Punjab Border Flood Impact: BSF’s Brave Patrolling Amid Smuggling & Infiltration Threat | पंजाब की बाढ़ में BSF के हौसले की कहानी: भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर चौकियां-फेंसिंग डूबीं, फिर भी डटे रहे, गश्त में तैराक उतारे; PAK रेंजर्स भागे – Firozpur News

पंजाब की बाढ़ ने भारत-पाकिस्तान की सरहद को भी बुरी तरह प्रभावित किया। कई क्षेत्रों में 12 से 14 फीट तक पानी भरा। बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) की चौकियां इतने पानी में जवानों ने तिहरी जिम्मेदारी निभाई। पानी बढ़ने पर पाकिस्तानी रेंजर्स ने तुरंत अपनी चौक

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इतना ही नहीं, बांध बनाकर फिरोजपुर को डूबने से बचाया। लोगों को रेस्क्यू किया। चौकियों पर तैनात फोर्स के लिए राशन-पानी का इंतजाम किया। दिन और रात बोट से सरहद पर गश्त की। फ्लड जैसी सिचुएशन में गश्त के लिए तैराक उतारे। रात में हाई बीम लाइटों से तस्करी-घुसपैठ रोकी गई।

फिरोजपुर की सरहद पर ग्राउंड के हालात जानने के लिए दैनिक भास्कर एप की टीम पहुंची तो यहां नाव में गश्त करते BSF जवान नजर आए। आइए जानते हैं कि ग्राउंड जीरो और जीरो लाइन पर BSF ने सरहद की रखवाली कैसे की?

बाढ़ में सरहद के 3 PHOTOS…

यह फिरोजपुर जीरो लाइन है, जहां करीब 12 से 14 फीट तक पानी भरा हुआ है। इसके सामने करीब सात किलोमीटर लंबा बांध बनाया गया।

यह फिरोजपुर जीरो लाइन है, जहां करीब 12 से 14 फीट तक पानी भरा हुआ है। इसके सामने करीब सात किलोमीटर लंबा बांध बनाया गया।

फेंसिंग पर बनी चौकी पानी में डूबी हुई, जिसमें बीएसएफ के जवान ऊपर वाले फ्लोर पर तैनात हैं।

फेंसिंग पर बनी चौकी पानी में डूबी हुई, जिसमें बीएसएफ के जवान ऊपर वाले फ्लोर पर तैनात हैं।

फेंसिंग पर तैनात जवान कुत्ते लेकर रखवाली करते हुए।

फेंसिंग पर तैनात जवान कुत्ते लेकर रखवाली करते हुए।

सिलसिलेवार पढ़ें, BSF ने बाढ़ में कैसे मोर्चा संभाला…

बाढ़ ने BSF के सामने पेश की तिहरी चुनौती भारत-पाकिस्तान की सरहद पर जीरो लाइन पर बसे फिरोजपुर के गांव कालूवाला में इस समय चारों तरफ पानी है। सरहद पर लगी फेंसिंग भी आधी पानी में डूबी हैं। इन पर बनी दो मंजिला चौकियों पर BSF के जवान हथियार थामे सीमापार नजर बनाए दिखे।

जवानों ने बताया कि जैसे ही पानी बढ़ा तो पाकिस्तानी रेंजर्स अपनी चौकियां छोड़कर चले गए। भारत की चौकियों पर हमने 2 मंजिला मचान बन रखे हैं। जब नीचे वाले मचान तक पानी पहुंचा तो उससे ऊपर वाले पर चले गए, लेकिन एक पल के लिए भी चौकी नहीं छोड़ी।

बाढ़ में उनकी जिम्मेदारी सरहद पर नजर रखने के अलावा लोगों को बचाना भी थी। इसलिए, बोट से पानी में फंसे लोगों को निकालने के लिए एक टीम लगाई गई। एक टीम ने बांध का निर्माण किया, जिससे पानी को शहर के अंदर जाने से रोका गया।

फिरोजपुर में BSF की ओर से बनाया गया 7 किलोमीटर लंबा धुस्सी बांध।

फिरोजपुर में BSF की ओर से बनाया गया 7 किलोमीटर लंबा धुस्सी बांध।

एक हाथ में हथियार तो दूसरे में थे चप्पू BSF जवानों ने बताया कि बाढ़ का पानी चढ़ते ही पंजाब फ्रंटियर की टीमों ने तीन हिस्सों में बंटकर मोर्चा संभाला। एक टीम ने सरहद पर नजर रखी। दूसरी ने सुरक्षा में तैनात जवानों के लिए भोजन-पानी का इंतजाम किया। तीसरी टीम लोगों को रेस्क्यू करने उतरी और बांधों को मजबूत करने में सहयोग दिया।

जवानों के एक हाथ में हथियार तो दूसरे में नाव के चप्पू रहे। बोट के नीचे करीब 40 फीट तक पानी था। इन हालात में वे गांव-गांव तक पहुंचे और लोगों को जिस चीज की जरूरत थी, उसे प्रोवाइड करवाया। दवा, भोजन और पशुओं तक के लिए चारे की व्यवस्था की गई।

7 किमी बांध 15 दिन में बनाया; फिरोजपुर सिटी डूबने से बचाई BSF ने आर्मी और गांव वासियों की मदद से 15 दिन में 7 किलोमीटर लंबा बांध बनाया। यह किसी बड़े इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट जैसा काम था, लेकिन जवानों ने इसे मिशन की तरह लिया और खड़े रहे। इसी बांध ने फिरोजपुर और उसके आसपास के इलाके को डूबने से बचाया लिया।

बांध बनाने के लिए करीब 2500 ट्रॉली मिट्टी का इस्तेमाल किया। जवानों ने बोरियों में मिट्टी भरी। 9 सितंबर तक बांध के पास लगी फेंसिंग के पास करीब 14 से 16 फीट तक पानी था और दूसरी तरफ किसानों की फसल लहलहा रही थी। अगर समय रहते यह बांध नहीं बनाया जाता तो फिरोजपुर सिटी तक किसानों की जमीन पर लगा धान बर्बाद हो जाता।

बोट से जीरो लाइन पर कालूवाला गांव की ओर बढ़ते बीएसएफ जवान। यहां 6 फीट तक पानी है।

बोट से जीरो लाइन पर कालूवाला गांव की ओर बढ़ते बीएसएफ जवान। यहां 6 फीट तक पानी है।

गांव कालूवाला डूबा, BSF ने रखा ख्याल दैनिक भास्कर एप की टीम BSF की बोट में बैठकर जीरो लाइन पर बसे गांव कालूवाला में पहुंची। यहां का नजारा किसी युद्ध क्षेत्र से कम नहीं था। यहां एक तरफ पाकिस्तान तो दूसरी तरफ सतलुज ने गांव को घेर रखा था। पूरे गांव में करीब 4 से 6 फीट तक पानी भरा था।

भास्कर ऐप टीम ने एक दिन बीएसएफ के अधिकारियों के साथ गुजारा। इस दौरान BSF टीम नाव की मदद से गांव कालूवाला में राशन, दवा और पशु चारा लेकर गई। बीएसएफ ऐसे कई गांव तक मदद पहुंच रही है। बीएसएफ के जवान गांव तक अपनी नांव में पहुंचते हैं और वहां गांव वालों को बुलाया जाता है। गांव वाले अपनी जरूरत का सामान ले जाते हैं।

फिरोजपुर के गांव कालूवाल में ग्रामीणों को मदद पहुंचाते बीएसएफ के जवान।

फिरोजपुर के गांव कालूवाल में ग्रामीणों को मदद पहुंचाते बीएसएफ के जवान।

BSF ने कैसे बॉर्डर की सुरक्षा की, जवानों से 10 सवाल-जवाब से जानें…

सवाल- कौन सा क्षेत्र बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित है? जवाब- पंजाब में फिरोजपुर, फाजिल्का, अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर और पठानकोट पाकिस्तान के साथ सटा है। इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित फिरोजपुर है। फिरोजपुर का करीब 80KM का बॉर्डर पाकिस्तान से लगता है। यह सारा एरिया बाढ़ की चपेट में है।

सवाल- सीमा पर बाढ़ से गश्त और सुरक्षा पर क्या असर पड़ा? जवाब- बाढ़ से सुरक्षा में कोई फर्क नहीं पड़ा है। बाढ़ आई तो हमने चौकियां नहीं छोड़ीं। सुरक्षा के विकल्प ढूंढे। सीमा पार दुश्मन पर नाव और तैराकी टीम की मदद से पेट्रोलिंग की। मचान पर डटे जवानों को वहीं पर भोजन सहित हर चीज मुहैया करवाई गई।

सवाल- सबसे मुश्किल टास्क क्या था? जवाब- हर चीज हमारे के लिए प्राथमिकता है। चाहे वह लोगों की सुरक्षा हो या बॉर्डर की। बाढ़ में तस्करी और घुसपैठ बढ़ना स्वाभाविक है। हमने पाकिस्तान और नशा तस्करों की किसी भी गतिविधि को कामयाब नहीं होने दिया। हमने पेट्रोलिंग बढ़ाई। हर क्षेत्र में कुछ संदिग्धों की लिस्ट बनाकर उन पर नजर रखी।

सवाल- क्या बाढ़ से सुरक्षा ढांचों को कोई नुकसान पहुंचा? जवाब- बाढ़ में नुकसान स्वाभाविक है। जहां नुकसान पहुंचा, उसे तुरंत रिपेयर किया गया। मगर हम सीमा से पीछे नहीं हटे। BSF ने फैसला लिया था कि जब तक पानी गर्दन से ऊपर नहीं जाता, चौकी खाली नहीं करेंगे। हालांकि, हमारे अधिकारी और जवान 2023 में आई बाढ़ के चलते पहले से ही सतर्क थे, जिससे हम हर परिस्थिति से लड़ने के लिए तैयार थे।

सवाल- बाढ़ में घुसपैठ-तस्करी को कैसे रोका? जवाब- घुसपैठ-तस्करी रोकने के लिए चौकसी डबल की गई। रात में दूर तक रेंज वाली लाइटों का इस्तेमाल किया। बीएसएफ की एंटी नारकोटिक्स टीमें डॉग स्क्वॉयड के साथ हर वक्त फील्ड में रहीं।

सवाल- बाढ़ में डूबे गांव तक कैसे मदद पहुंचाई गई? जवाब- बीएसएफ ने प्रशासन और लोगों की मदद के लिए अपनी नाव उतारीं। लोगों को बाहर निकाला। उनके लिए भोजन का प्रबंध किया। उनके पशुओं के लिए चारा उपलब्ध करवाया।

सवाल- बाढ़ में जब चौकियां डूबीं तो पहला कदम क्या उठाया? जवाब- जिन चौकियों में पानी भरा, वहां अलग इंतजाम किए। बोट उतारी गईं। मगर चौकियों को छोड़ा नहीं। हमारे पास पहले से ही जमीन से ऊपर दो मंजिला चौकियां हैं। हम उनमें शिफ्ट हो गए।

सवाल- फिरोजपुर के कुछ गांव बाढ़ में बिल्कुल कट गए थे। इन तक कैसे पहुंचे? जवाब- फिरोजपुर में कालूवाला, निहालवाला, निहालवाला कीलचे और आसपास का एरिया ऐसा था जो पानी में डूब चुका था। फिरोजपुर BSF यूनिट ने बोट से यहां से करीब 1300 लोगों को रेस्क्यू किया। एक नाव में BSF के 2 ट्रेंड जवान जाते थे और एक बार में 10 लोगों को निकालते थे। पूरा दिन यह ऑपरेशन चलता था।

सवाल- फिरोजपुर में BSF ने बांध बनाया। इसमें कितने दिन लग गए? जवाब- फिरोजपुर की पचारियां बीओपी के पास करीब 7 किलोमीटर लंबा बांध बनाया गया है। इसे बनाने में करीब 2500 ट्रॉली मिट्टी लगी। BSF और सेना के जवानों के साथ-साथ गांव वाले भी लगे। इस बांध के सामने फेंसिंग थी, जहां पर करीब 12 से 14 फीट तक पानी था। बांध बनने से किसानों की हजारों एकड़ जमीन बाढ़ की चपेट में आने से बच गई।

सवाल- बॉर्डर की सुरक्षा के लिए और क्या-क्या किया? जवाब- बॉर्डर की सुरक्षा के लिए हमने कई ऑपरेशन चलाए। इनमें ब्लैक आई और ब्लू आई जैसे ऑपरेशन शामिल हैं। साथ ही हमें सेंट्रल एजेंसियों और पंजाब पुलिस का भी सहयोग मिला। इनसे मिले इनपुट के आधार पर हर तरफ पैनी नजर बनाई रखी।

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