US Federal Reserve Interest Rate Cut 2025 Update | Fed Rates | फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में 0.25% कटौती कर सकता है: इससे अमेरिका में लोन सस्ते होंगे, महंगाई कम होगी; भारत में निवेश बढ़ सकता है

वॉशिंगटन19 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल (फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल (फाइल फोटो)

अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व आज यानी बुधवार (17 सितंबर) को ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स (0.25%) की कटौती कर सकता है। इसके बाद इंटरेस्ट रेट 4% से 4.25% के बीच रहेगा। इससे अमेरिका में महंगाई कम होगी लोन सस्ते होंगे। वहीं, भारतीय बाजार में अमेरिकियों का निवेश बढ़ सकता है।

पिछले साल फेड ने लगातार तीन बार- दिसंबर में 0.25%, नवंबर में 0.50% और सितंबर में 0.25% की कटौती की थी। तब से रेट्स 4.25% से 4.50% के बीच हैं। सितंबर 2024 की कटौती करीब 4 साल बाद की गई थी।

फेड ने मार्च 2020 के बाद सितंबर 2024 में इंटरेस्ट रेट्स घटाए थे। महंगाई पर काबू पाने के लिए अमेरिका के सेंट्रल बैंक ने मार्च 2022 से जुलाई 2023 के बीच 11 बार ब्याज दरों में इजाफा किया था।

फेड रेट तय करता है कि बैंक एक दूसरे से कितना ब्याज लेंगे

फेडरल रेट्स तय करता है कि बैंक एक-दूसरे से दिए गए लोन पर एक रात में कितना ब्याज लेंगे। लेकिन अक्सर यह कंज्यूमर डेट, मॉर्गेज यानी गिरवी रखी गईं चीजें, क्रेडिट कार्ड्स और ऑटो लोन्स को भी प्रभावित करता है।

ब्याज दरों में कटौती का क्या असर हो सकता है…

  • ज्यादा कटौती अमेरिका की आर्थिक सेहत को बिगाड़ सकती है। निवेशकों का हौसला सुस्त पड़ सकता है।
  • कम कटौती से मार्केट में निराशा हो जाती है, क्योंकि बाजार ब्याज दर में ज्यादा कटौती की उम्मीद लगा रहा है।
  • इंटरेस्ट रेट्स में कटौती में देरी से जॉब मार्केट की रफ्तार धीमी हो सकती है।

महंगाई से लड़ने का शक्तिशाली टूल है पॉलिसी रेट

किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है।

पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।

इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।

खबरें और भी हैं…

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *