Diwali Roop Chaudas 2025 Katha; Deep Daan Shubh Muhurat Vidhi | Abhyang Snan | रूप चतुर्दशी आज, यमराज के लिए दीपदान की विधि: कल लक्ष्मी पूजा के लिए रहेंगे 8 मुहूर्त, जानिए जरूरी पूजन सामग्री

2 दिन पहले

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आज रूप चतुर्दशी है। इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं। पुराणों के मुताबिक इसी दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर को मारा था। कुछ ग्रंथों के अनुसार इस चतुर्दशी की आधी रात में हनुमान जी का जन्म हुआ था। नवरात्रि के बाद इसी चतुर्दशी पर बंगाल में काली पूजा होती है।

आज, 19 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे से रूप चतुर्दशी शुरू होगी और 20 को दोपहर 3:30 पर खत्म हो जाएगी। इसलिए आज शाम को यम के लिए दीपदान होगा। कल सुबह मालिश, उबटन और स्नान किया जाएगा।

कल अमावस्या दोपहर करीब 3:30 पर शुरू होगी, इसलिए लक्ष्मी पूजा का पहला मुहूर्त दोपहर में ही रहेगा।

अब बात रूप चतुर्दशी की…

आज शाम को यम के लिए दीपदान और कल सुबह औषधि स्नान…

दक्षिण दिशा में यमराज के लिए आटे का दीपक (19 अक्टूबर) स्कंद पुराण के मुताबिक रूप चौदस पर सूर्यास्त के बाद घर के बाहर दक्षिण दिशा में आटे का दीपक जलाने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म होते हैं। यमराज खुश होते हैं। इससे अकाल मृत्यु नहीं होती। आरोग्य और लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। परिवार में किसी तरह की परेशानी नहीं आती।

रूप चतुर्दशी पर तिल के तेल में लक्ष्मी और तिल वाले पानी में विष्णु रहते हैं। इसलिए सुबह तिल का तेल लगाने के बाद तिल मिले पानी से नहाने की परंपरा है। पुराणों का कहना है कि ऐसा करने से लक्ष्मीजी खुश होती हैं और समृद्धि बढ़ती हैं। शाम को मंदिरों में तिल के तेल से दीपक लगाए जाते हैं।

तिल के तेल की मालिश और औषधि स्नान (20 अक्टूबर)

भविष्य और पद्म पुराण का कहना है कि चतुर्दशी तिथि में सूर्योदय से पहले उठकर शरीर पर तिल के तेल की मालिश कर, उबटन लगाकर औषधि मिले पानी से नहाना चाहिए। ऐसा करने से सेहत अच्छी रहती है। उम्र और सौंदर्य बढ़ता है। इसलिए इसे रूप चतुर्दशी कहा गया।

नरक चतुर्दशी की 2 कहानियां

पहली कहानी नरकासुर नाम के राक्षस ने 16,100 महिलाओं को बंदी बना रखा था। जब ये बात भगवान कृष्ण को मालूम हुई तो उन्होंने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर नरकासुर का वध किया था और सभी 16,100 महिलाओं को कैद से मुक्ति दिलाई। समाज में इन सभी महिलाओं को मान-सम्मान मिल सके, इसलिए श्रीकृष्ण ने इन सभी महिलाओं से विवाह किया था। इनके साथ ही श्रीकृष्ण की 8 मुख्य पटरानियां भी थीं। इस मान्यता की वजह से ही श्रीकृष्ण की 16,108 रानियां मानी जाती हैं। नरकासुर वध की तिथि होने से ही इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है।

दूसरी कहानी एक दिन यमराज ने अपने दूतों से पूछा, क्या तुम्हें कभी किसी के प्राण हरण करते समय दुख हुआ? यमदूतों ने बताया… हेमराज नाम के राजा के घर पुत्र का जन्म हुआ। ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की ये बच्चा कम उम्र का रहेगा। विवाह के बाद इसकी मृत्यु हो जाएगी। ये सुनकर राजा ने पुत्र को अपने मित्र राजा हंस के पास भेज दिया। राजा हंस ने बच्चे को अलग रखकर उसे बड़ा किया। बच्चा बड़ा हुआ तो उसे राजकुमारी दिखाई दी। दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया। भविष्यवाणी के अनुसार विवाह के चार दिन बाद हम उस राजकुमार के प्राण लेने गए तो उसकी मृत्यु से दुखी होकर पत्नी, पिता और माता रोने लगे और विधाता को कोसने लगे। उनको देखकर हमें बहुत दुख हुआ। यमदूतों ने यमराज से पूछा, क्या कोई ऐसा उपाय है, जिससे किसी प्राणी की अकाल मृत्यु न हो? यमराज ने कहा, जो लोग कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को दक्षिण दिशा में मेरा या मेरे यमदूतों का ध्यान करते हुए दीपक जलाते हैं, उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती।

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