Two prisoners from Central Jail escaped on the night of Diwali. | दीपावली की रात सेंट्रल जेल के दो बंदी हुए फरार: मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में दाखिल थे फरार बंदी, एक पखवाड़े में दूसरी घटना – Ambikapur (Surguja) News

सरगुजा सेंट्रल जेल के दो बंदी दीपावली की रात मेडिकल कॉलेज के जेल वार्ड से भाग निकले। दोनों बंदी बीमार होने के कारण मेडिकल कालेज में दाखिल कराए गए थे। दो बंदियों के फरार होने से हड़कंप मच गया है। दोनों बंदियों के फरार होने की सूचना मंगलवार सुबह जेल अधि

.

जानकारी के मुताबिक, सेंट्रल जेल में निरुद्ध बंदी रितेश सारथी निवासी ग्राम अंधला, लखनपुर, एवं पवन पाटिल निवासी ग्राम जमड़ी, भैयाथान, सूरजपुर को तबीयत खराब होने के कारण मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। दीपावली की रात करीब तीन बजे दोनों चुपके से जेल वार्ड से निकले और फरार हो गए। इसकी भनक सुरक्षाकर्मियों को नहीं लगी।

मचा हड़कंप, दोनों आरोपियों की तलाश जारी मेडिकल कॉलेज के जेल वार्ड में चार बंदी इलाज के लिए दाखिल हुए थे। सुबह दो बंदी फरार मिले तो हड़कंप मच गया। इसकी सूचना सेंट्रल जेल के अधिकारियों एवं पुलिस को दी गई। पुलिस दोनों की तलाश कर रही है।

जो बंदी फरार हुए हैं, उनमें रितेश सारथी विचाराधीन बंदी है एवं उसे पाक्सो एक्ट के मामले में गिरफ्तार किया गया था। दूसरा बंदी पवन पाटिल एनडीपीएस एक्ट का आरोपी है। उसे सूरजपुर जेल से अंबिकापुर शिफ्ट किया गया था। सेंट्रल जेल के अधीक्षक अक्षय राजपूत ने दोनों बंदियों के फरार होने की पुष्टि की है। राजपूत ने बताया कि इसकी सूचना पुलिस को दे दी गई है।

जेल वार्ड से देर रात भाग निकले दो बंदी

जेल वार्ड से देर रात भाग निकले दो बंदी

एक पखवाड़े में बंदियों के फरार होने की दूसरी घटना पिछले एक पखवाड़े में बंदियों के फरार होने की यह दूसरी घटना है। इसके पूर्व 4 अक्टूबर की रात बिलासपुर जिले के मस्तूरी थाना क्षेत्र के ग्राम मल्हार निवासी मुकेश कांत जेल वार्ड से भाग निकला था। हत्या के आरोप में सजायाफ्ता बंदी मुकेश कांत को बिलासपुर जेल से अंबिकापुर शिफ्ट किया गया था।

फरार होने के दो दिनों बाद उसने बिलासपुर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। पुलिस ने उसे जेल नहीं भेजा तो वह भाग निकला और सैनेटाइजर पीकर अस्पताल में भर्ती हो गया था।

जेल में वसूली के आरोप, तीन कर्मी बर्खास्त बंदी मुकेश कांत की पत्नी अमेरिका बाई कुर्रे ने कलेक्टर से लिखित शिकायत की थी कि अंबिकापुर जेल के कुछ अधिकारी और कर्मचारी उसके पति से पैसों की मांग करते थे। पैसे नहीं देने पर उसे जातिगत गालियां देते थे, मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था। यहां तक कि जेल में मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित रखा गया।

अपने पति की जान बचाने के लिए उसने कई अधिकारियों को अलग-अलग तारीखों में लगभग 70 से 80 हजार रुपए फोन पे और नकद माध्यमों से दिए, इसके बावजूद प्रताड़ना बंद नहीं हुई। मामले में जेल प्रबंधन ने कार्रवाई करते हुए अंबिकापुर सेंट्रल जेल के तीन कर्मियों को जेल मुख्यालय रायपुर द्वारा बर्खास्त कर दिया गया है।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *