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मुंबई3 दिन पहले
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बीते कारोबारी हफ्ते मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 6 का मार्केट कैप कंबाइंड रूप से ₹1,30,734.57 करोड़ (₹1.30 लाख करोड़) बढ़ा है। इस दौरान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) मार्केट का टॉप गेनर रहा है।
कंपनी का मार्केट कैप ₹45,158 करोड़ बढ़कर ₹7.15 लाख करोड़ हो गया है। इसके अलावा, ICICI बैंक और भारती एयरटेल का मार्केट कैप भी ₹28,726.33 करोड़ और ₹20,747.99 करोड़ बढ़कर ₹7.78 लाख करोड़ और ₹7.51 लाख करोड़ हो गया है।
रिलायंस की मार्केट वैल्यू ₹26,115 करोड़ गिरी
वहीं, टॉप-10 में 4 कंपनियों के मार्केट वैल्यू में कंबाइंड रूप से ₹50,295 करोड़ की गिरावट देखने को मिली है। देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की मार्केट वैल्यू ₹26,115.56 करोड़ गिरकर ₹19.64 लाख करोड़ रह गई है। रिलायंस के साथ HDFC बैंक, TCS और हिंदुस्तान यूनिलीवर के मार्केट वैल्यू में गिरावट रही है।



पिछले हफ्ते 641 अंक बढ़ा शेयर बाजार
पिछले हफ्ते शेयर बाजार में 641.83 अंक या 0.87% की बढ़ोतरी रही थी। वहीं, हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार 26 अप्रैल को शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिली थी। सेंसेक्स 609 अंक की गिरावट के साथ 73,730 के स्तर पर बंद हुआ था।
वहीं निफ्टी में भी 150 अंक की गिरावट देखने को मिली, ये 22,419 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 23 में गिरावट और 7 में तेजी देखने को मिली।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटस नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।
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