Bombay HC Road Accident Decision; Pothole Deaths | Victim Compensation | गड्ढों-मैनहोल से मौत पर अब ₹6 लाख मुआवजा मिलेगा: घायलों को ₹2.50 लाख तक मिलेंगे, बॉम्बे HC बोला- मुआवजे में देरी हुई तो अफसर-ठेकेदार जिम्मेदार होंगे

मुंबई20 मिनट पहले

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में गड्ढों और खुले मैनहोल की वजह से होने वाली मौतों के मामलों में अब पीड़ित परिवारों को ₹6 लाख का मुआवजा दिया जाएगा।

जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और संदीश डी. पाटिल की बेंच ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को इन हादसों में चोट लगती है, तो उसे 50 हजार रुपए से 2.50 लाख रुपए तक का मुआवजा मिलेगा। ऐसे हादसों के लिए ठेकेदारों के साथ-साथ नगरपालिका और सरकारी अधिकारी भी जिम्मेदार होंगे।

कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी योग्य पीड़ितों को 6 से 8 हफ्तों के भीतर मुआवजा दिया जाए। अगर देरी होती है तो संबंधित अधिकारी जैसे कमिश्नर, जिला कलेक्टर, सीईओ आदि व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे और उन्हें ब्याज सहित पैसा देना होगा। ये रकम जिम्मेदार अधिकारी, इंजीनियर या ठेकेदार से वसूली जाएगी।

दरअसल, 2013 में तब के बॉम्बे हाईकोर्ट के जज जीएस पटेल (रिटायर्ड) ने मुख्य न्यायाधीश को लेटर लिखकर मांग की थी कि मुंबई जैसे शहर में खराब सड़कों की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने इसी लेटर के आधार पर केस दर्ज किया था।

सरकारी अधिकारियों पर जवाबदेही तय होगी

हाईकोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि गड्ढों और खुले मैनहोल से होने वाली मौतों और चोटों के लिए जिम्मेदार लोगों को सीधे जवाबदेह ठहराया जाए। जब तक अधिकारियों और ठेकेदारों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा, तब तक वे इस गंभीर मुद्दे को समझ नहीं पाएंगे।

बेंच ने कहा कि मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है और नगर निगम (BMC/MCGM) एशिया की सबसे अमीर संस्थाओं में से एक है। फिर भी सड़कों की हालत खराब है। यह किसी भी तरह से सही नहीं है।

अच्छी और सुरक्षित सड़कें नागरिकों का मौलिक अधिकार हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) के तहत आती हैं। खराब सड़कें न सिर्फ जानलेवा हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर भी बुरा असर डालती हैं।

निगरानी समितियां बनेंगी

हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि हर नगर क्षेत्र में विशेष समितियां बनाई जाएंगी। ये समितियां गड्ढों या मैनहोल से जुड़ी मौतों और हादसों की जांच करेंगी। पीड़ितों को मिलने वाले मुआवजे की राशि तय करेंगी।

  • घटना की जानकारी मिलते ही 7 दिन में बैठक, हर 15 दिन में प्रगति रिपोर्ट, खासकर बारिश में जरूरी।
  • समितियां खुद से या खबरों, पुलिस रिपोर्ट और शिकायतों के आधार पर कार्रवाई कर सकती हैं।
  • पुलिस गड्ढा या मैनहोल हादसे की रिपोर्ट 48 घंटे में समिति को भेजें।

खराब सड़कों को 48 घंटे में ठीक करें

हाईकोर्ट ने कहा कि अगर किसी इलाके में गड्ढे या खुले मैनहोल की जानकारी मिलती है, तो उसे 48 घंटे के भीतर ठीक किया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो यह घोर लापरवाही मानी जाएगी और संबंधित अधिकारी या ठेकेदार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

2025 में नेशनल हाईवे पर हादसों में 26,770 लोगों की मौत: गडकरी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में बुधवार को बताया कि जनवरी से जुलाई 2025 तक नेशनल हाईवे पर हादसों में 26,770 लोगों की मौत हुई। 2024 में नेशनल हाईवे पर कुल 52,609 हादसे हुए थे। देशभर में 13,795 ब्लैक स्पॉट हैं, अधिकांश का सुधार हो चुका है।

2018-2022 में सड़क हादसों में 7.77 लाख मौतें हुई

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग ने दिसंबर 2024 में रोड एक्सीडेंट इन इंडिया, 2022 रिपोर्ट जारी की थी। इसके मुताबिक देश में 5 सालों में (2018-2022 तक) सड़क हादसों में 7.77 लाख मौतें हुई हैं। सबसे ज्यादा 1.08 लाख मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं। इसके बाद तमिलनाडु 84 हजार मौत और महाराष्ट्र 66 हजार मौत के साथ दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं।

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