं ‘जेते दाओ अमय, तोलो चिन्नो बिना’ और ‘पोरा बांसी’ को गाकर समां बांधा। रांची की महिला बैंड अद्वितीय (पारोमिता चौधरी, गुलमोहर चक्रवर्ती, चंदोश्री ठाकुर, सुष्मिता रॉय, सुचेता चक्रवर्ती, पारोमिता भट्टाचार्य) ने ‘जिंदगी मिल के बिताएंगे’ और ‘कथा होये छिल्लो’ गाकर अपनी प्रस्तुति दी। भीगी भीगी रातों में, आईं माझी, मेहबूबा मेहबूबा, सपनों अमर हरिये गेचे की प्रस्तुति हुई। बैतालिक के विद्यार्थी रूमा, चैताली, पारोमिता, मौसमी, प्रभा, शर्मिला, त्रिशिता, बिदिशा, अपराजिता, अभिजीत, चंचल, देबाशीष, श्रीनाथ कोले ने ‘सच मेरे यार है’, ‘गोरिया कहां तेरा देश’ और ‘बचके रहना रे बाबा’ जैसे गानों से लोगों को बांधे रखा।
चार दोस्तों ने 2006 में शुरू किया आरडी बर्मन नाइट, स्व. बुलु घोष थे अहम कड़ी
रांची के 4 दोस्तों बिजनेसमैन दिब्येंदु मंडल, यूनियन क्लब के सचिव श्वेतांको सेन, सीसीएल से रिटायर्ड रामप्रसाद चटर्जी और संत जेवियर्स के प्रोफेसर जॉय चटर्जी ने 2006 में पंचम की याद में हर साल 27 जून को आरडी बर्मन नाइट का आयोजन कर रहे हैं। कार्यक्रम में बुलु घोष अहम भूमिका निभाते थे, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। इस कार्यक्रम में देशभर से दिग्गज कलाकार आते थे। कोरोना में भी यह कड़ी नहीं टूटी और ऑनलाइन कार्यक्रम हुआ। रामप्रसाद चटर्जी कहते हैं कि आरडी यानी राहुल देव नहीं बल्कि रिसर्च एंड डेवलपमेंट बर्मन थे। वे गानों के साथ रिसर्च करते रहते थे। कभी कोल्ड ड्रिंक की बोतल में फूंक मारकर महबूबा ओ महबूबा का म्यूजिक बना लेते, कभी शीशे के ग्लास से चुरा लिया। उनके जैसा हरफनमौला कलाकार कम हैं। 1966 में उनकी पॉपुलैरिटी बढ़ी जो 1994 तक कायम रही और आज के समय वे ज्यादा पॉपुलर हैं।
जमशेदपुर और संबलपुर के गायकों ने जमाया रंग
जमशेदपुर के आए कलाकार हीरोक सेन और बॉबी ने पंचम के सुपरहिट गानों और फिर भीड़ के अनुरोध पर गाने गाकर शाम को रोमांचक बनाया। संबलपुर से आए सुरेन पाणिग्रही ने सेक्सोफोन बजाकर मनोहारी सिंह की याद दिला दी। आयोजन को सफल बनाने में संगीतकारों दीपू, सन्नी, किशोर, पिंटू ने अहम भूमिका निभाई। आयोजन का संचालन श्वेतांको सेन, राम प्रसाद चटर्जी, दिब्येंदु मंडल, जॉय चौधरी, सिद्धार्थ राजा घोष, अभिजीत डे, श्रीनाथ कोले और बिक्रमादित्य रॉय के मार्गदर्शन में हुआ। बैतालिक स्कूल के सचिव प्रबीर कुमार लाहिड़ी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
शहर के विभिन्न स्कूलों के बच्चों ने आरडी बर्मन के पॉपुलर गाने गाकर दिल जीत लिया।
आरडी यानी रिसर्च एंड डेवलपमेंट बर्मन…अपने गानों में हमेशा प्रयोग करते थे
रामप्रसाद, दिब्येंदु मंडल, श्वेतांको सेन, जॉय चौधरी