5 घंटे पहले
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6 सितंबर से 8 सितंबर तक तीन दिनों में तीन बड़े व्रत पर्व आएंगे। 6 को अनंत चतुर्दशी, 7 को भाद्रपद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण और 8 तारीख को पितृ पक्ष की प्रतिपदा रहेगी। जानिए इन तीन दिनों में कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…
6 सितंबर: अनंत चतुर्दशी
अनंत चतुर्दशी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस दिन गणेश उत्सव खत्म होता है और भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। गणेश जी के साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की भी विशेष पूजा की जाती है। इस दिन घर-परिवार में सुख-शांति बनाए रखने की कामना से पूजा-पाठ की जाती है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, गणेश प्रतिमा का विसर्जन घर में ही करना अधिक श्रेष्ठ है। इसके लिए एक साफ बर्तन में पानी भर लें और उसी में गणेश प्रतिमा का विसर्जन करें। जब प्रतिमा पूरी तरह गल जाए, तो उस मिट्टी और पानी को घर के किसी गमले में डाल दें। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए लाभदायक है, बल्कि ये धार्मिक रूप से भी उचित माना गया है। इस तरह भगवान गणेश की प्रतीकात्मक विदाई होती हैं, लेकिन भगवान सदैव अपने भक्तों के साथ उनके घरों में वास करते हैं।
7 सितंबर: भाद्रपद पूर्णिमा पर होगा चंद्र ग्रहण
भाद्रपद मास की पूर्णिमा को भी धार्मिक दृष्टि से विशेष माना गया है। इस दिन दान-पुण्य, स्नान, और व्रत का विशेष महत्व होता है। इस बार पूर्णिमा की रात में पूर्ण चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है, जो धार्मिक दृष्टि से और भी अधिक महत्वपूर्ण है। चंद्र ग्रहण को लेकर मान्यताएं हैं कि ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ, भोजन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के सूतक काल में मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करके घर की शुद्धि की जाती है।
ये ग्रहण भारत में दिखाई देगा। 2025 में भारत में दिखाई देने वाला ये एक मात्र ग्रहण है। इसके बाद 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण होगा, जो कि भारत में नहीं दिखेगा।
उज्जैन की जीवाजी वैधशाला के अधीक्षक राजेंद्र गुप्त के मुताबिक, चंद्र ग्रहण 7 और 8 सितंबर की दरमियानी रात होगा। इसकी शुरुआत 7 सितंबर की रात 9.56 बजे से होगी। ग्रहण का मध्य रात 11.41 बजे रहेगा। इस समय पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। इसके बाद रात 1.26 बजे ग्रहण खत्म हो जाएगा। ये पूर्ण चंद्र ग्रहण एशिया, हिन्द महासागर, अंटार्कटिका, पश्चिमी प्रशांत महासागर, आस्ट्रेलिया और यूरोप में भी दिखाई देगा।
पं. शर्मा के मुताबिक, चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। चंद्र ग्रहण का सूतक दोपहर 12.56 बजे से शुरू होगा और ग्रहण खत्म होने के साथ ही खत्म होगा।
8 सितंबर: पितृ पक्ष की प्रतिपदा
7 सितंबर को भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि पर परिवार के उन मृत सदस्यों के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं, जिनकी मृत्यु पूर्णिमा को हुई हो। 8 सितंबर को पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) की प्रतिपदा तिथि रहेगी। पितृ पक्ष आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक रहता है। इस बार पितृ पूजा का ये उत्सव 21 सितंबर तक रहेगा।
पितृ पक्ष में पूर्वजों को स्मरण करने और उन्हें तर्पण, पिंडदान, धूप-ध्यान अर्पित करने की परंपरा है। मान्यता है कि इन दिनों में पितरों का ध्यान करने से पितरों की कृपा से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पितृ पक्ष की प्रतिपदा को घर के उन लोगों का तर्पण किया जाता है, जिनका देहांत किसी भी महीने की प्रतिपदा तिथि को हुआ हो।