जकार्ता16 मिनट पहले
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चीनी रक्षा मंत्री डोंग जून और इंडोनेशियाई रक्षा मंत्री सजफ्री सजमसुद्दीन 21 अप्रैल को मुलाकात के दौरान हाथ मिलाते हुए।
इंडोनेशिया ने अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए चीन से 42 J-10C फाइटर जेट खरीदने का फैसला किया है। यह पहली बार है जब इंडोनेशिया किसी गैर-पश्चिमी देश से विमान खरीद सौदा कर रहा है।
इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री सजफ्री सजमसुद्दीन ने बुधवार को कहा कि, ‘ये जल्द ही जकार्ता के आसमान में उड़ते नजर आएंगे।’ पहले J-10C को सिर्फ चीन की वायुसेना के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन अब चीन इसे दूसरे देशों को भी बेचेगा।
वित्त मंत्री पुरबया युधी सदेवा ने मीडिया से कहा कि 75 हजार करोड़ से ज्यादा का बजट मंजूर हो गया है। हालांकि, ये चीन से कब आएंगे, इसकी जानकारी अभी जारी नहीं की गई है। ये विमान पाकिस्तान के पास भी मौजूद है। पाकिस्तान ने मई में संघर्ष के दौरान इस विमान का भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया था।

चीनी विदेश मंत्री वांग यी (दाएं से दूसरे) और इंडोनेशियाई रक्षा मंत्री सजफ्री सजमसुद्दीन (बाएं से पहले) ने बीजिंग में मुलाकात की थी
अपने लड़ाकू विमान अपग्रेड कर रहा इंडोनेशिया
यह सौदा इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के नेतृत्व वाली सरकार की सैन्य सुधार योजना का हिस्सा है। इसके लिए उन्होंने दुनिया भर की यात्राएं की हैं। नई सैन्य हथियार प्रणालियां, निगरानी और क्षेत्रीय रक्षा क्षमताएं हासिल करने के लिए चीन, फ्रांस, रूस, तुर्की और अमेरिका गए।
वर्तमान में इंडोनेशियाई वायुसेना के पास अमेरिका, रूस और ब्रिटेन से आए लड़ाकू विमान हैं, लेकिन इनमें से कई पुराने हो चुके हैं और इन्हें अपग्रेड या बदलने की जरूरत है।
J-10C जैसे आधुनिक विमान इंडोनेशिया को चौथी पीढ़ी के लड़ाकू जेट्स की क्षमता प्रदान करेंगे, जो हवा से हवा और हवा से जमीन हमलों में सक्षम हैं।

फ्रांस और तुर्की से भी फाइटर जेट खरीदेगा इंडोनेशिया
इंडोनेशिया केवल चीन पर निर्भर नहीं हो रहा। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन ने जून में ऐलान किया था कि तुर्की इंडोनेशिया को 48 KAAN लड़ाकू विमान देगा। ये विमान तुर्की में निर्मित होंगे और पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर होंगे।
इसके अलावा, जनवरी 2024 में फ्रांस के साथ 42 दसॉल्ट राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा फाइनल हुआ। जिसकी पहली डिलीवरी 2026 की शुरुआत में होने की उम्मीद है।
फ्रांस से ही दो स्कॉर्पीन इवॉल्व्ड सबमरीन और 13 थेल्स ग्राउंड कंट्रोल इंटरसेप्शन रडार की खरीद की भी घोषणा की। ये सौदे दिखाते हैं कि इंडोनेशिया अपनी सैन्य खरीदारी के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं है।

KAAN तुर्की का पहला पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ लड़ाकू विमान है
एक्सपर्ट की चेतावनी- पड़ोसी देशों में यह सौदा चिंता पैदा कर सकता है
इंडोनेशिया इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज के रक्षा विश्लेषक बेनी सुकादिस ने इस सौदे पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया राजनीतिक रूप से नॉन-एलाइंड देश है, लेकिन सरकार को अपने फैसलों के प्रभावों को कम नहीं आंकना चाहिए।
दशकों तक पश्चिमी देशों (जैसे अमेरिका और यूरोप) से हथियार खरीदने के बाद चीन से इतना बड़ा सौदा इंडोनेशिया की सुरक्षा नीति में बदलाव का संकेत दे सकता है। सुकादिस ने चेतावनी दी कि एशिया में चीन के बढ़ते सैन्य प्रभाव के बीच यह कदम क्षेत्रीय संवेदनशीलता पैदा कर सकती है।
खासकर दक्षिण चीन सागर में, जहां चीन के क्षेत्रीय दावे हैं और इंडोनेशिया समेत कई देशों के साथ विवाद चल रहे हैं। फिलीपींस, वियतनाम जैसे पड़ोसी देशों में यह सौदा चिंता पैदा कर सकता है। अमेरिका और उसके सहयोगी भी इसे चीन के प्रभाव विस्तार के रूप में देख सकते हैं।
इंडोनेशिया-चीन के बीच साउथ चाइना सी को लेकर विवाद
इंडोनेशिया और चीन के बीच मुख्य विवाद साउथ चाइना सी से जुड़ा हुआ है, जो वैश्विक व्यापार का अहम रास्ता है। यहां चीन अपना पुराना ‘नाइन-डैश लाइन’ दावा करके समुद्र के बड़े हिस्से पर कब्जा करने की कोशिश करता है।
जो इंडोनेशिया के नाटुना द्वीपों के पास वाले विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) से टकराता है। यहां तेल, गैस और मछली जैसे संसाधन हैं। चीन के मछुआरे जहाज और कोस्ट गार्ड बार-बार इंडोनेशिया के पानी में घुस आते हैं, जिससे 2019-2020 में बड़ा तनाव हुआ जब इंडोनेशिया ने जहाज भगाए और राष्ट्रपति ने खुद दौरा किया।
इंडोनेशिया कहता है कि वह विवाद में शामिल नहीं है और अंतरराष्ट्रीय कानून (UNCLOS) का पालन करता है।

साउथ चाइना सी में तैनात चीनी कोस्टगार्ड वेसल।
बांग्लादेश भी चीन से 20 J-10CE फाइटर जेट खरीद रहा
इंडोनेशिया के अलावा बांग्लादेश भी चीन से 20 J-10CE फाइटर जेट खरीदने की योजना बना रहा है। इस सौदे की कीमत करीब 2.2 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग ₹18,500 करोड़) बताई गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह समझौता प्रशिक्षण, रखरखाव और अन्य तकनीकी सेवाओं को भी शामिल करेगा। भुगतान 10 वित्तीय वर्षों में, यानी 2036 तक किस्तों में किया जाएगा।
पाकिस्तान के पास मौजूद J-10CE फाइटर जेट
- बांग्लादेश सरकार ने अक्टूबर 2025 में चीन के J-10CE मल्टीरोल फाइटर जेट की खरीद को मंजूरी दी।
- 20 विमानों की डिलीवरी 2027 तक की जाएगी, जिसकी कुल लागत 2.2 अरब डॉलर (करीब 18,500 करोड़) होगी, जिसमें प्रशिक्षण और स्पेयर पार्ट्स शामिल हैं। भुगतान 10 वर्षों में किया जाएगा।
- जे-10सीई विमान 4.5 पीढ़ी की तकनीक, एईएसए रडार, पीएल-15ई मिसाइल और उन्नत डेटा लिंक से लैस होंगे। इसके साथ बांग्लादेश चीन और पाकिस्तान के बाद तीसरा देश बन जाएगा, जिसके पास यह मॉडर्न पीढ़ी के फाइटर जेट होंगे।
- एयर चीफ मार्शल हसन महमूद खान ने बताया कि सरकार ने मल्टीरोल जेट, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और लंबी दूरी के रडार खरीदने को मंजूरी दे दी है, पर चीन का नाम स्पष्ट नहीं किया।
भारत ने J-10C को तबाह किया था
मई में पाकिस्तान ने संघर्ष के दौरान भारत के खिलाफ जिन फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया था उसमें J-10C फाइटर जेट भी शामिल था। भारत के स्वदेशी हथियारों (जैसे ब्रह्मोस और आकाशतीर) ने इन्हें नाकाम कर दिया था।
इसके अलावा, चीन का PL-15 और HQ-9P मिसाइल, JF-17 फाइटर जेट को भी नाकाम किया था। 9 मई को पंजाब के होशियारपुर जिले में एक खेत से PL-15E मिसाइल के टुकड़े भी बरामद किए गए थे। यह मिसाइल चीन में बनी थी। इसके बाद 12 मई को वायु सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहली बार इसका मलबा दिखाया था।
पाकिस्तान ने JF-17 लड़ाकू विमान से चीन में बनी PL-15E मिसाइल दागी थी, लेकिन उसे हवा में ही नाकाम कर दिया गया, जिससे वह अपने निशाने तक नहीं पहुंच सकी। रिपोर्ट्स के मुताबिक पहली बार किसी संघर्ष में PL-15E मिसाइल का इस्तेमाल हुआ है।

J-10CE फाइटर जेट।
चीन ने दूसरे देशों को बेचने के लिए J-10CE बनाया था
J-10C और J-10CE दोनों एक ही विमान Chengdu J-10 के वर्जन हैं, लेकिन इन दोनों में मुख्य अंतर निर्यात और घरेलू इस्तेमाल का है। J-10C चीन की वायुसेना के लिए बनाया गया मॉडल है।
इसमें चीन की सबसे उन्नत तकनीकें, AESA रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, और PL-15 मिसाइल की पूरी क्षमता होती है। इस संस्करण में कुछ संवेदनशील या गोपनीय सिस्टम (जैसे डेटा लिंक, रडार कोड, ECM सॉफ्टवेयर आदि) चीन अपने नियंत्रण में रखता है।
वहीं, J-10CE अन्य देशों को बेचने के लिए बनाया गया संस्करण है। इसे चीन ने पाकिस्तान, इंडोनेशिया जैसे देशों को निर्यात करने के लिए डिजाइन किया है। इसमें कुछ तकनीकी अंतर होते हैं, जैसे कुछ सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम वर्जन में बदल दिए जाते हैं।
सुरक्षा कारणों से रडार और डेटा लिंक सिस्टम में थोड़ी सीमाएं होती हैं। हथियार प्रणाली चीन के नियंत्रण के अनुसार अनुकूलित होती है, यानी केवल वे मिसाइलें और सिस्टम जिनकी एक्सपोर्ट करने की अनुमति है।
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