हरिद्वार47 मिनट पहले
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वाणी, संकल्प, भावनाओं और संवेदनाओं से हमारा व्यक्तित्व बनता है। व्यक्तित्व सुधारना चाहते हैं तो दूसरों के दुर्गुणों पर ध्यान न दें, सभी के साथ स्नेह से रहें, दूसरों को उनकी गलतियों के लिए क्षमा कर दें, किसी के लिए बुरे विचार न रखें, किसी का अनादर न करें।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं?
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