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नई दिल्ली14 मिनट पहले
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अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर से भारतीय एक्सपोर्टर्स को फायदा हो सकता है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक दिन पहले चीन पर 100% टैरिफ लगाने का ऐलान किया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे भारतीय एक्सपोर्टर्स को अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका मिलेगा।
ट्रम्प ने शुक्रवार को कहा कि नया टैरिफ 1 नवंबर से लागू होगा। चीन से अमेरिका आने वाले सामानों पर पहले से 30% टैरिफ लग रहा है। ऐसे में चीन पर कुल 130% टैरिफ लगेगा। ट्रम्प ने 1 नवंबर से सभी अहम सॉफ्टवेयर के निर्यात पर भी कंट्रोल करने की बात कही है।
दरअसल, चीन ने 9 अक्टूबर को दुर्लभ खनिज (रेयर अर्थ मटेरियल) पर निर्यात को और कड़ा कर दिया था, जिसके जवाब में ट्रम्प ने नए टैरिफ लगाने की बात कही है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, दोनों देशों के बीच इस ट्रेड वॉर का असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है, लेकिन भारत के लिए यह एक बड़ा मौका साबित हो सकता है।
सवाल-जवाब में समझें भारत को कैसे फायदा होगा…
सवाल: भारतीय एक्सपोर्टर्स को कैसे फायदा होगा?
जवाब: अमेरिका ने चीनी सामानों पर भारी टैरिफ लगाया है, जिससे चीन के प्रोडक्ट्स अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे। दूसरी तरफ, भारतीय सामानों पर अभी 50% टैरिफ है, जो चीन की तुलना में काफी कम है। इससे भारतीय प्रोडक्ट्स अमेरिका में ज्यादा कॉम्पिटेटिव हो जाएंगे। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस के अध्यक्ष एससी रालहन ने कहा कि इससे भारत के 86 बिलियन डॉलर यानी 7.3 लाख करोड़ रुपए के एक्सपोर्ट में और बढ़ोतरी हो सकती है।
खासकर टेक्सटाइल, खिलौने और अन्य सामानों के एक्सपोर्टर्स को ज्यादा फायदा होगा। उदाहरण के लिए, एक टेक्सटाइल एक्सपोर्टर ने कहा कि यह टैरिफ भारत को अमेरिका में बड़ा मौका देगा। खिलौना एक्सपोर्टर मनु गुप्ता ने भी बताया कि अमेरिकी रिटेलर्स जैसे टारगेट ने उनसे नए प्रोडक्ट्स के लिए संपर्क किया है।

सवाल: किन भारतीय सेक्टर्स को सबसे ज्यादा फायदा होगा?
जवाब: टेक्सटाइल, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक्स, फुटवियर, व्हाइट गुड्स (जैसे फ्रिज, वॉशिंग मशीन) और सोलर पैनल जैसे सेक्टर्स को सबसे ज्यादा फायदा होने की उम्मीद है। चीनी सामानों के महंगे होने से अमेरिकी खरीदार भारत की तरफ रुख कर सकते हैं, क्योंकि भारतीय प्रोडक्ट्स अब ज्यादा किफायती होंगे।

सवाल: इस ट्रेड वॉर का और किन देशों पर असर पड़ेगा?
जवाब: अमेरिका के बड़े बिजनेस पार्टनर्स जैसे मेक्सिको और कनाडा को इस ट्रेड वॉर का सबसे ज्यादा नुकसान होगा। इसके अलावा एशिया के देश जैसे दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर भी प्रभावित होंगे।
इन देशों की सप्लाई चेन में रुकावट आ सकती है। खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर्स में, क्योंकि ये देश अमेरिका और चीन दोनों के साथ मजबूत व्यापारिक रिश्ते रखते हैं।
सवाल: ग्लोबल मार्केट पर इसका क्या असर होगा?
जवाब: थिंक टैंक GTRI के मुताबिक, इस ट्रेड वॉर से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs), विंड टर्बाइन और सेमीकंडक्टर पार्ट्स की कीमतें ग्लोबल मार्केट में बढ़ सकती हैं। इससे इन प्रोडक्ट्स की लागत बढ़ेगी और सप्लाई चेन में बदलाव आएंगे, जो कई देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
सवाल: भारत-अमेरिका व्यापार का भविष्य कैसा हो सकता है?
जवाब: भारत और अमेरिका के बीच 2024-25 में बायलैटरल ट्रेड 131.84 बिलियन डॉलर (11.6 लाख करोड़ रुपए) रहा, जिसमें 86.5 बिलियन डॉलर यानी 7.6 लाख करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट भारत से हुआ है।
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और भारत के टोटल मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट यानी कुल माल निर्यात का 18% हिस्सा अमेरिका को जाता है।
दोनों देश एक बायलैटरल ट्रेड एग्रीमेंट पर भी बातचीत कर रहे हैं, जो भविष्य में व्यापार को और बढ़ा सकता है। इस ट्रेड वॉर से भारत को अपनी स्थिति और मजबूत करने का मौका मिल सकता है।

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